-> भारत में विचारधारा की लड़ाई / मोहनदास पाई — 1
राजीव मल्होत्रा: अमरीका के अश्वेत लोग यह कर रहे हैं |
मोहनदास पाई: यहूदियों और अश्वेतों ने यह किया है | यहूदियों के नर-संहार की स्मृति को जीवंत रखने के लिए जो स्मारक बने हैं, उन्हीं की भांति हमें भी अपने मन के गर्तों में छिपे अनुभवों को बाहर लाना होगा, तभी हमारा बौद्धिक विकास होगा | आने वाली पीढ़ियों को हमारे साथ हुए अत्याचारों के बारे में भी पढ़ना होगा, तभी वे अच्छे नागरिक बन सकेंगे |
राजीव मल्होत्रा: जिन अनेक सम्मेलनों की हम योजना बना रहे हैं, उनमें से एक का विषय हिंदुओं का नर-संहार है | गोवा इसका एक उदाहरण है | मेरे पिता उस पीढ़ी से हैं जो लाहौर से भागकर यहाँ आए थे | उन्होंने भी बहुत दुख उठाए थे, उन्हें लाहौर से खदेड़ दिया गया था | मेरे परिवार के कई लोग इस पलायन में जीवित नहीं बच सके | मेरे पिता और कुछ दूसरे सम्बन्धियों को मरा हुआ घोषित कर दिया गया था | मेरी माँ, जो भारत वाले भाग में थी, उनका शोक मनाने लगी थी | पर वे बचकर यहाँ पहुँचने में सफल हो गए | मेरे पिता का बच जाना वास्तव में एक चमत्कार ही था | ये सब कथाएं हमने सुनी है |
मोहनदास पाई: आपको इन कथाओं को जीवित रखना चाहिए | मेरे राज्य, कर्णाटक में कांग्रेस की सरकार टीपू जयंती मना रही है | टीपू एक धर्मांध व्यक्ति था, विकृत मन वाला हत्यारा था, और जिहादी था |
राजीव मल्होत्रा: वह एक प्रकार से दक्षिण भारत का औरंगज़ेब था |
मोहनदास पाई: संदीप बालकृष्णन ने उसके कुकृत्यों का प्रलेखीकरण किया है | टीपू ने खलीफा से अनुरोध किया था कि वह आकर हिंदुस्तान को जीते | उसने कोडगु के लोगों का कत्लेआम किया |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहनदास पाई: उसने कोंकणी मंदिरों को तोड़कर मिट्टी में मिला दिया, उत्तर कर्णाटक और मलबार में भी उसने यही किया | उसने कलीकट के नायरों की हत्या की | उसने मेलकोटे में 850 माधवाचार्य के अनुयायियों की हत्या करवाई | उसने मैंगलोर के 20,000 कैथलिकों को पकड़कर बलपूर्वक मैंगलोर से श्रीरंगपटनम तक पैदल चलवाया, जिसमें करीब 10,000 लोग मर गए | वह एक बहुत ही क्रूर व्यक्ति था | फिर भी कोडगु, कोंकणी, और मैंगलोर के कैथोलिक ईसाइयों की भावनाओं को नज़रंदाज़ किया गया, जो सब कर्णाटक के ही लोग हैं |
हमारे मुख्य मंत्री और कांग्रेस पार्टी टीप जयंती मना रही है, यह कहते हुए कि वह एक महान स्वतंत्रता सेनानी और धर्म-निरपेक्षवादी था | क्या जहादी भी धर्मनिरपेक्षवादी हो सकते हैं ? कहा जाता है कि उसने श्रीरंगम के मंदिर को दान किए थे | या शृंगेरी को या किसी दूसरे मंदिर को | उसने राजनीतिक उद्देश्यों से दान दिए थे | हम ऐसे कई कथाएं जानते हैं कि कैसे उसने बड़ी क्रूरता से कितनी ही महिलाओं का शील-हरण करके अपने हरम में भेज दिया था | फिर भी हमें बताया जा रहा है कि वह औरंगज़ेब के ही समान एक महान राजा था | हमें उसकी क्रूरता को भूल जाना होगा |
राजीव मल्होत्रा: हम संभवतः एक सामूहिक स्टॉकहोम सिंड्रोम से ग्रस्त हैं, जिसके कारण हम अपने ही उत्पीड़कों की सराहना करते हैं |
