राजीव मल्होत्रा: चीन के बनिस्पत भारत के बारे में आप कैसा अनुभव करते हैं ? क्योंकि विश्व इस रूप में इसे देखता है | चीन को कई दशकों की आरंभिक बढ़त मिली हुई थी | उन्होंने बड़ी मात्रा में धन इकट्ठा कर लिया | दोनों – वैध साधनों और कभी-कभी अन्य माध्यमों से नई तकनीकें लाया | आज विश्व उसके लंबवत एकीकृत विनिर्माण आधार पर निर्भर करता है | अब चीन संसाधनों, दरिद्र देशों, आपूर्तिकर्ताओं और व्यापार मार्ग को क्रय करने के लिए अपनी पकड़ का उपयोग कर रहा है | साथ ही सामरिक व भू-राजनीतिक रूप से भी | उनके पास एक रणनीति है | वे एक शक्ति के रूप में प्रतीत होते हैं जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है | भारत इस विशाल चीनी चुनौती से कैसे निपट रहा है ? जो 20 वर्ष पहले अस्तित्व में नहीं था |
राजीव कुमार: सदियों से चीन हमारा पड़ोसी और साथी रहा है |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
राजीव कुमार: मेरे कुछ चीनी मित्रों ने मुझे बताया है कि उन्होंने आविष्कार के संदर्भ में शेष विश्व को सदैव दिया है और उन्हें उस पर बहुत गर्व है | परन्तु भारत एकमात्र ऐसा देश है जिससे उन्होंने लिया है |
राजीव मल्होत्रा: हाँ !
राजीव कुमार: हमारा एक बहुत ही भिन्न प्रकार का सम्बन्ध है जो सदियों पुराना है | दूसरा, हम अपनी उत्तरी सीमा उनके साथ साझा करते हैं | तीसरा, मैं 60 करोड़ लोगों को अति-दरिद्रता से निकाले जाने के कारण चीन से बहुत प्रभावित हूँ |
राजीव मल्होत्रा: हाँ | एक निर्विवाद उपलब्धि | इतिहास में अभूतपूर्व |
राजीव कुमार: हाँ | लगने वाला समय और वास्तविक दरों पर 10% की वृद्धि दर अविश्वसनीय है | हमें उनसे सीखना होगा कि उन्होंने इस प्रकार की उपलब्धि कैसे पाई | परंतु मुझे लगता है कि तुलना उचित नहीं है | हम पूर्णतः भिन्न हैं | एक यह है कि वे 98% हान समुदाय हैं | हम 1,200 भाषाओं और 12,000 बोलियों के साथ विविध हैं | प्रत्येक 25 किलोमीटर पर भोजन, भाषा और बोली में परिवर्तन हो जाता है | हमारी विविधता महाद्वीपीय है | इस देश में नीति के पालन के लिए केंद्र सरकार को इसे 24 विभिन्न भाषाओं में अनुवादित करने की आवश्यकता होती है | यह महंगा है | यह पहली बात है | चीन जैसी आर्थिक सफलता प्राप्त करने के लिए हमें बहुत अधिक प्रयास करने की आवश्यकता होती है | अधिक महत्वपूर्ण बात यह है राजीव कि हमारे पूर्वजों ने निर्णय किया कि हम अपने तीनों परिवर्तन एक साथ करेंगे | सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक | हम उन्हें, जैसा शेष विश्व ने किया है, उसी प्रकार क्रमशः (बारी-बारी से) नहीं कर सके |
राजीव मल्होत्रा: यह एक बहुत महत्वपूर्ण विषय है | तीनों परिवर्तन को समानांतर और अंतर्संबंधित होना चाहिए |
राजीव कुमार: हाँ | और समकालिक | उत्तरी अमेरिका ने अपनी आर्थिक शक्ति और पूंजीवाद को कैसे विकसित किया ?
