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मुद्दा यह है कि विरोधी गतिमान हैं | विघटनकारी शक्तियां सर्वदा कुछ नया कर रही हैं | आप यह नहीं कह सकते कि तेंदुलकर ने शतक बनाया है और अब हम आश्वस्त रह सकते हैं | आपको अपना काम करना है | उस समय जो किया गया था वो उस समय अच्छा था | यहां तक कि दीनदयाल उपाध्याय के समय में भी, केवल मार्क्सवाद अस्तित्व में था | उत्तर- औपनिवेशिक अध्ययन जो एडवर्ड सईद ने विकसित किया, वो दीनदयाल उपाध्याय के बाद था | इसके बाद सबाल्टर्न अध्ययन आया |यह उत्तर-आधुनिकतावादी अध्ययनों को जन्म दिया | अब कुछ नया जन्मा है जिसे नव-प्राच्यवाद कहते हैं | वे अनोखे शब्दों के साथ आए हैं |
यह ऐसा है कि यदि कोई वेदांत का अध्ययन करना चाहता है, तो वह केवल शंकराचार्य का अध्ययन नहीं कर सकते हैं। आपको बाद के सभी विकासों का अध्ययन करना होगा | आप अध्ययन नहीं कर सकते और कह सकते हैं कि एक प्रतिक्रिया दे दी गई है इसलिए हमारा काम पूरा हो गया है | आपको सभी परिवर्तनों, बाद की चुनौतियों और उत्तरों को अवश्य जानना चाहिए |
हमने जिन अंतर्राष्ट्रीय आक्रमण और बाधाओं का सामना किया है उनका कई बुद्धिजीवियों ने प्रत्योत्तर दिया है | परन्तु यह कहना पर्याप्त नहीं है कि किसी ने उत्तर दे दिया है क्योंकि उसने इसे अपने समय के लिए दिया था | विवेकानंद, श्री अरबिंदो, और दीनदयाल उपाध्याय ने अपने समय के लिए उत्तर दिए | और फिर विकास हुआ | उनके पास कहने को कुछ भिन्न और नया था | अब 21 वीं शताब्दी में, दीनदयाल उपाध्याय कहां हैं ? हमें यह नया चिंतन करने की आवश्यकता है |
मैं दुर्लभ ही इसे पाता हूँ | यह यहां – वहां के केवल कुछ भाषण नहीं हैं | यह कठिन कड़ा परिश्रम है जो हमें करना है | ये वही है जो मैं करने का प्रयास कर रहा हूँ | यह वही है जिसे मैं अपनी पुस्तक द इंडियन ग्रैंड नैरेटिव (भारत की महागाथा) में संक्षेपित करूँगा |
मेरे पास कुछ मिनट शेष हैं और मैं विवादास्पद अध्याय पर ध्यान केंद्रित करना चाहता हूँ जिसके बारे में मैं बात करना चाहता हूँ | यह संभवतः एक दर्जन अध्यायों में से एक होगा | यह अध्याय उस प्रश्न का उत्तर देगा कि हमारी महागाथा में भारतीय मुस्लिमों के लिए क्या स्थान है ?
यह एक बहुत विवादास्पद विषय है | मुझे सावधान रहना होगा | सच में ? तो, मैंने कुछ साक्षात्कार करना आरम्भ कर दिया | दिल्ली में, युवा, व्यापक सोच वाले, शिक्षित मुसलमानों के साथ | उनमें से कई तीन तलाक़, बहुपत्नीप्रथा जैसी समस्याओं से लड़ रहे हैं | मैंने उनसे प्रश्न पूछना आरम्भ कर दिया | सभी प्रकार के विवादास्पद विषयों पर और उनकी वीडियोग्राफी की | मैं उन्हें संपादित कर सार्वजनिक करने जा रहा हूँ |
मेरे लिए आश्चर्य की बात है कि बड़ी संख्या में मुस्लिम हैं जो तंग आ चुके हैं रूढ़िवादी इस्लाम से | उन्हें लगता है कि भारतीय मुसलमानों का विशाल बहुमत अच्छी तरह से शिक्षित नहीं है | और इसलिए इमाम जो कुछ भी कहता है उससे प्रेरित होता है और इमाम अपनी शक्ति संरचना की खोज में है |
शिक्षित पेशेवर इसे पसंद नहीं करते हैं | उनमें से कुछ भयभीत हैं | अन्य के पास एक संगठित दृष्टिकोण की कमी है | अर्थात् नेतृत्व का भी एक मुद्दा है | उन्हें कुछ प्रोत्साहन और संगठनात्मक सहायता की आवश्यकता है |
यह मेरे अनुसंधान का एक फलदायी क्षेत्र है – मेरी भारतीय महागाथा परियोजना के अंग के रूप में | यदि हज़ार वर्ष पहले मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा किए गए सभी विनाशों को छोड़कर मुसलमानों के बारे में कुछ भी नहीं हो तो यह अच्छा नहीं होगा | किसी भी स्थिति में, मेरी पुस्तक मुस्लिम विनाशों का बहुत स्पष्ट रूप से उल्लेख करती है परन्तु प्रश्न अभी भी बना हुआ है, आज हम क्या करें ?