मोहनदास पाई: नहीं राजीव | वामपंथी इतिहासकारों ने यह सब आपके मन में भर दिया है | इंदिरा गाँधी के राष्ट्रीय समेकन अभियान के तहत, जब वे सत्ता में आई, तो यह तय किया गया कि हमें यह सब इतिहास मिटाना होगा और इन व्यक्तित्वों को अच्छा दिखाना होगा | ताकि मुसलमानों के प्रति द्वेष या हिंदू धर्म के प्रति प्रेम फिर से सिर न उठाए | ठीक है ? वे बिना सांप्रदायिकतावाद के खतरे के इस देश को फिर से गढ़ने में विश्वास रखते थे |
राजीव मल्होत्रा: इसलिए वे समझते हैं कि हिंदू धर्म एक समस्या है |
मोहनदास पाई: हाँ |
राजीव मल्होत्रा: उससे मुक्ति पाना कोई समस्या नहीं है |
मोहनदास पाई: जिहादी कोई समस्या नहीं है | उदाहरण के लिए, मेरी ट्विटर पर दिल्ली के एक पत्रकार के साथ लड़ाई हो गई | वह बुरहान वाणी को महिमा-मंडित करने का प्रयास कर रहा था | बुरहान वाणी एक गर्वीला हत्यारा था जिसने सरपंचों की हत्या की और इसका वीडियो बना डाला | यह पत्रकार इस व्यक्ति को महिमा-मंडित करना चाहता था और ऐसा प्रस्तुत करना चाहता था कि इसके साथ अनुचित हुआ है, यह विद्यालय के अध्यापक का भोला-भाला लड़का है, जो मार दिया गया और जो सोशल मीडिया में सबका लाड़ला था | इसी प्रकार के शहरी नक्सलवादी माओवादियों को भी महिमा-मंडित करते हैं | माओवादी भी हत्यारे हैं और हमारे समाज में हत्यारों के लिए कोई स्थान नहीं है | हमारे समाज में हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है | हिंसा में संलग्न होने वाले सभी लोगों को कानून का दंड भुगतना होगा | हम घोर रूप से विवाद कर सकते हैं और असहमत हो सकते हैं, पर हिंसा नहीं हो सकती है | ये लोग वामपंथियों और जिहादियों की हिंसा को क्षमा कर देते हैं क्योंकि इनका मानना है कि इन्हें इस देश को दुष्ट हिंदू समुदाय से बचाना है | मैं इस विकृत तर्क को समझ नहीं पाता हूँ |
राजीव मल्होत्रा: हममें यही हीन भावना है, जो हमें एक राष्ट्र बनने से रोकती है | मेरी अगली पुस्तक भारत की महागाथा के ऊपर है |
मोहनदास पाई: हाँ |
राजीव मल्होत्रा: यह महत्वपूर्ण है और मैं इसके बारे में ऑफलाइन भी चर्चा करूँगा क्योंकि यहीं अपने विगत के दिनों की महागाथा की चर्चा कर चुका हूँ | कैसे वह एक हज़ार वर्ष में नष्ट हो गई, आजकल की भ्रमित अवस्था और अव्यवस्था, और भविष्योन्मुख महागाथा विकसित करने के लिए हमें किस तरह के प्रयास करने होंगे | यह पुस्तक विवाद पैदा करेगी क्योंकि मैं इन चीज़ों के बारे में बिलकुल ईमानदार होने वाला हूँ |
मोहनदास पाई: आप तथ्यों और प्रमाणों को आधार बनाने वाले हैं |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहनदास पाई: लोग जी भरकर आलोचना कर लें, पर तथ्यों और प्रमाणों के आलोक में |
राजीव मल्होत्रा: वे मेरी किसी भी पुस्तक की ठीक से समालोचना नहीं कर सके हैं | उन्होंने सदा ही मुझ पर व्यक्तिगत प्रहार किए हैं | यह अच्छा समाचार है क्योंकि यह दिखा रहा है कि वे आपकी पुस्तकों के विषय के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते हैं |