राजीव मल्होत्रा: दासता की सहायता से |
राजीव कुमार: इससे पहले मूल-निवासियों को मारकर |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
राजीव कुमार: अर्थात् यह अन्य लोगों के कंधे पर चढ़कर हुआ | और अनुक्रम में | अंग्रेजों ने अपनी महिलाओं को औद्योगिक क्रांति के कई वर्षों के बाद 1923 में वोट देने का अधिकार दिया |
राजीव मल्होत्रा: सही कहा |
राजीव कुमार: परन्तु 1950 से हमारे पास एक संविधान और उदार संसदीय लोकतंत्र था | हमने अपनी आरक्षण और सकारात्मक भेदभाव की नीति लागू की | हमने अपना आर्थिक परिवर्तन आरम्भ किया | विश्व में किसी अन्य देश ने इसका प्रयास नहीं किया है |
राजीव मल्होत्रा: इतने बड़े स्तर पर |
राजीव कुमार: इसलिए हमें इस परिवर्तन के लागत मूल्य का भुगतान करना पड़ा है और इसलिए हमारा आर्थिक परिवर्तन धीमा रहा है |
राजीव मल्होत्रा: सही कहा |
राजीव कुमार: परन्तु हमारी जो उपलब्धि रही है उसे देखें | सामाजिक पिरामिड का एक पूर्ण व्युत्क्रमण | चार बार एक दलित महिला इस देश के सबसे बड़े राज्य की मुख्यमंत्री बनीं हैं |
राजीव मल्होत्रा: सही |
राजीव कुमार: और अपना कार्यकाल पूरा किया |
राजीव मल्होत्रा: सही |
राजीव कुमार: तमिलनाडु जहां आप नहीं जानते कि अगड़ी जाती के लोग कहाँ हैं सिवाय प्रमुख रूप से सिलिकॉन वैली में |
राजीव मल्होत्रा: सही |
राजीव कुमार: यह सब बहुत अधिक हिंसा के बिना हुआ | इसी प्रकार राजनीतिक परिवर्तन के लिए हमारे संस्थान अब तक में सबसे सशक्त और लचीले हैं | विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि उन्हें (भारत को) पांच वर्ष का समय दिया जाए और फिर वे हमारे पास भीख मांगते हुए आयेंगे कि हमपर शासन करें | सोचा था कि हम पूर्णतः शासन के अयोग्य थे | चीन ने अपना परिवर्तन पूरा नहीं किया है | चीन ने आर्थिक परिवर्तन के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया है और ऊपरी मध्यम आय वाला देश बन गया है | परन्तु राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन अभी तक नहीं हुआ है | हमें अगले तीन दशकों में अपना आर्थिक परिवर्तन अवश्य पूरा करना है | उभर रही अर्थव्यवस्थाओं के सभी समाज यही चाहते हैं | शेष उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए भारत आदर्श होगा | एक वास्तविक बहुलवादी समाज होने के लिए जो यूरोप और अमेरिका भी बनने के लिए संघर्ष कर रहे हैं |
राजीव मल्होत्रा: यह उत्कृष्ट है | मैंने इसे इस रूप में व्यक्त किया हुआ नहीं सुना है | तो आप कह रहे हैं कि एक समय में एक आयाम को विकसित करने के स्थान पर एक व्यापक पारिस्थितिक तंत्र विकसित किया जा रहा है |
राजीव कुमार: सामाजिक प्रणाली |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
राजीव कुमार: हम अपने बहुलवाद को इस ढंग से संभाल रहे हैं जैसा कोई अन्य देश करने में सक्षम नहीं रहा है | विभिन्न समुदाय यहां रहने में सक्षम हैं | यहाँ तक कि आरएसएस सरसंघचालक ने पूरे सिद्धांत को संशोधित किया है जो पूर्ववर्तियों ने प्रतिपादित किया था | क्यों ? क्योंकि उन्होंने यह स्वीकार किया है कि भारत को बहुलवादी समाज बने रहना है और सभी को एक साथ आगे ले जाना है | हमारे प्रधान मंत्री ने कहा है, सबका साथ सबका विकस |
राजीव मल्होत्रा: बहुत अच्छा |
राजीव कुमार: और हम इसे करने के सिरे पर हैं | महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण के लिए भी ऐसा ही है |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
राजीव कुमार: हमने इन सभी अतिरिक्त लागतों को अपनी यात्रा में सम्मिलित किया है | हमने यह नहीं कहा है कि हम अनुक्रमिक रूप से काम करेंगे
राजीव मल्होत्रा: चीन ने कहा, हम पहले इसे सिद्ध करेंगे और कुछ लोगों को प्रतीक्षा करनी होगी |
राजीव कुमार: और साथ ही हम पुनःसंयोजित करेंगे |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
राजीव कुमार: हमने यह नहीं किया है |
