सरकार बनाम धर्म

विशिष्ट व्याख्यान

रितु राठौर: सभी को नमस्कार ! मैं रितु राठौर हूँ, इन्फिनिटी फाउंडेशन चैनल पर आज के कार्यक्रम की आतिथेय (मेजबान) |

राजीव मल्होत्रा: नमस्ते रितु | मैं चाहता हूँ कि आप मेरे चैनल के आतिथेयों में से एक बनें | यह अब एक निजी चैनल नहीं रहेगा, अपितु  सप्ताह के विभिन्न दिनों में, भिन्न लोगों द्वारा संचालित कई शो वाला इन्फिनिटी फाउंडेशन का चैनल होगा | प्रत्येक व्यक्ति का अपना प्रारूप, शैली और व्यक्तित्व हो सकता है | विचार उभरते उद्यमशील नेताओं का निर्माण करना है | ऐसा करने का यह एक बहुत अच्छा ढंग है | प्रत्येक संचालक पूर्ण स्वामित्व लेगा, विषयों पर शोध करेगा और अतिथियों का साक्षात्कार लेगा | इस प्रकार से मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ सकता हूँ | परन्तु जब भी आप चाहें, तब मैं अतिथि बनने में प्रसन्न अनुभव करूँगा | तो चलिए आरम्भ करते हैं |

रितु राठौर: मैं आपसे भारत की न्यायपालिका के बारे में बात करना चाहती हूँ | संवैधानिक नैतिकता जो हिंदू संस्कृति को कुचल रही है | हाल ही में हमने देखा कि सबरीमाला में क्या हुआ | मैं इस पर आपका विचार चाहती हूँ क्योंकि यह बहुत चिंतित करने वाली बात है |

राजीव मल्होत्रा: कृपया मुझे दर्शकों को मेरी भविष्यवाणी बताने दें कि सबरीमाला में जो हो रहा है वह कुंभ मेला के साथ होगा | वे शोध कर रहे हैं | फिर वे मानवाधिकार उल्लंघन, महिला अधिकार, लिंग भेदभाव, अल्पसंख्यक अधिकार के बारे में अभियोग दर्ज करेंगे | वे आंकड़े इकट्ठा करेंगे और कहेंगे कि मुस्लिमों और ईसाईयों को अनुमति क्यों नहीं हैं ? सभी को होनी चाहिए | गंगा सभी की है |

वे पवित्र तत्व को हटाकर कुंभ मेला को धर्मनिरपेक्ष बनाने जा रहे हैं | वे वास्तविक आगमों और यज्ञ को महत्वहीन करने जा रहे हैं और इसे प्रतीकात्मक पॉप संस्कृति में परिवर्तित करने व इसपर आक्रमण करने जा रहे हैं |

अब मैं आपको सबरीमाला के बारे में जो बता रहा हूँ वह केरल से परे है | यह उत्तर भारत को प्रभावित करने जा रहा है | कुंभ मेला पर प्रहार कुछ ऐसा है जिसकी मैंने कई वर्षों से भविष्यवाणी की है | मैंने कार्यक्रम भी किये हैं | परन्तु अधिकारियों ने कुछ भी नहीं किया है |

हार्वर्ड द्वारा संचालित यह अध्ययन परियोजना – कुंभ मेला के अध्ययन, रूप-रेखा निर्माण और आंकड़ों के एकत्रण में एक एजेंडा छिपा है | सतह पर यह दिखता है कि वे इसका अध्ययन कर रहे हैं | परन्तु यह वैसा है जैसे सीबीआई आपकी कंपनी की जांच के लिए आ रही हो | यह आपकी सहायता के लिए नहीं है | यह पता लगाने के लिए है कि वे आपके पीछे कैसे जा सकते हैं | यह मानवाधिकार उद्देश्यों की जांच की भाँती अधिक है |

यह बेचा गया है मूर्ख भारतीयों, मूर्ख गुरुओं और मूर्ख राजनेताओं को, जैसे कि वे हमपर कृपा कर रहे हैं | मैं बहुत निराश था कि हाल ही में योगी आदित्यनाथ, सभी विदेशी शैक्षिक विद्वानों को कुंभ मेला में आने, शोध करने और अध्ययन करने की अनुमति देने पर सहमत हुए | प्रतीत होता है कि मेरी सारी रिपोर्ट अनसुनी कर दी गई है |