मोहनदास पाई: वे तथ्यों से कन्नी काट लेते हैं |
राजीव मल्होत्रा: वे विषय से किनारा करके मुझे खलनायक के रूप में प्रस्तुत करते हैं | और मुझ पर आक्रमण कर देते हैं |
मोहनदास पाई: जब ट्विटर पर मैं कुछ कहता हूँ या इनकी आलोचना करता हूँ, तो वे मुझे धर्मांध कह देते हैं और मुझे गालियाँ देते हैं |
राजीव मल्होत्रा: पर वे विषय की चर्चा नहीं करते हैं |
मोहनदास पाई: हाँ क्योंकि उनके पास तथ्य या प्रमाण नहीं हैं | उनके पास बस अटकलें और कल्पनाएँ हैं | मैं एक बात और आपको बताता हूँ | श्री श्री रविशंकर ने सौ एकड़ भूमि लेकर अपने समारोह के लिए यमुना के किनारे खंभों पर मंच बनवाए | तथाकथित पर्यावरणवादी अदालत में चले गए यह कहते हुए कि श्री श्री ने पेड़ों का सत्यानाश किया है | पर वहाँ तो कोई भी पेड़ नहीं थे | उन्होंने कहा कि श्री श्री ने पारिस्थितिकी-तंत्र और पौधों को नष्ट किया है | पर वहाँ तो कुछ भी नहीं था | और यह भी कहा कि मंच की संरचना के कारण जलधारा की दिशा बदल जाएगी | एनजीटी इस सब बकवास पर यकीन कर गई | और श्री श्री पर मामला दायर करके उन्हें दंडित करने का प्रयास की | यमुना दिल्ली में 50 – 60 किलोमीटर तक अंदर जाती है और उसकी चौड़ाई 1 किलोमीटर जितनी है | यानी 60 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र | ठीक है ? सौ एकड़ इसकी तुलना में नगण्य है |
दूसरा, ये बाढ़ के मैदान हैं जहाँ जल-स्तर काफी नीचा है | जब बाढ़ आती है, सब कुछ उसमें बह जाता है | सारी जमीन वर्ष में 10-15 दिन 10-15 फुट पानी के नीचे हो जाती है | ऐसे में वहाँ पौधे होने की संभावना ही कहाँ है ? क्या यमुना की धारा को बदलना संभव है ?
राजीव मल्होत्रा: यह बिलकुल अवैज्ञानिक चर्चा है |
मोहनदास पाई: अवैज्ञानिक और पागलपन से भरा | उन्होंने यह भी कहा कि पानी में कुछ डाल दिया गया है और इससे पानी खराब हो गया है | पानी चला जाता है, और वह स्वच्छ हो जाता है | दक्षिण में, केरल के ईसाई, गर्मियों में सूख जाने वाली एक नदी के किनारे एक वार्षिक उत्सव मनाते हैं | वाराणसी में, गंगा की रेत में, जब पानी का स्तर कम होता है, लोग उत्सव मनाते हैं | गर्मियों में बाढ़ के मैदानों में इस तरह के उत्सवों का होना एक सामान्य बात है, और यह मानवीय गतिविधि है, ठीक वैसे जैसे वहाँ सब्जियाँ उगाना | केवल इसलिए क्योंकि यह श्री श्री हैं, सभी पर्यावरणवादी-आतंकी और जेएनयू टाइप के लोग उनके पीछे पड़ गए | और उन्होंने इसके लिए एनजीटी का उपयोग किया | किसी प्रोफेसर ने दावा किया कि इसका समाधान करने के लिए और एक जैव उद्यान बनाने के लिए 130 करोड़ रुपए की आवश्यकता होगी | यह बिलकुल मूर्खों वाली बात है | किसी दूसरे ने कहा कि 50 करोड़ लगेंगे | वे इसका औचित्य सिद्ध नहीं कर पा रहे हैं | जब मैंने इनकी पोल खोली, तो इन्होंने मुझ पर ट्विटर और दूसरे सोशल मीडिया पर धावा बोल दिया | इस देश में बौद्धिक चर्चाएँ होती ही कहाँ है, राजीव ? डेटा और प्रमाण कहाँ हैं ?
