भारत में विचारधारा की लड़ाई / मोहनदास पाई — 1

भारतीय महागाथा विशिष्ट

राजीव मल्होत्रा: हम विदेशी आक्रमणकारियों के बारे में बात कर रहे थे | भारत क्यों विदेशी आक्रमणकारियों के सामने बारबार घुटने टेकता था, इसका क्या हमने भली-भाँति विश्लेषण किया है और इसे समझ लिया है, ताकि हम अपनी त्रुटियों को आगे भी न दुहराएँ ? या विदेशी आक्रमणकारियों के सामने हारने की उतनी ही संभावना आज भी बनी हुई है, जितनी पहले रहती आई है ? क्योंकि आईसिस पहले के आक्रमणकारियों के ही समान हैं |

मोहनदास पाई: राजीव, मेरा मानना है कि एक देश के रूप में हम सुरक्षित हैं और कोई भी हमें जीत नहीं सकता, चाहे वह चीन हो या पाकिस्तान या और कोई | हमारी सेना शक्तिशाली है | हम सब अपने देश से प्यार करते हैं | हम देशभक्त हैं, राष्ट्रवादी हैं, और संगठित हैं | आवश्यकता पड़ने पर लोग लड़ने के लिए सामने आ जाएँगे | अब इस देश पर नियंत्रण करना किसी के लिए भी संभव नहीं है | कोई भी हम पर उँगली उठाने का साहस नहीं कर सकता है | युवा लोग राष्ट्रवादी हैं, देशभक्त हैं और उन्हें अपना देश प्यारा है | पर, विष घोला जा रहा है, हमारे मनों में | लड़ाई का मैदान हमारा मन है, कुरुक्षेत्र विचारों का है |

राजीव मल्होत्रा: सही है |

मोहनदास पाई: और यह लड़ाई हमारी अस्मिता की लड़ाई है | वामपंथी लोग जिन्होंने हमारा इतिहास लिखा है, हमें असहिष्णु कह रहे हैं, और हमारे बारे में भिन्न-भिन्न प्रकार का बकवास लिख रहे हैं, कह रहे हैं कि गोमांस पर प्रतिबंध खाने की वस्तुओं पर निषेध है | ये लोग हम सबके विरुद्ध एक आधारभूत लड़ाई लड़ रहे हैं और यह लड़ाई लड़ी जा रही है, हमारे मस्तिष्क में |

राजीव मल्होत्रा: सही है |

मोहनदास पाई: वे हमें अपनी अस्मिता से वंचित करना चाहते हैं, क्योंकि इसी के ज़रिए वे राजनीतिक सत्ता हथिया सकते हैं, हमारे मनों पर नियंत्रण पाकर | वे पिछली शासन-व्यवस्था के लाभार्थी हैं |

राजीव मल्होत्रा: सही है |

मोहनदास पाई: अचानक वे सत्ता से वंचित हो गए हैं क्योंकि शासन व्यवस्था बदल गई है और वे यही लड़ाई लड़ रहे हैं | उन्हें विदेशी अधीनस्थवादी मिल गए हैं – अमरीका के विश्वविद्यालयों के लोग, जो हमारे विश्वासों और सभ्यता को पचा बैठे हैं | राजीव, आपने इसके बारे में लिखा है | वे इसे सब उलट-पुलट देते हैं, सभी चीज़ों की दोषपूर्ण व्याख्या करते हैं, अपने विचारों को हम पर थोपते हैं और हमें बताते हैं कि उनकी दृष्टि में हम क्या हैं | हम भी मूर्ख हैं जो कि इस सब बकसास को मान बैठते हैं |

लड़ाई हमारे मस्तिष्क के लिए हैं क्योंकि जो लोग आकर यह सब करते हैं, वे विदेशों में पढ़े लोग हैं | वे विदेशों के इशारों पर नाचने वाले लोग हैं और वे उनके आदेशों का पालन कर रहे हैं | वे भारतीयों के रूप में हमारी कोई सेवा नहीं कर रहे हैं | यह लड़ाई भौतिक लड़ाई नहीं है | यह मन की लड़ाई है, हमारी अस्मिता को बनाए रखने की लड़ाई, हमारी सभ्यता को समझने की लड़ाई | यह हमारे वेदों और गीता के संदेशों को जानने, और इन्हें भारतीयों को बताने की लड़ाई है, कि मानव जाति की समस्याओं का समाधान इनमें निहित है | हमारे हिंदू दर्शन और धर्म टिकाऊ जीवन-शैलियों के लिए आदर्श समाधान प्रस्तुत करते हैं | राजीव, सांस्कृतिक रूप से हम प्रकृति के सामंजस्य में हैं |