पश्चिम स्वयं को छिपाकर घुसपैठ करने में बहुत अव्वल है | वे भजन और कीर्तन करने वाले लोग बनकर आते हैं | वे धोती पहनते हैं और हमारे अज्ञानी लोगों को प्रभावित करने के लिए संस्कृत बोलते हैं और दावा करते हैं कि वे हमारी सहायता करने आए हैं | परन्तु यह वास्तव में एक घुसपैठ है | मुझे बड़ी चिंता हो रही है कि वे योगी आदित्यनाथ के स्तर पर प्रभावित करने में सफल रहे हैं, जिन्होंने मेरी राय में, वास्तव में इस मुद्दे पर शोध करने वाले लोगों से परामर्श लिए बिना पूर्णतः अनुत्तरदायित्व वाला निर्णय लिया है |

पिछले महीने या दो महीने में योगी आदित्यनाथ ने पश्चिमी शोधकर्ताओं और विद्वानों का स्वागत किया कि वे कुंभ मेला में आयें और अध्ययन करें | कुंभ मेला का अध्ययन करना एक अच्छा विचार है | परन्तु क्या हमारे पास हमारे अपने लोग नहीं हैं ? हमें आने और शोध करने के लिए बाहरी लोगों की आवश्यकता क्यों है ? एचआरडी और संस्कृति मंत्री क्यों नहीं स्वदेशी भारतीय टीम के साथ आते हैं ? हार्वर्ड हमें कुंभ मेला के बारे में क्या बताएगा जो कि हम बताने में स्वयं सक्षम नहीं हैं ?

दुर्भाग्यवश हम एक महत्वपूर्ण मुख्यमंत्री के स्तर तक उपनिवेशित हैं | मैं इस पर बहुत चिंतित हूँ |

अब सबरीमाला में यह हुआ है कि न्यायपालिका वास्तव में हिंदू धर्म और भगवान् के विचार को समझ नहीं पाती है | भगवान् इब्राहिमी धर्मों की भांति प्रतीकात्मक या आकाश का कोई देवता नहीं है | हमारे भगवान् अतिथि के रूप में आते हैं और यहां हमारे साथ विश्व में रहते हैं | हम भगवान् को प्राण-प्रतिष्ठा नामक एक विशिष्ट अनुष्ठान के द्वारा आमंत्रित करते हैं | तब भगवान् आते हैं और इस विश्व में रहते हैं |

यह एक मूर्ति या प्रतीक नहीं है, अपितु एक वास्तविक जीवित व्यक्ति | जब हम प्राण प्रतिष्ठा करते हैं, हम भगवान् के साथ एक समझौते में प्रवेश करते हैं, कि ‘मैं चाहता हूँ कि आप इस रूप में आएं, मैं कुछ विशिष्ट सेवा करूँगा और एक विशिष्ट जीवनशैली का पालन करूंगा’ | जब सबरीमाला या कोई भी मंदिर स्थापित किया जाता है, तब ऐसा होता है | सभी उत्तराधिकारी जो उस मंदिर और देवता की देखभाल का उत्तरदायित्व लेते हैं उन्हें इसका पालन करना होता है |

सुप्रीम कोर्ट या किसी भी न्यायलय के पास उपासक और भगवान् के बीच के उस समझौते में हस्तक्षेप करने और प्रथाओं को निर्धारित करने का कोई अधिकार नहीं है | आप मूल रूप से दो पक्षों के बीच के अनुबंध में हस्तक्षेप कर रहे हैं | मनुष्यों और भगवान् के बीच एक अनुबंध है | सर्वोच्च न्यायालय इसे या इसके अस्तित्व को नहीं समझता है |

निस्संदेह महिलाओं के पास अधिकार हैं | महिलाओं के लिए बहुत सारे मंदिर हैं | ऐसे मंदिर भी हैं जहां पुरुषों को प्रवेश की अनुमति नहीं है |

हमारे प्रकरण में, इब्राहिमी धर्म से भिन्न, भगवान् कई रूप लेते हैं | भगवान् स्त्री, पुरुष या बच्चा हो सकते हैं | बच्चे की स्थिति में वयस्क बातें नहीं हो सकती हैं | भगवान् कुंवारे का रूप ले सकते हैं | कोई भगवान् इस प्राण प्रतिष्ठा के आवाहन के अनुसार विभिन्न रूप ले सकते हैं | तदनुसार, देवता की देखभाल की जाती है |