राजीव मल्होत्रा: एक ईमानदार और खुला बौद्धिक वार्तालाप का होना बहुत जरूरी है |
मोहनदास पाई: पर वह नहीं है | वे मुझ पर निजी आक्रमण करते हैं | वे आप पर किसी बात के लिए आक्रमण करते हैं | जिस न्यायाधीश ने इसकी सुनवाई की, वह भी सेवानिवृत्त हो चुका है | मामले को सनसनीखेज बनाने के लिए मीडिया को अनावश्यक ही भेजा गया है | अंत में श्री श्री रविशंकर पर जो दंड लगाया गया, वह केवल 5 करोड था, और उन्होंने कहा कि मैं न्यायालय में लड़ूँगा |
राजीव मल्होत्रा: और उन्हें करना भी यही चाहिए |
मोहनदास पाई: हाँ |
राजीव मल्होत्रा: अब मैं जाति व्यवस्था की चर्चा करना चाहूँगा, जिसके बारे में हमने आरम्भ में चर्चा की थी | सुनामी के बाद मैं नागपट्टनम गया और वहाँ कुछ महीने मैंने गाँव वासियों के साथ बिताए | और मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला | मैंने सीखा कि जिस जाति के लोग गहरे समुद्र में मछली पकड़ते हैं, वे उन जातियों से भिन्न हैं, जो छिछले पानी में मछली पकड़ते हैं |
मोहनदास पाई: काम का बँटवारा |
राजीव मल्होत्रा: एक जाति के लोग हाथ से मछली पकड़ते हैं | यहाँ तक कि हर जाति के नाव और उपकरण भिन्न-भिन्न हैं | जाली आदि | उनके व्यवसाय की सारी व्यवस्था ही इस प्रकार है कि प्रतिस्पर्धा कम हो | जबकि पश्चिमी आधुनिक मॉडल में अधिक प्रतिस्पर्धा को बेहतर समझा जाता है |
मोहनदास पाई: नहीं | प्रकृति पर काबू पाने को | हमारी जीवन शैली टिकाऊपन पर जोर देती है | किसी एक व्यक्ति को सारी सत्ता नहीं दो |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहनदास पाई: ब्राह्मण समुदाय ज्ञान के रखवाले हैं, उनसे अपेक्षा नहीं की जाती है कि वे संपत्ति जमा करेंगे |
राजीव मल्होत्रा: उनसे अपेक्षा नहीं है कि वे धनी हो जाएँगे न ही यह कि वे क्षत्रियों के समान राजनीतिक सत्ता प्राप्त करेंगे |
मोहनदास पाई: कारण यह है कि यदि किसी के हाथ ज्ञान और सत्ता आ जाए, तो वह बहुत धनी हो जाएगा और समाज पर हावी हो जाएगा |
राजीव मल्होत्रा: हमारे यहाँ पूँजी के अनेक रूप हैं, जो अलग-अलग समुदायों के पास रहते हैं |
मोहनदास पाई: ये निषेध और संतुलन समाज में किसी कारण से अस्तित्व में हैं | राजीव, जब किसी समुदाय में ठहराव आ जाता है, तब सब कुछ अनम्य हो जाता है | भेद-भाव होने लग जाता है, जो दोषपूर्ण है | यह भारत में भी हुआ, और जब हम समृद्ध हो जाएँगे, तब यह सब अपने आप चला जाएगा | अंबेडकर ने एक सुंदर बात कही है | वे कहते हैं, गाँव संप्रदायवाद के गंदे गर्त जैसे हैं | क्यों ? क्योंकि गाँव में ठहराव घर कर गया है और वहाँ की अर्थव्यवस्था जड़ हो गई है | सबकी कोई भूमिका है | और जाति और सत्ता का तंत्र है, वर्ग का नहीं | हर कोई अपने नीचे के लोगों पर हावी होना चाहता है | सबसे नीचे के लोगों को सबसे अधिक कष्ट झेलने पड़ते हैं | उन्हेंने अपने लोगों से कहा, यानी तथाकथित दलित वर्गों से कहा, कि तुम गाँव छोड़कर शहर आ जाओ | शहर में कोई नहीं जानता है कि आप कौन हैं |
