नक्सलवाद से धर्म की ओर / डॉ राजीव कुमार

कम्युनिस्ट विश्वासघात विशिष्ट

राजीव मल्होत्रा: नमस्ते ! मेरे साथ डॉ राजीव कुमार हैं | हमने भारत, उसके अतीत और भविष्य के बारे में रोचक बातचीत की है | हमने बाहरी विश्व, आधारभूत संरचना और विकास के बारे में बात की | हमने आंतरिक विश्व को भी छुआ है | आपकी कहानी बहुत ही आकर्षक है | हमें बताएं कि आपने कैसे आरम्भ किया, आपने कुछ बातों को अस्वीकार क्यों कर दिया और किस प्रकार आप आध्यात्मिक पथ पर पहुंचे | क्योंकि इससे लोगों को प्रेरणा मिलेगी |

राजीव कुमार: मैंने 15 वर्ष की आयु में आठ खंडों में महाभारत पढ़ा | मेरी माँ के दादा के पास यह पूरा प्रकाशन था | मैं उस पर मोहित हो गया | परन्तु तब मैं एक पब्लिक स्कूल की छात्रवृत्ति पर मॉडर्न स्कूल दिल्ली आ गया | मैं एक पश्चिमी शिक्षा पाई, घुड़सवारी, तैराकी आदि सीखा | मैंने इसका आनंद लिया | और फिर सेंट स्टीफंस चला गया |

राजीव मल्होत्रा: हम एक ही कक्षा में थे |

राजीव कुमार: हाँ | 1968 बैच |

राजीव मल्होत्रा: हाँ !

राजीव कुमार: और मैं वहां गया | मेरे पास मेरी पुरस्कार वाली पुस्तकें थीं | इज़राइल के छह दिवसीय युद्ध पर और अमेरिकी वियतनाम आदि में कैसे जीत पायेंगे, पर | क्योंकि मैं बहुत अधिक अमेरिका समर्थक था | परन्तु उस समय सेंट स्टीफेंस कॉलेज में… बचपन से एक बात जो मेरे दादा दादी आदि से मेरे पास आई थी वो थी राष्ट्रीयता की एक बहुत गहरी भावना | और मॉडर्न स्कूल में हमलोग एक भजन किया करते थे | यह एक पब्लिक स्कूल था परन्तु हर सुबह हम भूमि पर बैठकर भजन गाते थे | और फिर एक पश्चिमी पाठ्यक्रम का पालन करते | भजनों में से एक था: भरत हमारा देश है | इसका ऋण हमपर बहुत और इस ऋण के खातिर हम कुछ न कुछ कर जायेंगे |

राजीव मल्होत्रा: बहुत अच्छा !

राजीव कुमार: मैंने इस भजन को आत्मसात कर लिया | एम एन कपूर, हमारे प्राचार्य एक सच्चे युगपुरुष की भांति थे | सेंट स्टीफंस में एक बहुत ही चरम वामपंथी विचारधारा मुझपर थोप दी गई थी |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

राजीव कुमार: हमारे राष्ट्र को दरिद्रता से निकालने के लिए एक राष्ट्रवादी नीति के रूप में | स्मरण करें |

राजीव मल्होत्रा: हाँ | मैं वहाँ था |

राजीव कुमार: 1965 में युद्ध और 1967 में सूखा | भारी बेरोजगारी |

राजीव मल्होत्रा: अरविंद नारायण दास अध्यक्ष थे |

राजीव कुमार: हाँ | परिस्थितियाँ ऐसी थीं कि वामपंथी / मार्क्सवादी / लेनिनवादी / माओवादी विचारधाराएं देश को बेहतर करने के लिए उचित मार्ग लगती थीं |

राजीव मल्होत्रा: चारू मजूमदार, कानू सान्याल,

राजीव कुमार: हाँ |

राजीव मल्होत्रा: और नक्सलबाड़ी |

राजीव कुमार: ये सब उभरा और सेंट स्टीफेंस में आया |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

राजीव कुमार: और हमारे बीच जो सबसे अच्छे थे, उसे अपनाया

राजीव मल्होत्रा: हां |

राजीव कुमार: इस झूठे विश्वास में कि यह हमारे देश को उसकी दरिद्रता से बाहर निकालने में सहायता करेगा |

राजीव मल्होत्रा: युवा आदर्शवाद |

राजीव कुमार: हाँ | इसलिए, मैं उससे जुड़ गया |

राजीव मल्होत्रा: आप नक्सली आंदोलन में सम्मिलित हुए ?