इसलिए मैं उस मुस्लिम मत को स्वीकार नहीं करता जो इस्लाम को अस्वीकार करता है | तारेक फतह जैसा | क्योंकि यदि आप इस्लाम को अस्वीकार करते हैं, तो संभवतः कुछ लोग इसके मार्ग पर चलेंगे | परन्तु अधिकांश मुसलमान इसे स्वीकार नहीं करेंगे | और “घर वापासी” का विचार कुछ लोगों के लिए स्वीकार्य है | यह एक व्यावहारिक और व्यापक रूप से क्रियान्वित किया जाने वाला विचार नहीं है | यह काम नहीं करेगा | तो, ये ठीक हैं, – हर धर्म में आंतरिक आलोचना होनी चाहिए |
कुछ लोग भीतर से इस्लाम विरोधी हैं | यह उनका चयन है | कुछ लोग “घर वापासी” करना चाहते हैं जो उनकी भी पसंद है | परन्तु मैं जानना चाहता था क्या कोई ऐसी गाथा है जिसमें कोई व्यक्ति अभिमानी मुस्लिम है परन्तु वह सबसे पहले एक अभिमानी भारतीय है ? मैं इसकी जांच करना चाहता था |
मेरे पास इसका एक नाम है | मेरे पास इसके लिए एक डोमेन नाम भी है | उस नाम पर एक अध्याय होने जा रहा है | मैं ऐसे लोगों को स्वदेशी मुसलमान पुकार रहा हूँ |
लोग पूछते हैं कि भारतीय क्यों नहीं ? क्योंकि जब आप भारतीय कहते हैं, तो लोग पूछते हैं कि क्या भारत 70 वर्ष पुराना है ? क्या अंग्रेजों ने इसे बनाया ? क्या यह हिंदुस्तान था ? मैं इस प्रकार के भटकाव से बचना चाहता हूँ | लोग बहस आरम्भ कर देते हैं कि क्या भारत 70 वर्ष पुराना था ? क्या अंग्रेजों ने इसे बनाया ? क्या यह हिंदुस्तान था ? लोग भटकाना चाहते हैं, – मुझे वह नहीं चाहिए |
फिर तर्क हैं | स्वदेशी मुसलमान एक अस्पष्ट शब्द है | स्वदेश का अर्थ है कि यह मेरा देश है | कोई कह सकता है कि वह एक अभिमानी भारतीय मुस्लिम है | परन्तु गहराई में वह भिन्न है और केवल कुछ और होने का नाटक करता है | वह वास्तव में वह नहीं है जो मैं ढूंढ रहा हूँ |
स्वदेश का अर्थ मातृभूमि और पितृभूमि है | मैं इसे बहुत स्पष्ट रूप से परिभाषित करता हूँ | आपके पूर्वज यहाँ से हैं | वे मध्य पूर्व से नहीं आए थे |
वि-उपनिवेशीकरण अंग्रेजी प्रभाव से छुटकारा पाने की बात करता है | वि-अरबीकरण वो है जो आपको करना चाहिए | यदि आप दावा करते हैं कि इस्लाम एक सार्वभौमिक विश्वास है, कि अल्लाह ने विश्व में सभी के लिए इसे लाया है, तब अरब रीति-रिवाज, पोशाक, नाम, आदत भारतीय रीति-रिवाजों और संस्कृति पर हावी नहीं होना चाहिए | आप फिर भी एक मुस्लिम हो सकते हैं |
मैंने उन्हें चुनौती दी और यह वीडियो रिकॉर्डिंग पर किया | मंगलवार को दिल्ली में इस समूह के साथ मेरी एक और बैठक है | हर बार मैं उन्हें कह रहा हूँ कि जाएँ और कुछ और मित्रों को लायें | चलिए देखते हैं कि यह कितनी दूर तक जाता है | परन्तु मुझे लगता है कि यह एक रोचक आंदोलन बन जाएगा |