राजीव मल्होत्रा: सही है |

मोहनदास पाई: हम प्रकृति पर न तो विजय पाते हैं न ही उसे दास बनाते हैं | हम प्रकृति से बस उतना लेते हैं जितनी हमारी आवश्यकता है, और हम सरल जीवन व्यतीत करते हैं | ठीक है ? व्यक्तिगत संग्रह और धन-संपत्ति हमारे जीवन का उद्देश्य नहीं है | हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं समाज और परिवार के प्रति हमारा उत्तरदायित्व | हम ज्यादा और ज्यादा उपभोग करने की मंशा नहीं रखते हैं |

राजीव मल्होत्रा: सही है |

मोहनदास पाई: हम प्रकृति का नाश नहीं करते, न ही उसे जीतते हैं | हम प्रकृति की आराधना करते हैं, अपने आपको उसी का अंग समझते हैं |

राजीव मल्होत्रा: सही है |

मोहनदास पाई: इसी दर्शन को हमें पोषित करना है | हमारी व्यवस्था एक खुली व्यवस्था है और हम मानते हैं कि हम सब परमात्मा की संतानें हैं और परमात्मा सभी जगह मौजूद हैं | इसके विपरीत, हम ऐसे मतों के साथ लड़ रहे हैं जो हमें अपने इस धर्म से विचलित करके उनके मतों में बहलाकर लाना चाहते हैं क्योंकि वे मानते हैं कि आप तभी स्वर्ग जा सकते हैं जब आप उनकी पुस्तक का अनुसरण करें | और, राजीव, यदि ऐसा कोई ईश्वर है जिसने यह विश्व बनाया है, तो क्या आप सोचते हैं कि वे ऐसे लोगों को बनाएँगे जो उन पर विश्वास नहीं करते हैं ? ईश्वर आपको और शैतान को सज़ा देंगे | यह सब बकवास है, जिसे हमारे मनों में भरा जा रहा है |

राजीव मल्होत्रा: हर व्यक्ति पापी होकर पैदा हुआ है |

मोहनदास पाई: क्या नवजात बच्चा पापी होकर इस विश्व में आया है ?

राजीव मल्होत्रा: सही है |

मोहनदास पाई: क्या कोई शिशु जन्म के समय से ही पापी है ? यह पापी होने का विचार ही मूर्खतापूर्ण है | वे आपके मन को पूरा-पूरा धो डालते हैं | और फिर सुसमाचार – कि कोई आपके लिए मरा है, जिससे आप बच गए हैं | यह सब बिलकुल बेसिरपैर की बातें हैं | हमारी व्यवस्था इसकी तुलना में बिलकुल ही खुली और विवेक-संपन्न है और हमें उसी का प्रचार करना होगा क्योंकि हमने कभी भी किसी पर युद्ध नहीं थोपा है |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

मोहनदास पाई: कभी किसी की हत्या नहीं की है |

राजीव मल्होत्रा: तब भी नहीं जब हम अपने पड़ोसियों से अधिक शक्तिशाली थे |

मोहनदास पाई: कभी किसी को नहीं मारा है, कभी किसी के साथ युद्ध नहीं किया है, कभी किसी को जीतने का प्रयास नहीं किया है | हम दूसरों के साथ समजंस्य में रहते आए हैं |

राजीव मल्होत्रा: हमने कभी यह दावा नहीं किया है कि हमें ईश्वर से अधिकार प्राप्त है कि हम अपने विचारों को दूसरों पर थोपें |

मोहनदास पाई: या कि हम सभी पर विजय पाएँ और अपनी वृद्धि करें और सभी दूसरे लोगों को हमारे जैसे बनाएँ | यह मानव-जाति की समस्याओं के लिए एक रामबाण समाधान है, और हमें इसका प्रचार करना होगा | हमें अपने बच्चों को हर भारतीय को यह बताना होगा | हमारे यहाँ सामाजिक समस्याएँ हैं, जैसे विभेदीकरण और भेद-भाव, जो सब दरिद्रता और सामाजिक ठहराव के परिणाम हैं | जैसे-जैसे समाज समृद्ध होता जाएगा, इनमें से कई समस्याएँ अपने आप दूर हो जाएँगी |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