भगवान् को एक व्यक्ति के रूप में माना जाता है | आप उन्हें सुबह, दोपहर व रात का भोजन एवं अन्य भोजन देते हैं | आप कपड़े परिवर्तित करते हैं, आप स्नान कराते हैं और देवता को सुलाते हैं |

आप सगुण भगवान के साथ एक निश्चित संबंध में अपनी भूमिका निभा रहे हैं | और इसी प्रकार हम पूजा करते हैं | हम भगवान की पूजा निकटता से करते हैं जैसे मानो कि कोई मित्र या सम्बन्धी हो | इसी प्रकार हम स्वयं को विकसित करते हैं और भगवान् के निकट आते हैं, आकाश में स्थित किसी भगवान की पूजा करने के स्थान पर | वह मार्ग भी उपलब्ध है, परन्तु वह एकमात्र नहीं है |

सगुण भगवान् को अपने घर या मंदिर में लाने का विचार कुछ ऐसा है जिसे यहूदी-ईसाईयों ने मूर्तिपूजा या सर्वेश्वरवाद के रूप में अस्वीकार कर दिया था | यह उनका विशेषाधिकार है | परन्तु सर्वोच्च न्यायालय हमारे ऊपर उस विचार को थोप रहा है | ठीक है ?

सर्वोच्च न्यायालय को वास्तव में हिंदू धर्म के परिचय पर कुछ हिंदू गुरुओं से एक अच्छी कार्यशाला की आवश्यकता है | सर्वोच्च न्यायालय से निचले न्यायालय तक, वे सभी इस विशेष प्रकरण पर दोषपूर्ण रूप से सूचित और अशिक्षित हैं | जब वे निर्णय लेते हैं कुछ परिष्कृत तकनीक या परमाणु नीति पर, तो न्यायालय द्वारा उन्हें शिक्षित करने के लिए विषयवस्तु विशेषज्ञों को बुलाना एक सामान्य बात है | इसमें अपमानजनक कुछ भी नहीं है | उन्होंने हिंदू धर्म विषय विशेषज्ञों को उन्हें देवताओं के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए क्यों नहीं बुलाया है ? मैंने सर्वोच्च न्यायालय को भारत में किसी भी अग्रणी गुरु से विशेषज्ञ साक्ष्य का निवेदन करते हुए नहीं देखा है |

परन्तु मुझे प्रसन्नता है कि एक प्रबल प्रतिक्रिया है | क्योंकि हमारी परंपरा से पवित्र को हटाकर धर्मनिरपेक्ष बनाने की प्रक्रिया बहुत लंबे समय से चल रही है | सबरीमाला एक स्फुरण बिंदु है और मैं वास्तव में एक परिणाम की आशा कर रहा हूँ जो हमारे लिए अनुकूल हो | यदि सबरीमाला में विफल होते हैं, तो अगला कुंभ मेला होगा |

रितु राठौर: क्या हमारे न्यायाधीश अज्ञानी हैं या क्या यह जानबूझकर है ?

राजीव मल्होत्रा: हमने नेहरूवादी शासन के अंतर्गत देश के जन्म से ही एक संवैधानिक विकास के रूप में अंग्रेजी न्यायपालिका और अंग्रेजी व अमेरिकी विचारों का संवैधानिक लोकतंत्र में आयात किया है | हमारी न्यायपालिका कुछ वर्ष पहले तक उपहास के योग्य इन नकली बालों आदि को पहना करती थी | क्या मजाक है ? एक बहुत उष्णकटिबंधीय गर्म जलवायु में  आप कुछ गोरा साहेब की नकल करने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि वे इसे पहनते थे | सभ्यता का कितना अपमान कि अब आप अपने पिछले स्वामी जैसा व्यवहार करने जा रहे हैं और दिखावा करते हैं कि आप उनमें से एक हैं | यह हीन भावना है | मुझे प्रसन्नता है कि उन्होंने इसे छोड़ दिया |

भारत के धर्म की तुलना में संविधान की वास्तविक ईमानदार समीक्षा की आवश्यकता है | हमारे पास भारत के अन्दर भारतीय सभ्यता और औपनिवेशिक सभ्यता के बीच सभ्यताओं का संघर्ष है | यह एक महत्वपूर्ण वक्तव्य के रूप में है |