राजीव कुमार: हाँ | 1970 के दिसंबर में मैंने कॉलेज छोड़ दिया और मैं भाग गया | इसे यूजी जाना कहा जाता था | मैं बिहार में भूमिगत हो गया और दरिद्र किसानों से मिला | उस समय तक चारू मजूमदार साहब द्वारा एक पूर्ण झूठ आरम्भ कर दिया गया था कि आपको किसी भी बात के लिए लोगों को समझाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे क्रांति के लिए पूर्णतः तैयार हैं | केवल उन्हें बताओ कि कैसे शत्रु वर्ग को मारना है | जमींदार या जोतेदार | जब मैं वहाँ एक आदिवासी गाँव में पहुँचा, तो मैंने पाया कि वहाँ कोई जमींदार नहीं था | सभी लोग समान थे | मुझे दूसरे गाँव में भेजा गया जहाँ उनके पास एक जमींदार था | परन्तु वह अपने लोगों की अच्छी देखभाल करता | यह बिहार में था | तीसरे स्थान पर मुझे एक शोषक जमींदार मिला | लोगों ने कहा कि हमें उस व्यक्ति को मारने के लिए आधुनिक अस्त्र-शस्त्र चाहिए | वो नहीं जो आपने हमें समझाया था कि हमें उनके क्रोध को बाहर निकालने के लिए उनसे पारंपरिक शस्त्रों का उपयोग कराना होगा | मैंने उस पूरी बात को देखा |

राजीव मल्होत्रा: यह एक दिखावा था | यह व्यावहारिक नहीं था |

राजीव कुमार: और बेईमानी | भारत के नौजवानों में एक पूरा झूठ फैलाया गया और इसने वर्षों तक हमारे देश के विकास को कुंठित किया |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

राजीव कुमार: और देश के कुछ भागों में मूल्यवान मानव जीवन की भारी क्षति हुई | मुझे लगता है कि वहाँ कुछ है जिसने मुझे बचाया और मैं वापस लखनऊ आ गया | मुझे अपने माता-पिता को धन्यवाद देना चाहिए जिन्होंने न केवल मुझे वापस लिया बल्कि मुझे पर्याप्त स्थान दिया जिसकी मुझे आवश्यकता थी | इससे बाहर निकलने में मुझे एक और वर्ष लग गया | धीरे-धीरे मैंने इससे बाहर निकलने का निर्णय किया, अपने करियर का पुनर्निर्माण किया | मुझे ऑक्सफोर्ड जाने के लिए एक छात्रवृत्ति मिली | वहां विभिन्न प्रकार की वैचारिक प्रक्रियाओं और दर्शन से भेंट हुई | परन्तु मेरे साथ दो घटनाएं हुईं |

मैंने हैमिश हैमिल्टन द्वारा प्रकाशित पौधों का गुप्त जीवन नामक पुस्तक पढ़ा | इसमें 40 पृष्ठों की ग्रंथ सूची थी जो संदेह से परे प्रमाणित करती थी कि पौधों का अपना जीवन है जैसा कि जे सी बसु और अन्य ने बताया था | यह दार्शनिक सन्दर्भ में भौतिकवाद के मार्क्सवादी विचार से पूर्णतः विरोधाभासी था |

राजीव मल्होत्रा: यह आपको आध्यात्मिक विश्व में ले जाता है |

राजीव कुमार: हाँ और मुझे अपने पुराने बचपन के अतीत से फिर से जोड़ दिया |

राजीव मल्होत्रा: आश्चर्यजनक !