राजीव मल्होत्रा: एक बहुत केंद्रीकृत ऊपर से नियंत्रित अधिनायकतावादी प्रणाली में यह संभव है जो कि हम दीर्घकालिक, अल्पकालिक रूप से इष्टतमीकरण (ऑप्टिमाइजेशन) कर रहे हैं, कुछ उपेष्टतम (सबओप्टिमल) समाधान हैं, हमें इसके साथ आरम्भ करना होगा, जबकि हमने कहा, चलिए सभी को एक साथ आगे बढ़ाने का प्रयास करें |
राजीव कुमार: और लोग एक-दूसरे से उतने भिन्न हैं जितनी आप कल्पना कर सकते हैं |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
राजीव कुमार: यह गर्व करने योग्य है |
राजीव मल्होत्रा: क्योंकि यह बहुत उल्लेखनीय है | आइए डिजिटल विश्व के बारे में बात करते हैं | क्या आपको लगता है कि भारत पर डिजिटल उपनिवेश बनने का संकट मंडरा रहा है ? हमारे प्लेटफार्म को गूगल, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट द्वारा नियंत्रित किया जाता है | सभी प्रमुख तकनीकी मंच जिनपर हम चल रहे हैं सामान्यतः अमेरिका द्वारा नियंत्रित होते हैं | जैसे अमेज़न | फ्लिपकार्ट को वॉलमार्ट द्वारा क्रय कर लिया गया है | डिजिटल अर्थव्यवस्था वह क्षेत्र है जिसमें हमारे लिए एक बड़ा भविष्य है | परन्तु हम व्यक्तिगत श्रमिक हैं जैसे कोई व्यक्ति जो किसी और के घर के लिए ईंटें बिछाता है | अंत में मेरा काम समाप्त हो जाता है और मुझे एक और ग्राहक ढूंढना है | परन्तु मेरे पास एक भी ईंट का स्वामित्व नहीं है जिस पर मैं काम कर रहा हूँ | हम कोड या प्लेटफॉर्म के स्वामी नहीं हैं | हम इसे विदेशी शेयरधारकों के लिए कर रहे हैं | तकनीकी क्रांति ने देश में बहुत-सी प्रतिभा लाने, हमारे लोगों को शिक्षित करने और नकद प्रवाह बनाए रखने में सहायता की है | यह सब अच्छा है | परन्तु इन प्लेटफार्मों का स्वामित्व विदेशी संस्थाओं के हाथ में रहा है | चीन ने बहुत लंबे समय तक इन विदेशी लोगों को अनुमति नहीं दी | गूगल और फेसबुक के स्थान पर उनके पास अपने स्वयं के अलीबाबा और अन्य विशालकाय संगठन थे | इसलिए आज वे डिजिटल प्लेटफार्म के सन्दर्भ में पश्चिम से प्रतिद्वंदिता कर सकते हैं | क्या कोई डिजिटल उपनिवेशीकरण है जिसमें हम विदेशियों पर निर्भर हैं ?
राजीव कुमार: नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता है राजीव | लोगों ने नकारात्मक शब्दों का उपयोग किया है जैसे डिजिटल कूली | यह हमारे ऊपर लगा है |
राजीव मल्होत्रा: हाँ, साइबर कूली |
राजीव कुमार: हाँ | वह हमारे ऊपर लगा है | क्योंकि सामान्यतः श्री ट्रम्प ने हमारे लिए हमारे साइबर विशेषज्ञों को निर्यात करने की क्षमता को बहुत कठिन बना दिया है | कुछ बातें | पहला, हमारे पास कोई विकल्प नहीं था परन्तु एक खुला समाज और अर्थव्यवस्था होने के लिए | हमारी विविधता, हमारी संघीय प्रकृति, और चीन जैसा नियंत्रित करने में हमारी असमर्थता के कारण | भले ही हमने कुछ विषयों पर प्रतिबंध लगा दिया होता, वे कुछ राज्यों में पिछले द्वार से प्रविष्टि पा लेते | दूसरा हम हैं डब्ल्यूटीओ/विश्व बैंक के संस्थापक सदस्य और बहुपक्षीय उदार आर्थिक व्यवस्था के मतदाता सदस्यों में से एक | चीन नहीं है | हमने खुली अर्थव्यवस्था और समाज बने रहकर अंतरराष्ट्रीय संधियों और दायित्वों के प्रति अपनी वचनबद्धताओं का पालन किया है | 1991 का उदारीकरण इस तथ्य पर आधारित था कि हमारे पास एफडीआई और विदेशी पूंजी प्रवाह वाली एक खुली अर्थव्यवस्था होगी | आप बिल्कुल सही हैं और उनमें से कुछ ने हमारी नई कंपनियों का अधिग्रहण कर लिया है | पेटीएम, जो एक अद्भुत नवाचार है, में अब सॉफ्ट बैंक या अलीबाबा से इक्विटी (शेयर) निवेश है | इससे क्या अंतर पड़ता है ? यह भारतीय लोगों को रोजगार दे रहा है और भारतीय ग्राहकों की सेवा कर रहा है |
राजीव मल्होत्रा: मैं सहमत हूँ कि यह एक भारतीय प्लेटफॉर्म है |
राजीव कुमार: परन्तु इसमें अलीबाबा की शेयरधारिता 40% / 50% है | इसी प्रकार यदि वॉलमार्ट के पास फ्लिपकार्ट है, जिसका उन्होंने अधिग्रहण किया है | इससे क्या अंतर पड़ता है ?