तो एक स्वदेशी मुस्लिम को नायकों के रूप में विदेशी आक्रमणकारियों को अपनाने के स्थान पर हमारी भूमि के हमारे नायकों को अपनाना है | हो सकता है कि आक्रमणकारी आपके धर्म के थे, और आपके पूर्वज स्वदेशी थे जो हार गए थे | और आक्रमणकारियों के धर्म को अपनाया | मैं आपको धर्मान्तरित करने के लिए नहीं कह रहा हूँ – आप जो हैं, वही रह सकते हैं | परन्तु क्या आप अरबीकृत या फारसीकृत या तुर्की हुए बिना मुस्लिम हो सकते हैं ? क्या आप भारतीय शैली के मुस्लिम हो सकते हैं ?
यह एक बहुत ही रोचक बात है | इंडोनेशिया में मेरा अनुभव बहुत उपयोगी रहा क्योंकि इंडोनेशिया में, वे कहते हैं कि उनकी भाषा ‘भाषा’ है, यद्यपि वे रोमन अल्फाबेट (वर्णमाला) में लिखते हैं | जब मैं उनसे पूछता हूँ कि आप मुस्लिम के रूप में कौन हैं और यह भाषा वाली बात क्या है ? वे कहते हैं कि हमारे पूर्वज और सभ्यता भारत से आई थी | वास्तव में, मेरे लिए यह आरम्भ हुआ एक…
मैं आपको एक कहानी सुनाऊंगा | मैं अपनी कंपनी के लिए एक कार्यालय परिसर पट्टे पर ले रहा था | एक इंडोनेशियाई महाप्रबंधक मेरा बहुत अच्छा मित्र था | वे एक बहुत सौम्य मुस्लिम थे | परन्तु एक अच्छा दार्शनिक जिनके साथ मैं चर्चा करता | फिर वे मुझे महाविद्यालय के इतिहास के प्रोफेसरों से परिचय कराते जिनसे मैंने उनकी महागाथा के बारे में सीखा |
वे मुझे इस मोल-भाव में ले गए और भू-स्वामिनी एक चीनी थी | उन्होंने मुझसे बात करने के लिए कहा | क्योंकि आप एक अमेरिकी हैं और वह आपको मेरी तुलना में अधिक गंभीरता से लेगी | मैंने पूछा – क्यों ? यह आपका देश है | तो उन्होंने कहा कि हमारे देश में, हमारे अन्दर एक हीन भावना है | हमें लगता है कि चीनी श्रेष्ठतर हैं | और फिर उन्होंने कहा, परन्तु हम सोचते हैं कि भारतीय चीनी से भी अधिक श्रेष्ठ हैं | यह बहुत रोचक है |
मैंने उनके विचार के बारे में बहुत कुछ सीखा | और फिर उन्होंने कहा, यदि आप वास्तव में दूरसंचार मंत्री के साथ भेंट का समय चाहते हैं, तो एक अमेरिकी गोरी महिला को ले आयें, वे सब भेंट का समय दे देंगे | मैंने यह सांस्कृतिक बात सीखी |
यह काम किया | मेरे पास एक सचिव थी | मैंने उससे कहा, हम आपको उपाध्यक्ष पद वाला पहचान पत्र देंगे | आप वहां मेरे बगल में बैठें | मैं बातचीत करूँगा और आप बस बैठकर मुस्कुराते रहें | कुछ बोलें नहीं |
मैंने उन्हें भारत लाया जहां पर भी यह काम करता है | भारत में, इन सभी फोन कंपनियों से पहले, एमटीएनएल था और वीएसएनएल था जो अंतरराष्ट्रीय करियर था | और एमटीएनएल घरेलू था | एक उद्यम के लिए हमें इन लोगों के साथ व्यापार करना पड़ा |
वे इन लोगों के साथ बैठक करने में बहुत सफल रही थीं | वे मुझे अनदेखा करते और वास्तव में उनसे बात करते | मैं कंपनी का स्वामी हूँ और वह एक सचिव है जिसे हमने महिमामंडित किया है | ताकि लोग उसे गंभीरता से लें |
