भारतीय इतिहास की कुछ अंतर्दृष्टियां / मीनाक्षी जैन – 3

अयोध्या राम जन्मभूमि कम्युनिस्ट विश्वासघात विशिष्ट

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मीनाक्षी जैन: और कई भारत की सराहना करते थे |

राजीव मल्होत्रा: हमारे पास त्रुटिपूर्ण छवि है कि ईस्ट इंडिया कंपनी ईसाई धर्मप्रचार के लिए थी | ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे लोगों ने अच्छे से अध्ययन नहीं किया है और वे मूर्ख प्रतीत होते हैं जब ऐसे वक्तव्य दिए जाते हैं |

मीनाक्षी जैन: एच एच विल्सन, जब वे ऑक्सफोर्ड के पहले बोडेन प्रोफेसर के रूप में वापस गए, तो केशब सेन के दादा के संपर्क में रहते थे | और उन्होंने कहा कि आप संस्कृत की मांग जारी रखें क्योंकि आपकी राष्ट्रीयता और पहचान इससे जुड़ी हुई है | अंग्रेजी शिक्षा के लिए आंदोलन को हतोत्साहित करने के लिए सबकुछ करें |

राजीव मल्होत्रा: हम वामपंथियों की कई बातों को दोष देते हैं, ये हमारे स्वयं के लोग हैं जिन्होंने मूर्खतापूर्वक इसकी मांग की | मूर्खों के इन समूहों ने सोचा कि वे महत्वपूर्ण हो जाएंगे | हम गोरा साहिब की भांति बन जाएंगे | एक श्वेत व्यक्ति के बाद अगली सबसे बड़ी बात स्वयं को वैसा सोचना है |

मीनाक्षी जैन: अच्छी बात यह है कि अब हम अपनी ऐतिहासिक गाथाओं के एक अंग को सही करने के लिए क्षमता, आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प प्राप्त कर रहे हैं | क्या मैं आपको अपनी नई परियोजना के बारे में बताऊं ? यह पूर्णतः आकर्षक परियोजना है | मोहम्मद हबीब से लेकर रोमिला थापर तक सभी वामपंथी इतिहासकारों ने अपने लेखन में मूर्तिभंजन को गौण करने का प्रयास किया है |

राजीव मल्होत्रा: मूर्तिभंजन मूर्तियों को तोड़ने की ईसाई और इस्लामी व्यवहार और विचारधारा है |

मीनाक्षी जैन: हाँ |

राजीव मल्होत्रा: मूर्तियों को तोड़ना, मूर्तियों को जलाना, और मूर्तियों व प्रतिमाओं की चोरी करना |

मीनाक्षी जैन: तो उन्होंने इसे कम करके दिखाया है और इनके अतिरिक्त कई पश्चिमी इतिहासकारों ने भी | अपने लेख: “टेम्पल डेस्ट्रकशन इन इन्डो-मुस्लिम स्टेट्स” में रिचर्ड ईटन ने कहा कि एक हज़ार से अधिक वर्षों में अधिक से अधिक 80 मंदिर नष्ट किये गए थे | रिचर्ड डेविस ने अपनी पुस्तक “लाइव्स ऑफ इंडियन इमेजेस” में कहा था कि तुर्कों के पूर्व के भारत में पहले से ही इसकी एक स्थापित परंपरा थी और तुर्क केवल इसका पालन कर रहे थे | फिर अन्य में शेल्डन पोलॉक |

मैंने इसकी जांच आरम्भ कर दी है | उनके द्वारा उद्धृत अधिकांश स्रोतों में, हिंदू स्रोत अधिकतर अनुपस्थित हैं | यदि हिंदुओं का इतना विनाश किया जा रहा था, तो उन्होंने अवश्य इसे कहीं लिखा होगा | संभवतः आधुनिक इतिहासकारों जैसा नहीं | मैंने उस साक्ष्य की खोज आरम्भ कर दी | मूर्ति के साथ क्या हुआ यह पता लगाने का यह एक बेहतर मार्ग लग रहा था |

मंदिर विशाल संरचनाएं थीं और संरक्षित नहीं की जा सकती थीं | परन्तु मूर्तियों की रक्षा हो सकती थी इसलिए ऐसा करने का प्रयास किया जा सकता था | कुछ विद्वानों ने इस पर काम किया है | मैंने पाया कि कैसे सावधानीपूर्वक हिंदुओं ने अपने देवताओं की रक्षा करने का प्रयास किया | वे उनकी रक्षा के लिए किसी भी सीमा तक चले जाते और कई शताब्दियों के बाद वे उन मंदिरों में उन मूर्तियों को पुनःस्थापित करते |