मोहनदास पाई: जब दरिद्रता दूर हो जाएगी, उत्पीड़न भी दूर हो जाएगा, और मध्यम वर्ग का विस्तार होने से कई दूसरी समस्याएं भी सुलझ जाएँगी | महिलाओं का शिक्षण बढ़ने से महिला सशक्तीकरण होगा | कानून का प्रवर्तन दुर्बल और शक्तिशाली, दोनों के लिए होगा | यदि कानून का प्रवर्तन न किया जाए, तो शक्तिशाली और अधिक शक्तिशाली हो जाएँगे, और वे राज्य को अपने निजी लाभ के लिए कठपुतली की तरह नचाने लगेंगे | हमें इन आधारभूत समस्याओं का हल निकालना होगा |

हमें अंततः जीवन के सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न का उत्तर खोजना होगा | हमारे अस्तित्व का उद्देश्य क्या है ? हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है ? क्या वह संपत्ति या सत्ता बटोरना है ? दूसरों पर हावी होना और दूसरों को मारना है ? या कि वह मन की शांति पाना है ? सामरस्य ? हम मानव-जाति के सामने आने वाले बड़े प्रश्नों की ओर ध्यान देते हैं, और उनका उत्तर देने का प्रयास करते हैं | हम ईश्वर की सुन्दरता देखकर प्रसन्न होते हैं | और अपने जीवन के हर दिन को इस प्रकार व्यतीत करते हैं कि वह हमें पहले से बेहतर बना देता है और विश्व को आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर बना देता है | और हम लालच के फेर में पड़कर आने वाली पीढ़ियों के हिस्सों को हड़पकर उसे आज ही खपा नहीं डालते हैं |

राजीव मल्होत्रा: बहुत अच्छे |

मोहनदास पाई: ये महत्वपूर्ण प्रश्न हैं और हमें इन्हें आगे ले जाना होगा |

राजीव मल्होत्रा: ज्ञान और बौद्धिक कुरुक्षेत्र के संबंध में मैं एक काम कर रहा हूँ, जिसके बारे में सुनकर आपको अच्छा लगेगा | मैं रोमिला थापर पर पाँच भागों की एक श्रृंखला कर रहा हूँ |

मोहनदास पाई: बहुत सुन्दर |

राजीव मल्होत्रा: इनमें मैं उनके पूरे काम की समीक्षा करूँगा | वे पाँच मुख्य विषयों पर लिखती हैं और मैं इनमें से प्रत्येक का विश्लेषण करके उनके बारे में अपना उत्तर दे रहा हूँ | जैसे, क्या भारत एक राष्ट्र है ?

मोहनदास पाई: आपको आज समाज के समक्ष जो विचार उपस्थित हैं, उनमें जो झूठ और पूर्वाग्रह भरा पड़ा है, उसे उजागर करना होगा |

राजीव मल्होत्रा: हाँ | तो, हर सप्ताह मैं एक विषय को लूँगा | हिंदू धर्म की वैधता के बारे में उनके विचार, क्या भारत एक राष्ट्र है, और आर्यों के यहाँ आने की परिकल्पना | मैंने उनके काम को लेकर इन पाँच मुख्य विषयों में उसे बाँटा है | मैं कोई एक बिंदु उठाऊँगा, उस पर उनके विचारों को वीडियो अंशों की मदद से प्रस्तुत करूँगा, फिर इसका अपना प्रतिवाद प्रस्तुत करूँगा | हमें इस तरह की चीज़ करते रहना चाहिए |

मोहनदास पाई: एक और बात है, राजीव, हमें सर्वोच्च विश्वविद्यालयों में भारतीय सभ्यता का अध्ययन करने वाले केंद्र बनाने होंगे | 10 विश्वविद्यालयों में से प्रत्येक में हमें भारतीय सभ्यता, धर्मों एवं मजहबों के तुलनात्मक अध्ययन करने वाले उत्कृष्ट केंद्र स्थापित करने होंगे | जैसे पश्चिम में होता है, जहाँ धर्मों एवं मजहबों का अध्ययन अकादमिक स्तर पर होता है, धर्मों एवं मजहबों की चर्चा की जाती है, बहसें होती हैं, बिना किसी हठधर्मिता के साथ |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

मोहनदास पाई: जैसे ही हम हठधर्मिता का पुट इनमें घोल देते हैं, तब विषय कोई दूसरी ही दिशा ले लेती है | इसलिए हमें वैश्विक मानकों के अनुसार उदार कसौटियों का उपयोग करके इसे करना होगा | व्यक्तिगत शिक्षकों के अपने पूर्वाग्रह हो सकते हैं, पर इससे हमारे पास ज्ञान का विशाल भंडार इकट्ठा हो जाएगा | सभी शिक्षक वामपंथी या किसी एक विचारधारा के समर्थक नहीं होने चाहिए | क्योंकि ऐसा होने पर विचार विकृत हो जाते हैं | भारत को भी उसी प्रकार से पूँजी निवेश करना चाहिए जैसे चीन अपने कंफ्यूशियस केंद्रों पर कर रहा है | हर देश इस तरह की चीज़ें कर रहा है | आपने अमरीकी अद्वितीयता के बारे में बात की थी |