राजीव कुमार: दूसरा पोल पॉट परिदृश्य में आया | वह एक राक्षस था |

राजीव मल्होत्रा: दुष्ट व्यक्ति |

राजीव कुमार: कुछ प्रसिद्ध उच्च पदस्थ वामपंथी बुद्धिजीवियों ने इस नाम पर उसका समर्थन किया कि वह पूंजीपति मूल्य को तोड़ रहा है |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

राजीव कुमार: यह वो क्षण था जब मैंने इसे पूर्णतः छोड़ दिया | 1982 में अपना डीफिल समाप्त करने के बाद मैं यहीं वापस आ गया | इसलिए नहीं कि मैं ऐसा करना चाहता था, अपितु मेरी होने वाली पत्नी ने मुझे चेतावनी दी कि मैं अब वापस जा रही हूँ | आप तय करें कि आप क्या करना चाहते हैं | मैं उनके पीछे पीछे यहाँ आया | 83 में हमारा विवाह हुआ | 88 के बाद हमारा पहला बेटा हुआ और हम दोनों ध्यान की अपनी यात्रा में प्रविष्ट हुए |

राजीव मल्होत्रा: आश्चर्यजनक !

राजीव कुमार: और मैं आपको संक्षेप में कहानी भी सुना सकता हूँ | हमारे बड़े बेटे को अस्थमा हो गया | 2.5 वर्षों के बाद, जब कुछ भी काम नहीं किया, तब हम अपने विवेक की सीमा पर थे | फिर हमारी भेंट एक वैद्य से हुई जिसने कहा यह हमारा तनाव था जो बच्चे में इस अस्थमा को जन्म दे रहा था | अपना ध्यान रखें और लड़का ठीक हो जाएगा | इसलिए, तब हमने ध्यान करना आरम्भ किया | हम इस अभ्यास की ओर उन्मुख हुए जिसे सहज योग कहा जाता है |

राजीव मल्होत्रा: यह पूरे विश्व में है |

राजीव कुमार: अब 90 देशों में है | इसकी स्थापना श्री माताजी निर्मला देवी ने की है | वे एक ईसाई के रूप में जन्म ली थीं, परन्तु भारतीय परंपराओं, शास्त्रों और पारंपरिक सिद्धांतों में डूबी हुई | यह उनका आविष्कार है | इसमें कुंडलिनी शास्त्र के तत्व भी हैं | 98 के बाद से यह सबसे अच्छी बात है जो मेरे साथ हुई है |

राजीव मल्होत्रा: तो, आप एक आध्यात्मिक प्राणी हैं जिसका भौतिक पदार्थवादी जीवन भी है |

राजीव कुमार: मैं ऐसा होना चाहूंगा | जो बात मुझे बहुत आशा और आशावाद देती है, वह यह है कि मैं इस यात्रा को जारी रख सकता हूँ |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

राजीव कुमार: चाहे मुझे कहीं और कुछ भी हो | यह सच्चाई है |

राजीव मल्होत्रा: यह ठोस आधार है |

राजीव कुमार: यह सच्चाई है | जुड़ना और एकजुट होना योग है | जुड़ा होना परम सत्य है क्योंकि मैंने ऐसा अनुभव किया है |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

राजीव कुमार: सहज योग आपको इस अद्भुत चरण का अनुभव करने में सहायता करता है जिसे नानकजी सहज समाधि कहते थे |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

राजीव कुमार: सम्पूर्ण विचारहीनता परन्तु सम्पूर्ण चेतना | उस अवस्था में आप पूर्णतः सुरक्षित होने की अद्भुत भावना का अनुभव करेंगे |

राजीव मल्होत्रा: जिसे कोई आपसे छीन नहीं सकता है |

राजीव कुमार: आपको किसी और वस्तु की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि यह अद्वैत है |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

राजीव कुमार: एक बार आप इसका अनुभव कर लेते हैं तब द्वैत मिट जाता है |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

राजीव कुमार: यह यात्रा वह है जो कभी समाप्त नहीं होने वाली है, क्योंकि आप इसे जारी रख सकते हैं | मैं इसके लिए एक प्रचारक रहा हूँ |

राजीव मल्होत्रा: हाँ अच्छा !