लोग कहते “डायना-जी के लिए नारियल पानी लाओ !” और इस प्रकार की बातें | परन्तु वे उसे बहुत भाव दे रहे थे क्योंकि वे एक श्वेत सुनहरे बालों वाली महिला थी | तो यह बात उनके सर पर चढ़ गयी | जब वे अनुबंध पर बातचीत के लिए कहते, तो वे उनसे बात करना आरम्भ कर देते | और उन्होंने सोचना आरम्भ कर दिया कि मैं शक्तिशाली हूँ और उन्होंने मुझे छोड़कर उनसे बात करना आरम्भ कर दिया |
एक दिन मैंने उन्हें चेतावनी दी | उनके सामने, ऐसा लगता है कि आप उपाध्यक्ष हैं और मैं अध्यक्ष हूँ और वे आपसे बात करना चाहते हैं, परन्तु, मेरे अनुबंध के नियमों का उल्लंघन न करें | परन्तु वे अपनी आभासी शक्ति के चमक में खोयी हुई थीं | क्योंकि उन्होंने उन्हें आमंत्रित करना आरम्भ कर दिया और वे अपना सौदा करने का प्रयास करने लगीं | मैंने उन्हें निकाल दिया | तब मैं बहुत चिंतित था कि मुझे समाधान चाहिए |
किसी ने मुझे बताया कि आप जाएँ और एक अभिनेता को किराए पर ले लें | क्योंकि अभिनेता केवल अपने आलेख (स्क्रिप्ट) का पालन करते हैं | मैंने प्रिंसटन के रुटगर्स विश्वविद्यालय के अभिनय विभाग में एक विज्ञापन दिया | मैंने कहा कि मैं खर्च का भुगतान करूंगा, आप एक अमेरिकी कॉर्पोरेट कार्यकारी की भूमिका निभाएंगे | आप विदेश जाएंगे, पांच सितारा में रहेंगे, आपको यहां लौटने के लिए प्रथम श्रेणी की उड़ान की टिकट मिलेगी | और आपको यह भूमिका निभानी होगी | तब मैंने कुछ लोगों का ऑडिशन लिया, किसी को नौकरी पर लिया, और पहली बात जो मैंने कही कि यह आपका सौदा नहीं है | निर्माता और निर्देशक आपको बता रहे हैं कि आपको क्या कहना है | और आप बस इसे कहें |
यह एक बहुत बड़ी सफलता थी | परन्तु, वापस इंडोनेशिया की कहानी पर लौटते हैं, मैंने बहुत कुछ सीखा मुस्लिमों के बारे में जिनका अशरफीकरण नहीं हुआ है | अशरफ का अभिप्राय वैसे मुस्लिमों से है जो अनुभव करते हैं कि हमारे पूर्वज अरब या ईरानी या तुर्क थे | यह वैसा ही है जैसे कि एंग्लो-इंडियन स्वयं को अंग्रेज सोचने लगे |
जब मैं एक बच्चा था तब हर ईसाई सोचता था कि मेरी दादी का 1/8 वां भाग अंग्रेजी रक्त था | हर कोई अपनी वैधता स्थापित करने और अपनी श्रेष्ठता दर्शाने के लिए अंग्रेजी रक्त के अवशेष को प्रमाणित करना चाहता था | आज आप यह गोवा के लोगों के बीच पाते हैं | बहुत सारे लोग हैं जो कहते हैं कि हम पुर्तगाली मूल के हैं | निस्संदेह गोवा के कई ईसाई, जिसमें मेरे कुछ मित्र भी सम्मिलित हैं, इसे पसंद नहीं करते हैं | परन्तु एक भावना है श्रेष्ठता की और विश्वास है कि उनके पास विदेशी डीएनए है |
