रीसा लीला-१: वेंडी का बाल-परिलक्षण – 8

To read Part – 7, Click Here. ‘आ ‘ का तात्पर्य — विश्व दृष्टिकोण से प्रतिस्पर्धा: यद्दपि कृपाल का सिद्धांत ‘अ’ मुझे अनुमति देता है प्रतिरक्षा के लिए उन दृष्टिकोणों की विभिन्नता के विषय में, और, अतः, अभिलाषा है विद्द्वानों के विभिन्नता की, उनके ‘आ’ सिद्धांत कहते है कि ये विभिन्न दृष्टिकोण पूर्णत: कदापि सामंजस्य […]

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रीसा लीला-१: वेंडी का बाल-परिलक्षण – 7

To Read Part – 6 of Article, Click Here. रानी(क्विन) का प्रभाव: इनके विद्यार्थियों को प्रोत्साहन दिया गया है भारत में जाकर एक विशेष उद्देश्य से, जिसमें इनको वो आंकड़े ढूंढने हैं जहाँ “भारत में ईसाईयों का उत्पीड़न” होता है I जबकि सभी को ज्ञात है कि एक सच्चा विद्द्वान सम्मिलित नहीं हो सकता है […]

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रीसा लीला-१: वेंडी का बाल-परिलक्षण – 6

Part – 5, Read Here. कितनी विश्वासनीय है वेंडी डॉनिगर की संस्कृत? “उचित” अनुवाद के कई मार्ग हैं I मेरा मानदंड है कि वो स्वीकृत होना चाहिए मुख्यधारा समाज की परंपरा से जिस पर प्रश्न किया जा रहा है—और पूर्वपक्ष सिद्धांत के अनुसार I यदि प्रसंगों की मंशा और व्यवसायी के निष्कर्ष के विरुद्ध किया […]

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रीसा लीला-१: वेंडी का बाल-परिलक्षण – 5

रीसा लीला-१: वेंडी का बाल-परिलक्षण: Part – 4, Read Here. लक्ष्य:गणेश एवं शिव: पूर्वस्त्रातक पाठ्यपुस्तक, पॉल कोर्टराइट जिसके संलेखक हैं, जो की एक महाध्यापक हैं भारतीय धार्मिक के एमोरी महाविद्यालय में, गणेश जी की कथाएं एवं उनके विधिशास्त्र, विभिन्न दृष्टिकोण से दर्शाये गए हैं, निम्नलिखित मनोविश्लेषणों के साथ[४५]: “एक मनोविश्लेषक के दृष्टिकोण से, हाथी के […]

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