कोल्हापुर में 9वीं शताब्दी का महालक्ष्मी मंदिर था | संयोग से उस स्थल पर पहले से शक्ति माता की पूजा किये जाने के साक्ष्य हैं | जब दक्षिण में आक्रमण आरम्भ होते हैं, तो मूर्ति गायब हो जाती है और स्थानीय प्रशासन के कार्यालय के रूप में मंदिर का उपयोग आरम्भ होता है | संभाजी द्वितीय कोल्हापुर का शासक थे | राजा मंदिर आएंगे, महालक्ष्मी की पूजा करेंगे, अनुदान देंगे और मंदिर की दीवारों पर शिलालेख छोड़ जायेंगे | तो कोल्हापुर संभाजी द्वितीय कहते हैं: अब हम मूर्ति को पुनःस्थापित करने की स्थिति में हैं | वे मूर्ति की खोज आरम्भ करते हैं | और इसे एक भक्त के घर पर पाते हैं | मूर्ति को उस मंदिर में बहाल कर दिया जाता है और आज भी वहां पूजा की जा रही है |

मंदिर विनाश के लिए हिन्दुओं पर हुए आघात का वर्णन करते समय वे “तथाकथित” शब्द का उपयोग करते हैं, और यह कि हिंदुओं ने इसके बारे में नहीं लिखा | वे कहते हैं कि अंग्रेजों ने हिंदुओं और मुस्लिमों को विभाजित करने के लिए इसका निर्माण किया था | परन्तु हमें यह जानना है कि साक्ष्य कैसे ढूंढना है | एक विपरीत गाथा तैयार की जा सकती है और ये वही है जो मैं कई मंदिरों से साक्ष्य इकट्ठा करके करने का प्रयास कर रही हूँ |

राजीव मल्होत्रा: जब वे कहते हैं कि मंदिरों पर आक्रमण करना और मूर्ति ले जाना एक हिंदू परम्परा थी | वे यह इंगित करना चाहते हैं कि मूर्तियों को नष्ट किया जा रहा था, जबकि वे वास्तव में इसपर नियंत्रण स्थापित कर रहे थे, और इसके सम्मान में अपना मंदिर बना रहे थे |

मीनाक्षी जैन: विशाल मंदिर | केवल 6 या इसी के आस-पास प्रसंग थे |

राजीव मल्होत्रा: यह विनाश के स्थान पर मूर्ति की चोरी है |

मीनाक्षी जैन: यह एक सम्मान की बात है | आप भी यह मानते हैं कि मूर्ति इतनी आदरणीय है |

राजीव मल्होत्रा: तो आप इसे पाना चाहते हैं |

मीनाक्षी जैन: दूसरे प्रसंग में, मूर्ति को मस्जिद की सीढ़ियों पर रखा जाता है जिसे आप ठोकर मारते हैं |

राजीव मल्होत्रा: कुतुब मीनार में मैंने यह देखा है |

मीनाक्षी जैन: शैक्षिक रूप से दोनों की समानता अनुचित है |

राजीव मल्होत्रा: आपने एक विवादास्पद विषय पर अभूतपूर्व काम किया है और मैं इसके लिए आपकी सराहना करता हूँ |

मीनाक्षी जैन: धन्यवाद !

राजीव मल्होत्रा: अब मैं कुछ विषयों पर चर्चा करूंगा | मैंने तीन प्रकार के विरोधियों का सामना किया है | पहले पश्चिमी विद्वान, उनके अपने मैदान पर और फिर भारतीय वामपंथी | दोनों एक साथ काम कर रहे हैं | मैं हिंदू बुद्धिजीवियों में एक बड़ी समस्या पाता हूँ जो ईर्ष्या की ओर प्रवृत्त हैं, और उनके उच्च मानदंड नहीं हैं | सम्मेलनों में लोग राय देना चाहते हैं | उनमें दृढ़ता की कमी है | ऐसे लोगों का एक बड़ा समुदाय है जो सम्मेलनों, मंथन और कॉन्क्लेव में जाते हैं जहां बहुत कठिन शोध नहीं होता है |