मुसलमानों में यह समस्या है | तो जब वे आपको बताते हैं कि हिंदुओं में जाति व्यवस्था है और हममें नहीं, तो आप यह कह सकते हैं कि आपके पास भारत में अशरफ, अजलाफ और अरज़ल जातियां हैं | वे एक-दूसरे से विवाह नहीं करते हैं | वे स्वयं को भिन्न “कौम” मानते हैं | यह पाकिस्तान में एक बहुत ही गंभीर समस्या है | वे लोग जो बिहार से हैं, उन्हें नीची जाती का माना जाता है |
भारतीय मुसलमानों के डीएनए परीक्षण, यह बताएँगे कि उनमें से अधिकाँश स्वदेशी हैं, वे इसे नहीं जानते हैं | हमें उन्हें फिर से यह शिक्षित करने की आवश्यकता है कि वे कौन हैं, एक वैज्ञानिक पद्धति से | संभवतः मुस्लिम आबादी के डीएनए घटक का एक छोटा-सा अंग अरब का होगा | इसलिए मैंने उन्हें यह बताना आरम्भ कर दिया अरब हमारे जैसे सभ्य नहीं हैं | आपको हमारी विरासत पर गर्व होना चाहिए |
रिलिजन अरब जाति और संस्कृति होने से भिन्न है | कुछ प्रथाएं हैं जो एक रिलिजन में प्रवेश करती हैं, क्योंकि यह चारों ओर की संस्कृति है | जैसे कि तलाक़ या बहुपत्नीप्रथा, परन्तु वे वास्तव में मूल धर्म का अंग नहीं हैं | एक विशिष्ट संदर्भ है |
अच्छा होता यदि वे श्रुति से स्मृति को भिन्न किये होते, ताकि हम बहुत स्पष्ट रूप से बहस कर सकें | कि यह आपकी स्मृति में है और श्रुति में नहीं | आप इसे परिवर्तित कर सकते हैं | आप यहां अरब की स्मृति क्यों लाना चाहते हैं ? आप श्रुति ला सकते हैं जो सार्वभौमिक है | स्मृति को स्थानीय और अद्यतन होना है | और इस प्रकार वे आधुनिक, तकनीकी और वैज्ञानिक हो सकते हैं | वे स्वदेशी मुस्लिम हो सकते हैं | क्योंकि उन्हें यह स्वीकार करना है कि उनकी उत्पत्ति स्वदेशी है और उनके नायक स्वदेशी हैं | उनकी पवित्र भूमि और पवित्र स्थल यहां हैं |
वि-उपनिवेशीकरण पर कई सम्मेलन, और गोष्ठियां होती हैं | लगभग हर दिन एक | या एक सप्ताह में दो तीन सम्मेलन, मंथन और साहित्य-उत्सव, जो पूरे भारत में हो रहे हैं | वि-उपनिवेशीकरण एक बहुत ही आम प्रचलित विषयवस्तु है | परन्तु वे यूरोपीय लोगों से वि-उपनिवेशीकरण कर रहे हैं | वे मुस्लिमों से वि-उपनिवेशीकरण के बारे में बात करने से डरते हैं | उनमें से एक जिनकी मैं उनसे मांग करता हूँ एक उचित स्वदेशी मुस्लिम होने के मानदंड के रूप में, वो यह कि आपको यह स्वीकार करना होगा कि हमें मुस्लिम आबादी का अरब पहचान से वि-उपनिवेशीकरण करना चाहिए | इस अशरफ वाली बात से छुटकारा पाएं | हमें गर्व होना चाहिए कि हम कौन हैं | हम बहुत स्वाभिमानी मुस्लिम हो सकते हैं |
मैं इन विशेषज्ञों के साथ काम कर रहा हूँ | कुछ इमाम और वकील इस समूह में प्रवेश कर चुके हैं | हम देखेंगे कि यह कहां जाता है | परन्तु मैं इस विचार के साथ प्रयोग कर रहा हूँ कि क्या इस्लाम के साथ पूर्ण अनुरूपता हो सकती है जो इस पवित्र राष्ट्र के प्रति शत्रुतापूर्ण नहीं हो और न ही हिंदुओं के प्रति | और जो पश्चिम एशिया जैसी संस्कृतियों के प्रति अधिक निष्ठावान नहीं हो |