राजीव कुमार: फिलीपीन्स के कैथोलिक ईसाई देश होने पर भी मैंने संभवतः 5,000 लोगों को अनुभव कराया है | मैं अब भी इसका अभ्यास करता हूँ | अपनी हरेक प्राथमिकता के ऊपर मैं इसके लिए 24/7 उपलब्ध हूँ |

राजीव मल्होत्रा: मुझे बहुत प्रसन्नता है कि लोग आपके इस पक्ष को सुनते हैं | क्योंकि मुझे लगता है कि यह वही है जो आप वास्तव में हैं | आप एक उत्कृष्ट व्यक्ति, महान अर्थशास्त्री हैं और देश की सहायता कर रहे हैं | परन्तु यह बहुत मूल्यवान है | यह आंतरिक आधारभूत ढांचा का अंग है |

राजीव कुमार: बहुत बहुत धन्यवाद |

राजीव मल्होत्रा: आध्यात्मिक आधारभूत ढांचा जिसे भी भारत में फैलाना होगा |

राजीव कुमार: पूर्ण रूप से | भारत संतों की भूमि है |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

राजीव कुमार: और आध्यात्मिकता की |

राजीव मल्होत्रा: ऋषि और योगी |

राजीव कुमार: यहाँ हैं और उन्होंने सभी संभावित आध्यात्मिक पृष्ठभूमि के लोगों को सहायता प्रदान की है | यहां तक कि सेंट थॉमस इक्विनॉक्स को भी |

राजीव मल्होत्रा: सही कहा |

राजीव कुमार: जो यीशु के पहले शिष्य थे जिन्होंने यहां अपना मार्ग पाया | सहज का अर्थ आपके साथ जन्मा भी है | पूरी व्यवस्था हमारे भीतर पहले से ही है |

राजीव मल्होत्रा: हाँ | इसलिए, आपको किसी और वस्तु की आवश्यकता नहीं है |

राजीव कुमार: आप अब पहचान रहे हैं |

राजीव मल्होत्रा: फिर से खोज कर रहे हैं | इसे जागृत कर रहे हैं |

राजीव कुमार: यह आत्मबोध है |

राजीव मल्होत्रा: सही कहा |

राजीव कुमार: एक बार आपको वह आत्मबोध हो जाता है… दूसरा मार्ग जिससे इसने मेरी बहुत सहायता की है राजीव वो है अपने अहंकार और अपनी शर्तों पर नियंत्रण पाना… परा अहम्, जिसके बारे में जुंग ने बात की थी |

राजीव मल्होत्रा: सही |

राजीव कुमार: मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि यह अंतर-व्यक्तिगत संबंधों को बेहतर बनाने में सहायता करता है |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

राजीव कुमार: और यह बहुत महत्वपूर्ण है |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

राजीव कुमार: एक बेहतर समाज होने से

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

राजीव कुमार: और आपके आस-पास बेहतर वातावरण होने से | यह मेरी और यह हर किसी की सहायता करता है |

राजीव मल्होत्रा: यह अद्भुत है |

राजीव कुमार: धन्यवाद |

राजीव मल्होत्रा: यह समय निकालने के लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ | आपके समय की बहुत मांग है | यह एक महत्वपूर्ण एपिसोड रहा है क्योंकि यह डॉ राजीव कुमार को केवल एक सफल अर्थशास्त्री ही नहीं अपितु एक आध्यात्मिक साधक और नेता के रूप में भी दर्शाता है | वे अपने कॉलेज के दिनों में, जब हम सेंट स्टीफंस में एक साथ थे, युद्ध क्षेत्र में एक वास्तविक नक्सली होने के अनुभव से गुजरे हैं | वे उससे उबर गये, वापस लौटे और एक बहुत ही गहरे आध्यात्मिक व्यक्ति बन गये | यह एक महत्वपूर्ण प्रकार का अनुभव है जो बहुत कम लोगों को होता है | वे बाहरी विश्व के साथ आतंरिक आध्यात्मिक तत्त्व का सामंजस्य बिठाने में सक्षम हुए हैं | हमसे यह साझा करने के लिए धन्यवाद |

राजीव कुमार: इसे इस रूप में प्रस्तुत करने के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद | आपसे बात करना अद्भुत है | और मुझे आशा है कि हम इस बातचीत को जारी रखेंगे |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

राजीव कुमार: क्योंकि मैं आपसे जितना हो सके सीखना चाहता हूँ |

राजीव मल्होत्रा: हम अब कई बार कैमरे से हटकर बात करेंगे |

राजीव कुमार: अद्भुत !

राजीव मल्होत्रा: धन्यवाद !

राजीव कुमार: धन्यवाद, राजीव |

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