मीनाक्षी जैन: इसके साथ बिल्कुल सहमत हूँ | मैं अपने शोध के दौरान कुछ पश्चिमी विद्वानों से मिलती हूँ | वे अपने और वामपंथियों के लेखन के विरुद्ध मेरी व्यग्रता देखते हैं और मुझसे प्रतिकूल साहित्य के लिए पूछते हैं | कोई प्रतिकूल साहित्य नहीं है | हिन्दू बौद्धिकों में, नारे ने शैक्षिक काम का स्थान ले लिया है |

राजीव मल्होत्रा: नई सरकार ने उस संबंध में सहायता नहीं की है |

मीनाक्षी जैन: मैं सहमत हूँ |

राजीव मल्होत्रा: जो लोग किसी पार्टी या राजनेता के प्रति स्वामिभक्त हैं, वे इन पदों को प्राप्त करते हैं और उनक संवाद का मानक बहुत तुच्छ है |

मीनाक्षी जैन: आश्चर्यजनक रूप से, इन सभी दशकों में, एक आंदोलन जो स्वयं को एक सांस्कृतिक आंदोलन कहता है, ने कोई गृहकार्य (होमवर्क) नहीं किया है | किसी भी विवादित विषय पर | परन्तु वामपंथ ने उस विषय पर काम किया है |

राजीव मल्होत्रा: हमारे जैसे स्वतंत्र रूप से काम करने वाले हैं जो इसे कर रहे हैं | हिंदू संगठनों ने हमारी सहायता नहीं की है |

मीनाक्षी जैन: हिंदू आंदोलन ने कोई व्यापक स्वदेशी शोधकार्य नहीं किया है |

राजीव मल्होत्रा: इसके लिए उन्हें अच्छे विद्वानों की आवश्यकता है जिन्हें वे उत्पन्न नहीं कर पाए हैं | और विद्वत्ता को लम्बी गर्भावस्था की आवश्यकता है | यह कोई कार्यक्रम नहीं है जहां आप कुछ लोगों को बुलाते हैं | बहुत से लोग काम किये बिना एक मेले से दूसरे में जाते हैं |

मीनाक्षी जैन: अनुसंधान करने की इच्छा भीतर से आनी चाहिए | आपको अपनी स्थिति के औचित्य से आश्वस्त होना होगा | कि आप एक सार्थक काम करने के लिए कई वर्षों का त्याग करने के लिए तैयार हैं | कड़ी मेहनत आकर्षक नहीं है |

राजीव मल्होत्रा: न केवल इच्छा बल्कि एक निश्चित बौद्धिक क्षमता भी चाहिए | अधिकाँश लोग वास्तव में औसत हैं | आईक्यू में बहुत अधिक मध्यमता का अस्तित्व है | वे तार्किक तर्कों में विश्वास नहीं करते हैं | वे तपस्या के बिना प्रसिद्धि चाहते हैं |

मीनाक्षी जैन: इसके साथ ही, उन्हें बौद्धिक कार्य का कोई अनुमान नहीं है जो किया जा रहा है जिसका उन्हें खण्डन करना है |

राजीव मल्होत्रा: प्रतिद्वंद्वी का पूर्वपक्ष | हमारे पास पोलॉक के काम पर 10 मंडलियां (पैनल) हैं और हमने शोधपत्र आमंत्रित किया है | हम वृत्ति देने के लिए तैयार हैं | एक प्रतीकात्मक हिंदू “विद्वान” ने इसे नहीं पढ़ा होगा परन्तु राय से भरा हुआ है |

मीनाक्षी जैन: मैंने एक व्यक्ति को कहा | आप इरफान हबीब से अवगत हैं | परन्तु अगली पीढ़ी के पश्चिमी विद्वानों का क्या जो काम को जारी रखे हैं ? भारत की दूसरी पीढ़ी के वामपंथी विद्वान इस विचारधारात्मक लड़ाई से बाहर निकल रहे हैं और अन्य शैक्षिक शोध कर रहे हैं | पश्चिमी विद्वानों की एक नई पीढ़ी ने बड़े पांडित्य का उत्पादन किया है और उनका प्रतिकार करना होगा | परन्तु वे नाम भी नहीं जानते हैं |

राजीव मल्होत्रा: आलस्य, अक्षमता, और अज्ञानता है | वे राजनीतिक लाभ में अधिक रुचि रखते हैं |