राजीव मल्होत्रा: तो, वे भारत आधारित प्लेटफॉर्म हैं | परन्तु उदाहरण के लिए जीमेल का निरीक्षण, आवेक्षण और अध्ययन कहीं और किया जा रहा है, और हमारी सभी संवेदनशील जानकारी सुलभ है |
राजीव कुमार: मैं उस पर आने वाला था | मेरा लगभग दृढ़ विश्वास है… उस समय चीन के लिए देंग सियाओपिंग ने जो कहा, कि हम इस देश में अपने युवाओं के पूर्ण रोजगार के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं हमें उसे करना है | चाहे हम डिजिटल उपनिवेश बनें या कुछ और, मेरे लिए वो कम महत्वपूर्ण है | क्योंकि यदि हम अपने युवाओं की अच्छी गुणवत्ता वाली नौकरी पाने की आकांक्षाओं को पूरा नहीं करते हैं तो हम असफल होते हैं और शेष उद्देश्य और कम महत्वपूर्ण बन जायेंगे | साइबर सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है | सरकार के भीतर हमारे पास पहले से ही एक प्रणाली है | पर्याप्त फायरवॉल वाली सुरक्षित प्रणाली जो एनआईसी द्वारा संचालित है | परन्तु हाँ, हम अपने ईमेल विकसित कर सकते हैं | जीमेल को एक भारतीय ने विकसित किया था जिसने इसे बेच दिया था | तीसरा भाग यह है कि हम ऐसे अभिनव उद्यमशील समाज हैं कि यदि कुछ समाप्त हो रहा होता है, तो कुछ और जन्म लेता है | ओयो उभर रहा है | टीसीएस, विप्रो और इंफोसिस वेतन के अंतर से आगे बढ़ चुके हैं सिस्टम समाकलक की ओर | नए खिलाड़ी उभर रहे हैं और इसलिए मैं चिंतित नहीं हूँ | मैं डिजिटल रूप से विभाजित समाज बनने को लेकर अधिक चिंतित हूँ |
राजीव मल्होत्रा: हाँ यह दूसरा भाग है कि हमारे पास डिजिटल संपन्न और असम्पन्न हो सकते हैं |
राजीव कुमार: यही वो क्षेत्र है जिसमें इस सरकार ने बड़े कदम उठाए हैं |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
राजीव कुमार: अगले वर्ष के अंत तक हम अपने सभी 250 हजार ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ने जा रहे हैं |
राजीव मल्होत्रा: अति उत्कृष्ट !