हमारे पास भारत के अन्दर धर्म सभ्यता और उपनिवेशित सभ्यता के बीच सभ्यताओं का संघर्ष है | यह उपनिवेशित सभ्यता भारत विखंडन शक्तियां हैं जिन्हें विदेशों में समर्थन मिलता है – जहां इन्हें पोषित किया जाता है, और भारत में जहां इसका समर्थन करने वाला एक विशाल पारिस्थितिकी तंत्र है |

समाचार है कि ट्विटर के प्रमुख ने एक ब्राह्मण-विरोधी बैनर लगाया है | एनडीटीवी के लोगों और विभिन्न वामपंथियों के साथ वे महिलाओं के अधिकारों और महिलाओं के हितों के लिए कार्यक्रम आयोजित करते हैं | क्या वे किसी अन्य देश में यहूदियों या मुसलमानों के विरुद्ध ऐसी बात रखने का साहस करेंगे ? वे संभवतः दोषपूर्ण ढंग से सूचित हैं |

भारत में कट्टरपंथी वाम पारिस्थितिक तंत्र ने इस प्रकार की कॉर्पोरेट संरचना पर नियंत्रण स्थापित कर लिया है | भारत में बिल गेट्स फाउंडेशन कौन चलाता है ? भारत में फेसबुक कौन चलाता है ? यूट्यूब कौन चलाता है ? भारत में सभी अमेरिकी सोशल मीडिया, परोपकार संगठनों और कॉर्पोरेट लोगों को भारत विखंडन शक्तियों द्वारा हथिया लिया गया है | आपके पास हिंदू नाम वाले लोग हो सकते हैं, परन्तु वे वास्तव में इन अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों से जुड़े हुए हैं |

भारत को विखंडित करने का यह उद्देश्य कई सक्रिय अंगों के साथ बहुमुखी है | हमारे नीति निर्माता और वरिष्ठ लोग इसे नहीं समझते हैं | जो लोग समझते हैं, वे सम्मिलित होना नहीं चाहते हैं क्योंकि यह बहुत विवादास्पद और संकट से भरा है | वे अपनी गर्दन को बाहर नहीं निकालना चाहते हैं |

आपने जो विषय उठाया है वह एक बहुत बड़ा विषय है | यह केवल सबरीमाला या सर्वोच्च न्यायालय के एक ही निर्णय के बारे में नहीं है | विषय बहुत गहरा है | यह भारत के अभिजात वर्ग के चरित्र और सोच के बारे में है | विशेष रूप से हमारे जैसे अंग्रेजी बोलने वाले अभिजात वर्ग के बारे में |

रितु राठौर: आरटीई हमारे भारतीय अध्ययन की अपनी अवधारणा के विरुद्ध है | आप इसका मूल्यांकन कैसे करेंगे ? हमने इतने सारे विद्यालय बंद होते देखे हैं उन पर थोपे गए आधारभूत ढांचों के नियमों के कारण | क्या आरटीई ने हमारी शिक्षा को लाभ पहुँचाया है ? आप इसके बारे में क्या अनुभव करते हैं ? एचआरडी मंत्रालय ने इसे सुधारने के लिए कोई प्रयास क्यों नहीं किया है ?

राजीव मल्होत्रा: मैं आपको बता दूँ पश्चिमी हस्तक्षेप के पीछे कितनी रणनीतिक सोच है | जब अधिकांश विश्व औपनिवेशिक शासन के अधीन था, 20वीं शताब्दी के आरम्भ में, कई अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे | तो, प्रश्न था, राष्ट्र-राज्य क्या होता है ? आत्म-शासन के लिए कौन योग्य है ? किस स्थिति में कोई देश स्वतंत्रता प्रदान करने के लिए योग्य है ? क्योंकि माना जाता था कि वे शासन करने, और अपने नागरिकों को उपयुक्त अधिकार व सेवा प्रदान करने योग्य नहीं थे | इसलिए, हम औपनिवेशिक शक्तियां उनपर एक कृपा कर रहे हैं |