मीनाक्षी जैन: नहीं और केवल इसलिए …

राजीव मल्होत्रा: विचारों की बहुत सारी चोरी चल रही है | वे एक लेख या ब्लॉग लिखते हैं | मैं हर समय इसका सामना करता हूँ |

मीनाक्षी जैन: बहुत अधिक लेखन भी नहीं है | वे केवल कुछ पद पाना चाहते हैं |

राजीव मल्होत्रा: मैं कुछ लिखता हूँ या चर्चा करता हूँ और कुछ लोग इसकी प्रशंसा करते हैं | बाद में वे उसी विषय पर, अपने नाम पर, बिना कोई संदर्भ दिए लिखते हैं | ज्ञान और अनुसंधान से हीन हिंदू राजनीतिक संरचना में आगे बढ़ने के लिए | ऐसे लोग हैं जो आगे निकलने के लिए उस निर्वात को भरना चाहते हैं | यह एक समस्या है |

मीनाक्षी जैन: यह चौंकाने वाला है कि बौद्धिक रूप से हिन्दू कितने दुर्बल हो गए हैं | यहां तक कि सबसे प्रतिकूल स्थितियों और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी …

राजीव मल्होत्रा: वे गतिशील थे |

मीनाक्षी जैन: वे जानते थे कि विभिन्न स्थितियों का सामना कैसे करना है और उनकी पहचान, संस्कृति और विरासत को कैसे संरक्षित करना है | अब मैं हिंदू मस्तिष्क की दुर्बलता पाती हूँ |

राजीव मल्होत्रा: मैं इसे हिंदुओं का मंदबुद्धिकरण कहता हूँ | हिंदू मंदबुद्धि |

मीनाक्षी जैन: बौद्धिक जागरूकता बहुत कम है |

राजीव मल्होत्रा: हम ऐसे इतिहासकारों का खण्डन करते हुए एक भविष्यकालीन स्वदेशी इंडोलॉजी श्रृंखला विकसित कर रहे हैं | हम पोलॉक से आगे जा रहे हैं | हम रोमिला थापर, इरफान हबीब, उनके छात्रों और कुछ विचारधाराओं को उचुनना चाहते हैं | शोधपत्र आमंत्रित करना और नए लोगों को प्रोत्साहित करना | आपको लगता है कि यह रोचक है ?

मीनाक्षी जैन: हाँ | आपने एक गाथा लिखने में इतना योगदान दिया है |

राजीव मल्होत्रा: मान लें कि हम विद्वान बनाना चाहते हैं | इसलिए हमने विषय को लक्षित किया है और हमें भारत के सर्वश्रेष्ठ युवा इतिहासकार और राजनीतिक विचारक मिलते हैं | हम एक केंद्रित दृष्टिकोण चाहते हैं | कुछ महत्वपूर्ण शोध विषय क्या हैं ?

मीनाक्षी जैन: हर विषय पर बहुत कुछ किया जा सकता है | परन्तु दिल्ली विश्वविद्यालय में दशकों और एक शैक्षिक प्रणाली का अंग होना ने मुझे सिखाया है कि कोई युवा विद्वान जो अपना शोध आरम्भ कर रहा है, इन विषयों को नहीं छूएगा |

राजीव मल्होत्रा: वे क्या हैं ?

मीनाक्षी जैन: सभ्यता या संस्कृति के रूप में हमारे बारे में कुछ भी |

राजीव मल्होत्रा: मुझे कुछ उदाहरण दें |

मीनाक्षी जैन: जैसे मूर्तिभंजन | बहुत सारे हैं | रोमिला थापर जैसे लोगों का खण्डन करने का उनमें साहस नहीं होगा |

राजीव मल्होत्रा: यह मेरी शैली है |

मीनाक्षी जैन: क्योंकि विश्वविद्यालयों, में सभी प्रोफेसर …

राजीव मल्होत्रा: उनके द्वारा प्रशिक्षित हैं |

मीनाक्षी जैन: और जो नौकरी के लिए साक्षात्कार लेंगे | तो अगर आप भीड़ से हटकर हैं, तो आप बाहर हैं |

राजीव मल्होत्रा: परम्परा का अंग | नई सरकार इन संस्थानों की आंतरिक राजनीति को समझ नहीं पाती है जहां वामपंथी विचारों की पूरी परम्परा है | कुछ मध्यम हिंदू लोगों को डालने से कुछ भी नहीं होने वाला है |