राजीव कुमार: अब तक 110 हजार जुड़ चुके हैं | हम इस देश में 1.75 लाख किलोमीटर ऑप्टिकल फाइबर लगा रहे हैं | ताकि हर गांव अगले पांच वर्षों में जुड़ा होगा | ताकि डिजिटल विभाजन को होने की अनुमति नहीं दी जाएगी | इस देश में प्रत्येक बच्चे की इंटरनेट तक पहुंच होगी | हमारी इंटरनेट गहनता आश्चर्यजनक रूप से सुधर रही है | हम विश्व में सबसे बड़ा डेटा उपभोक्ता हैं | दूरसंचार कंपनियों में से एक द्वारा प्रचलित की गई आन्दोलनकारी तकनीक के कारण मूल्यों में बहुत कमी आई है |
राजीव मल्होत्रा: अवश्य |
राजीव कुमार: हमारा प्रति व्यक्ति डेटा उपयोग बढ़ रहा है | एक बार जब हम भारत नेट पूर्णतः चला लेंगे और 3 लाख सीईसी या कंप्यूटर सेवा केंद्र गांवों में सभी सेवाएं प्रदान करने लगेंगे, तब हम डिजिटल उपनिवेश होने की किसी भी धारणा को समाप्त कर देंगे |
राजीव मल्होत्रा: अर्थात्, मैं आशा कर रहा हूँ यहाँ अभिनव प्रयोगशालाओं, टिंकरिंग प्रयोगशालाओं, और अगले मार्क जुकरबर्ग जैसे लोगों को जन्म देने की | उदाहरण के लिए उबर जो अरबों डॉलर की बाजार पूंजी के साथ एक विशाल कंपनी है, एक बहुत ही रोचक विचार है, परन्तु एक बहुत ही सरल विचार है | ओला ने इसे दोहराया परन्तु आरम्भ करने वाला होना आपको विश्व स्तर पर ले जाता है | ऐसा कोई कारण नहीं है कि भारतीय ऐसा नहीं कर सकते हैं | वही भारतीय जब उसी मस्तिष्क के साथ विदेश जाते हैं तो बहुत सफल होते हैं | इसलिए हमें आवश्यकता है एक उपयुक्त वातावरण, साहस, और आत्मविश्वास की | आईआईटी और इंजीनियरिंग महाविद्यालयों में इन्क्यूबेशन प्रयोगशालाएं होनी चाहिए | उन्हें केवल अपने विद्यार्थियों को आउटसोर्सिंग कंपनियों में नौकरियां दिलाने का प्रयास नहीं करना चाहिए बल्कि उन्हें स्टैनफोर्ड की भाँती उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए |
राजीव कुमार: मैं पूर्णतः सहमत हूँ | हमारे सभी आईआईटी में इन्क्यूबेशन केंद्र हैं | 50 अटल इनक्यूबेशन केंद्र होंगे जो मार्च के अंत तक आईआईटी से जुड़े होंगे |
राजीव मल्होत्रा: बहुत अच्छा !
राजीव कुमार: उनमें से कुछ उनके प्रांगणों में स्थित हैं | हम इस देश में उद्यमिता को बढ़ावा देने के काम में संलग्न हैं क्योंकि,
राजीव मल्होत्रा: क्योंकि भारत उद्यमियों की भूमि है |
राजीव कुमार: यह हमारा भविष्य है | योजना आयोग ठीक इसके विपरीत था | परन्तु नीति आयोग यह कर रहा है | हमने छह मंत्रालयों में एसबीआईआर, लघु व्यवसाय नवाचार अनुसंधान कार्यक्रम आरम्भ किया है | अगले बजट में, छह मंत्रालय छोटे व्यवसायों में नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए एक बड़ी राशि को पृथक कर देंगे |
राजीव मल्होत्रा: बहुत अच्छा !
राजीव कुमार: क्योंकि कई लोग जिन्होंने आरम्भ किया है, उन्हें विस्तार करने की आवश्यकता है | परन्तु वे नहीं जानते | केवल स्टार्टअप खोलने के स्थान पर हम व्यापकता चाहते हैं | एसबीआईआर कार्यक्रम ऐसा करेगा | हम सहभागिता (सिनर्जी) को प्रोत्साहित करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रणालियों को निजी क्षेत्र के साथ जोड़ने जा रहे हैं | एक और बात, और इसमें एक मिनट लग जाएगा | हमारे देश में किये जाने वाले सबसे बड़े कामों में से एक है विभिन्न भागीदारों के बीच विश्वास निर्माण | और मुझे आशा है कि नीति आयोग सहायता कर सकता है | उद्योग, सरकार, शिक्षा जगत और नागरिक समाज संगठन के बीच विश्वास निर्माण करना चाहिए ताकि हम सभी एक ही लक्ष्य के लिए एक ही धरातल पर काम कर रहे हों |
राजीव मल्होत्रा: बहुत अच्छा |
राजीव कुमार: एक बार ऐसा होता है तो बहुत अधिक सहभागिता होगी | आपने उल्लेख किया था कि जब भारतीय विदेश जाते हैं तो वे सफल होते हैं | जिसकी कमी है वो इस विश्वास की कि मैं जो कुछ करता हूँ उसका समर्थन किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किया जाएगा |
राजीव मल्होत्रा: सही कहा |
राजीव कुमार: हम इसे नीति आयोग में कर सकते हैं |
राजीव मल्होत्रा: और अच्छे अनुकरणीय मॉडल तैयार कर सकते हैं |
राजीव कुमार: प्रधानमंत्री का बड़ा उद्देश्य यही है | एक ही धरातल पर सभी को लाने और आगे बढ़ाने में सक्षम होना |