वामपंथी और ईसाई धर्मपरिवर्तक… एक धर्मपरिवर्तक दिल्ली का है और अक्सर टीवी पर आता है, ये दोनों डरबन जाकर कह आए कि जाति नस्ल ही है | यह मूर्खता वाली बात है और वैचारिक दृष्टि से बेईमानी की बात है | नस्ल शारीरिक स्तर पर दिखाई देती है | आप उससे कभी नहीं बच सकते हैं | जबकि जाति दिखाई नहीं देती है | जब हम दोनों साथ बैठते हैं, क्या हमारे हुलिए से हमारी जाति का पता लगाया जा सकता है ? नहीं | कोई नहीं जानता कि किसी की जाति क्या है |
राजीव मल्होत्रा: कोई कुछ भी घोषित कर सकता है |
मोहनदास पाई: हाँ, और किसी को पता नहीं चलेगा, न ही कोई इसकी पुष्टि करने का प्रयास करेगा | पर नस्ल तो आपके चेहरे पर लिखा हुआ होता है | तो इन्होंने जाति और नस्ल को एक बताया ताकि वे धर्मपरिवर्तन कर सकें | दरिद्र लोगों का |
राजीव मल्होत्रा: संभवतः आप कांचा इलैया और जॉन दयाल का उल्लेख कर रहे हैं |
मोहनदास पाई: हाँ, मैं इन्हीं दो बेइमानों की बात कर रहा हूँ जिन्होंने बेईमानीपूर्ण तर्क किए |
राजीव मल्होत्रा: उन्हें इसके लिए पैसा मिलता है | –
मोहनदास पाई: हाँ, यह उनके लिए धंधा है | मुझे बताया गया था कि जॉन दयाल अमरीकी कांग्रेस में जाकर अपने ही देश के विरुद्ध वक्तव्य दे आया |
राजीव मल्होत्रा: और वह सैंक्शन लगवाना चाहता था |
मोहनदास पाई: वह अपने ही देश के विरुद्ध सैंक्शन लगवाना चाहता था | फिर भी वह इसी देश में रहता है | वह टीवी पर आता है और भारतीयों के विरुद्ध अनाप-शनाप बकता है | कांचा इलैया ने भी यही किया | 65 भारतीय सांसदों ने अमरीका के राष्ट्रपति ओबामा को लिखा कि आप नरेंद्र मोदी को वीजा न दें |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहनदास पाई: यह हास्यास्पद बात है |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहनदास पाई: सांसद बनने के लिए आपने भारतीय संविधान की रक्षा करने की शपथ ली है | यदि आप किसी को नापसंद करते हैं, तो उससे राजनीति के स्तर पर लड़िए, किसी विदेशी शक्ति के सामने न गिड़गिड़ाइए |
राजीव मल्होत्रा: विषय को आपस में निपटाइए |
मोहनदास पाई: ये सब जयचंद हैं और देशद्रोही हैं | आप अपने ही देशवासियों के विरुद्ध नहीं जा सकते हैं | आप यह कैसे लिख सकते हैं |
राजीव मल्होत्रा: त्रासदी यह है कि इन्होंने यह सब लिखा है |
मोहनदास पाई: ये सब जयचंद और मीर जाफर हैं |
राजीव मल्होत्रा: हाँ, हाँ |
मोहनदास पई मोदी सरकार के बारे में क्या सोचते हैं ? अगले भाग का विषय यही है |