एक वैध राष्ट्र-राज्य के गठन हेतु नियम बनाये जाने थे | राष्ट्र-राज्य के नियम किसी राष्ट्र-राज्य के पश्चिमी विचार के अनुसार थे, न कि राष्ट्र के अनुसार | तो, राष्ट्र-राज्य की इस अवधारणा को स्वीकार कर लिया गया था |

हमारे अपने उपनिवेशित लोगों ने स्वतंत्रता पर बातचीत करने के लिए इन्हें स्वीकार करना आरम्भ कर दिया | दुर्बल लोगों की अपने से सशक्त लोगों से बातचीत, शक्तिशाली लोगों द्वारा निर्धारित शर्तों पर होती है | इसी प्रकार राष्ट्र-राज्य, संविधान, नरसंहार क्या है, धार्मिक स्वतंत्रता की परिभाषा क्या है, और अंतर्राष्ट्रीय नियम निर्धारित किए गए हैं | यह पश्चिम के विशेष उद्देश्यों और ढाँचे का पालन करता है |

अनुसंधान किया जा रहा है टेम्पलटन फाउंडेशन, फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर फाउंडेशन द्वारा भारत में, विभिन्न समूहों के अधिकारों, शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य आदि पर | विचार उन बोधों पर आधारित हैं कि दवा, शिक्षा, धर्म आदि क्या होते हैं | ये सभी ऐसे ढंग से निर्धारित किए गए हैं जो भारतीय सभ्यता के अनुकूल नहीं हैं |

क्योंकि भारतीय सभ्यता के लोगों ने पूर्वपक्ष नहीं किया, भाग नहीं लिया, उनकी पर्याप्त अभिव्यक्ति नहीं थी, पर्याप्त बुद्धिमान नहीं थे | जो लोग थे, बिक गए थे | और जो लोग नहीं बिके थे वे प्रायः अनुभवहीन अपरिष्कृत प्रकार के लोग थे |

दुःख की बात है कि हमारे कई लोग जो हमारे पारंपरिक मत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं वे गंवारों की भांति हैं | उनको सरलता से बहलाया-फुसलाया जाता है | वे वास्तव में दूसरे पक्ष को सही ढंग से नहीं समझते हैं |

शिक्षा का अधिकार और विद्यालय क्या हैं इनकी परिभाषा को उसी प्रकार ठीक करनी चाहिए जिस प्रकार पूजा-स्थल, धर्म, न्यायालय आदि की परिभाषा को | इन सभी को हमारी सभ्यता का उचित सम्मान और प्रतिनिधित्व के बिना किया गया है |

शिक्षा के अधिकार के विषय में, कुछ अधिनियम हैं जैसे चारदीवारी की आवश्यकता | अब, हमारी परंपरा में, आप अपनी शिक्षा के लिए एक पेड़ के नीचे बैठते हैं | इसमें चारदीवारी कहा है ? शिक्षा चारदीवारी के बारे में नहीं है | यह जीवन का अंग है | आप परिवार में रहते हैं और आप शिक्षित हो रहे हैं | आप अपने पूरे जीवन भर शिक्षा प्राप्त करते हैं | गुरु के प्रति सम्मान का विचार |आपके प्रति गुरु का व्यवहार क्या है ? आपका व्यवहार क्या है ? शिक्षा में माता-पिता की भूमिका क्या है ? यह सब हमारी परंपरा में अच्छे ढंग से परिभाषित है |

शिक्षा के अधिकार ने उस पर परामर्श नहीं किया | तो जब शिक्षा के अधिकार का नियम तैयार हो गया और एक अधिनियम के रूप में पारित किया गया था, तो हमारे धर्म के रखवाले उचित ढंग से भाग नहीं लिए थे | अब आप उन्हें या अन्य लोगों को दोष दे सकते हैं | परन्तु हिंदू चिंतन-समूह कहां थे यह पता लगाने के लिए कि शिक्षा का हमारा अधिकार क्या होना चाहिए ? शिक्षा पर हिंदू नीति कहां है ? हमने इसे क्यों नहीं विकसित किया ? तब कोई सक्रियता क्यों नहीं थी ?

निस्संदेह, कभी न होने से श्रेष्ठ है देर से होना | अब जब आरटीई थोप दिया गया है, तो आपके जैसे लोगों का इंगित करना पूर्णतः सही है कि यह हिन्दुओं के अनुकूल नहीं है और हिंदू विद्यालयों के विरुद्ध पक्षपातपूर्ण है |

रितु राठौर: निश्चित रूप से राजीवजी | आप बौद्धिक क्षत्रिय आन्दोलन को आगे बढ़ता हुआ कैसे देखते हैं ? आपने इस शब्द को बनाया था | तो अगले पांच वर्षों के लिए, आपकी दृष्टि क्या है ?