राजीव मल्होत्रा: सही है |

मोहनदास पाई: ट्रंप ने अमरीकी अद्वितीयता का आवरण उतारकर रख दिया है | पिछले 15 – 20 वर्षों से अमरीकी अपने आपको बड़े ही उदार मन वाले राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करते आ रहे थे, खुला हुआ समाज, वैश्विक व्यापार, आप्रवास, और महान विचारों की जन्मस्थली | ट्रंप ने दिखा दिया है कि 50 – 60% अमरीकी इस पर विश्वास नहीं करते हैं | वे संकीर्ण मन वाले, भीतर की ओर उन्मुख, दूसरे देशों के लोगों से द्वेष करने वाले, नस्लवादी लोग हैं | चाहे यह उचित हुआ हो या अनुचित, उनका आवरण हट गया है | हम पर लोग कीचड़ उछाल रहे हैं, और कह रहे हैं, हम जातिवादी हैं, महिलाओं पर अत्याचार करते हैं, और हमारा समाज बुराइयों का अड्डा है | हमारे यहाँ यह बुरी बात है, वह समस्या है, आदि बकवास | हमें जागना होगा और समझना होगा कि वास्तव में हम क्या हैं |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

मोहनदास पाई: हम एक महान सभ्याता हैं हमारा दर्शन-शास्त्र महान है | हमने महान काम किये हैं | इस्लाम-परस्तों ने हमें हराकर 1,000 वर्षों तक हम पर शासन किया था | इसके बाद अँग्रेज़ों ने हमें उत्पीड़ित किया | राजीव, मैं कोंकणी हूँ, जो मुख्य रूप से गोवा में बसे हुए हैं | 13 – 14 वर्ष पहले मुझे अपने ही इतिहास के बारे में कुछ भी पता नहीं था | या मेरे समुदाय के बारे में | मैंने पढ़ना आरम्भ किया और जान पाया कि यहाँ ईसाइयों द्वारा धार्मिक उत्पीड़न 200 वर्षों तक चलता रहा था |

राजीव मल्होत्रा: हाँ पुर्तगालियों द्वारा |

मोहनदास पाई: पुर्तगालियों का यह धार्मिक उत्पीड़न अत्यंत क्रूर और निर्दयी प्रकार का था | मेरे पूर्वज मार दिए गए, उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया, उनके मंदिर तोड़े गए, हमारी धन-संपत्ति छीन ली गई, और हम पर और भी कई असहनीय अत्याचार किए गए | इसके बारे में पुस्तकें हैं, पर मैं चाहता हूँ कि गोवा में इस नारकीय धार्मिक उत्पीड़न का एक संग्रहालय हो | इसका उद्देश्य द्वेष फैलाना नहीं है, बल्कि सचाई को सामने लाना है |

राजीव मल्होत्रा: ताकि हम इस अनुभव से सीख सकें |

मोहनदास पाई: और कह सकें कि अब कभी भी भविष्य में हम अपने ऊपर विदेशी शासन आने नहीं देंगे | जो हमें दबाना और मारना चाहते हैं | जब मैं पढ़ता हूँ कि कैसे मेरे पूर्वज रात के अँधेरे में अपनी मूर्तियों को लेकर भागे, नदी पार की और पोंडा के दूसरे किनारे पर जाकर उन्होंने अपने मंदिर नए सिरे से बनाए, तो मेरी आँखों में आँसू भर जाते हैं | स्वयं मेरे परिवार का मंदिर सालसेड में था, जिसे पूरी तरह नष्ट करके धूल में मिला दिया गया |

राजीव मल्होत्रा: हे भगवान !

मोहनदास पाई: यही मेरे परिवार का इतिहास है | मैं क्या करूँ ? यह मानूँ कि ये पुर्तगाली महान लोग थे ? एक पादरी, फ्रांसिस ज़ेवियर के बारे में कहा जाता है कि यह धार्मिक उत्पीड़न उसी ने करवाया था | आज उसकी आराधना होती है, और उसका शव यहाँ रखा हुआ है | सचाई यह है कि हमारे मन को पूरी तरह से धो डाला गया है | यह सब किसी से द्वेष करने के लिए नहीं है, बल्कि सचाई का सामना करने के लिए है | यहूदियों ने अपने नर-संहार को लेकर यह किया है |

(Will Continue…)

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