मीनाक्षी जैन: आपको एक एजेंडा, विचारों वाले लोग और काम का अनुभव रखने वाले लोगों की आवश्यकता है |

राजीव मल्होत्रा: हम द्रविड़वाद से तमिलनाडु को वापस लेने पर एक सम्मेलन करेंगे | हमारे पास पुरातात्विक साक्ष्य हैं | डॉ नागास्वामी हमारे साथ काम करेंगे | द्रविड़वाद के खण्डन के लिए हम भाषाई, पुरातात्विक और ऐतिहासिक साक्ष्य देंगे | एक और आगम भी होगा |

मीनाक्षी जैन: क्या मैं कुछ कह सकती हूँ ? कि मिशनरियों ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई |

राजीव मल्होत्रा: निश्चित रूप से, वे अभी भी बहुत सक्रिय हैं | दूसरा आगमों पर है, मुख्यतः उपेक्षित परन्तु हिंदू ग्रंथों का बहुत बड़ा निकाय | फिर हम पश्चिमी इतिहासकारों के स्थान पर कुछ भारतीय इतिहासकारों / समूहों पर ध्यान केंद्रित करेंगे | फिर इन विदेशी भारत-विखंडन शक्तियों के परिणामस्वरूप भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा सम्बन्धी आशंकाओं पर कुछ | फिर अर्थशास्त्र जैसे पारंपरिक स्रोतों से आर्थिक और राजनीतिक सिद्धांतों पर और आज उनकी प्रयोज्यता पर | हमारे सलाहकार परिषद् में प्रोफेसर वैद्यनाथन हैं और वे उसका नेतृत्व करेंगे | हमारी रसायन-आधारित अर्थव्यवस्था से भिन्न वैदिक पर्यावरणवाद और इसकी आज की प्रयोज्यता पर एक | ये हमारे कुछ शोध के विषय हैं |

मीनाक्षी जैन: उनमें से प्रत्येक बहुत महत्वपूर्ण है |

राजीव मल्होत्रा: यह बहुत सारा काम है | आप पहले से स्थित विद्वान नहीं पाने जा रहे हैं |

मीनाक्षी जैन: आपको ढूंढना होगा …

राजीव मल्होत्रा: आपको कई वर्ष निवेश करने होंगे…

मीनाक्षी जैन: भूसे के ढेर में सूई की भांति |

राजीव मल्होत्रा: नहीं, ढूंढना नहीं | यह फल के पेड़ों को लगाने जैसा है जो अभी से कई वर्षों के बाद फल देगा | हम यही करने का प्रयास कर रहे हैं |

मीनाक्षी जैन: धन्यवाद और आपको शुभकामनाएं देती हूँ |

राजीव मल्होत्रा: हाँ | लोगों को मीनाक्षी जैन को उनकी बहन मानने के भ्रम में नहीं रहना चाहिए जो एक और सुप्रसिद्ध व्यक्ति हैं |

मीनाक्षी जैन: वे एक पत्रकार हैं |

राजीव मल्होत्रा: वे समय-समय पर मुझ पर आक्रमण करती हैं | उसका नाम संध्या जैन है | यदि मैं उनको महत्व देता हूँ, तो वे सनकी हो जाती हैं | इसलिए मैं उन्हें अनदेखा करता हूँ | कुछ समय पश्चात वे थक जाती हैं या कोई और उन्हें चुप रहने को कहता है | तब वे एक या दो वर्ष के लिए शांत रहती हैं और फिर से प्रारम्भ हो जाती हैं | लोग सोचते हैं कि वे वास्तव में पागल हो गई हैं और मैं इससे सहमत हूँ क्योंकि इसका कोई तर्क नहीं है | तो मीनाक्षी बहुत भिन्न शांत तर्कसंगत व्यक्ति हैं जिन्होंने बहुत सारे काम किये हैं | दोनों का मिश्रण न करें | इसलिए टिपण्णी पटल पर संध्या और मीनाक्षी में भ्रमित होकर बहुत सारी टिप्पणियाँ न करें |

मीनाक्षी जैन: धन्यवाद !

राजीव मल्होत्रा: इसके लिए धन्यवाद और हम संपर्क में रहेंगे | आपने हमारे शेल्डन पोलॉक सम्मेलन में भाग लिया है और एक अद्भुत शोधपत्र प्रस्तुत किया है | धन्यवाद !

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