राजीव मल्होत्रा: बौद्धिक क्षत्रिय शब्द पहले से ही अस्तित्व में था | किसी और ने इसका उपयोग किया था, परन्तु इसे एक आंदोलन का रूप नहीं दिया | तो मैं मूल रूप से पहले से उपलब्ध एक शब्द ले रहा हूँ और इसे सामग्री और ऊर्जा दे रहा हूँ |

मेरा विचार है कि मैं अपनी 5-6 पुस्तकें लूं और उन्हें ई-लर्निंग पाठ्यक्रम में परिवर्तित करूं, बौद्धिक क्षत्रियों के प्रशिक्षण हेतु | मेरे पास प्रक्रिया में 15 और पुस्तकें हैं और मैं अपनी शेष पुस्तकों को लिखने पर अपना ध्यान केन्द्रित करना चाहता हूँ | और उन्हें ऑनलाइन ई-लर्निंग पाठ्यक्रम में परिवर्तित करने पर | मैं बौद्धिक क्षत्रियों को प्रशिक्षित करना चाहता हूँ जो इन पुस्तकों के बारे में जानते हों |

मैं इन पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षित एक लाख स्नातकों की सेना बनाना चाहता हूँ और वे बौद्धिक क्षत्रिय बनेंगे | वे अपनी नीति स्वयं बनायेंगे | मैं उन्हें नियंत्रित नहीं करना चाहता हूँ | मैं ज्ञान की आपूर्ति कर रहा हूँ, उन्हें संगठित होना है, और नेताओं का चयन करना है | आपके व अन्य लोगों के जैसा |

हमारे पास कई युवा लोग हैं जिन्हें नेतृत्व की भूमिका निभानी चाहिए | उन्हें तब लोगों के इस समूह को सम्हालना चाहिए और ज्ञान को और आगे ले जाना चाहिए | मैं असंगठित क्षत्रिय, जो यहां-वहां फैले हैं, उन्हें लाना चाहता हूँ और उन्हें कुछ संगठन देना चाहता हूँ, कुछ आवश्यक पाठ्यक्रम बनाकर | यदि सभी ने इन पाठ्यक्रमों को लिया है, तो उनके पास एक समान शब्दावली होगी |

मैंने 70-80 विशेष शब्दों और वाक्यांशों को इकठ्ठा किया है जिनका मैंने इतने समय में उपयोग किया है जैसे भारत विखंडन शक्तियां, हिन्दूभीति, नृशंसता साहित्य, वेंडी के बच्चे, नव-प्राच्यवाद आदि | मैं छोटे वीडियो में प्रत्येक शब्द के लिए दस मिनट की परिभाषा और अवलोकन को पढ़ाने जा रहा हूँ | मेरे पास इस प्रकार के कुछ सौ वीडियो होंगे | उनमें से 50-70 इन शब्दों को परिभाषित करेंगे और अन्य इन शब्दों की आगे की व्याख्या करेंगे |

यह हमारी बौद्धिक क्षत्रियों की एक सेना को एक समान शब्दावली, समान उद्देश्य, समान विचारधारा, और समान ढांचा देगी | यह एक ईंट और मसाले वाला विश्वविद्यालय या आधिकारिक संस्थान नहीं होगा | सोचने का ढंग, शब्दावली का निर्माण व उपयोग करने का ढंग एक समान होगा और यह इस बौद्धिक क्षत्रिय सेना को बनाने की पद्धति होगी |

रितु राठौर: राजीवजी, आपको व हमें बहुत-सी शुभकामनाएं | धर्म की जीत हो | इसे जीतना चाहिए | इसके साथ, मैं आज की चर्चा समाप्त करती हूँ | आपके साथ बात करना और आपका ज्ञान प्राप्त करना अद्भुत था | मुझे आशा है कि दर्शकों ने इस कार्यक्रम का आनंद लिया | राजीवजी बहुत बहुत धन्यवाद | नमस्ते !

राजीव मल्होत्रा: धन्यवाद | नमस्ते !

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