उन अरबों की भांति जहां इस्लाम का जन्म हुआ था | और यरूशलेम और इज़राइल के विभिन्न स्थानों के प्रति जहां पहले यहूदी रिलिजन का जन्म हुआ और फिर ईसाई रिलिजन का जन्म हुआ | और फिर उसी सामान्य क्षेत्र में, इस्लाम की उत्पत्ति हुई | ये रेगिस्तानी रिलिजन हैं | हम वन की सभ्यता हैं |
हरा-भरा, वन, जल, उर्वरता और प्राचुर्य | कुछ उगता नहीं हैं इसलिए हम भोजन के लिए भूखे हैं, ऐसा नहीं हैं | रेगिस्तानी जनजातियों के पास भिन्न प्रकार के आचार हैं | यह एक वांछनीय बात नहीं है कि हर भारतीय मुसलमान को एक रेगिस्तानी जीवन शैली की नकल करनी पड़ती है |
यह विवादास्पद है और संकटपूर्ण होने वाला है और मैं यह संकट लेने के लिए तैयार हूँ | परन्तु मैं सोचता हूँ कि यदि हम एक बीज (कोर) समूह बना सके जो कहता है कि हम स्वदेशी मुस्लिम हैं, तो यह एक परिवर्तनकारी बिंदु होगा, और जिसका एक व्यापक प्रभाव हो सकता है | और मैं इसे अपनी मुसलमानों की भारतीय महागाथा में रखना चाहता हूँ | मैं ऐसा ही हूँ |
यदि हम ऐसा नहीं करते हैं …
सभी भारत-विखंडन शक्तियां बाहर से नियंत्रित हैं और हमें उस सम्बन्ध को तोड़ना होगा | मदरसों और विश्वविद्यालयों में सऊदी धन आ रहा है | यह ठीक है | परन्तु सऊदी क्यों निर्देश दे रहे हैं कि किसे संकाय के रूप में नियुक्त किया जाएगा और पाठ्यक्रम क्या होगा ? ज्ञान का परम अधिकारी वहां क्यों बैठा है ? जब आपके पास आपका कुरान है, तो आप इसकी व्याख्या कर सकते हैं | ऐसा ही पश्चिमी ईसाई समूहों के साथ है |
मैं अल्पसंख्यक के रूप में पहचान को दोषपूर्ण मानता हूँ | उन समूहों की जिनकी विदेशी सांठ-गाँठ है | वे एक अंतरराष्ट्रीय शक्तिकेंद्र के स्थानीय पदचिह्न हैं | वे अल्पसंख्यक के रूप में दोषपूर्ण रूप से पहचाने जाते हैं | वास्तव में, यह एक शक्तिशाली बहुसंख्यक की एक शाखा कार्यालय है |
यदि आपके यहाँ 100 लोगों वाला आईबीएम का एक छोटा कार्यालय होता, तो आप नहीं कहते कि यह अल्पसंख्यक था | इसी प्रकार 20 कर्मचारियों वाला मैकडॉनल्ड्स अल्पसंख्यक नहीं है | आप नहीं कहेंगे – चलिए उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा दे दें | इसी प्रकार किसी चर्च या मदरसा में बहुत कम लोग हो सकते हैं | परन्तु वे नियंत्रित, नियुक्त, वित्तपोषित, और प्रशिक्षित हैं एक वैश्विक मुख्यालय द्वारा | वे एक एमएनसी की भांति अधिक हैं |
वैटिकन, कैथोलिक चर्च को नियंत्रित करने वाले नियम काफी कड़े हैं | वैटिकन भारत में हर बिशप को नियुक्त करता है | प्रत्येक शाखा में प्रबंधक कौन होगा यह एक विदेशी मुख्यालय तय कर रहा है | वे धन को नियंत्रित करते हैं, वे निश्चित रूप से विचारधारा को नियंत्रित करते हैं, वे उन्हें प्रशिक्षण के लिए वहां भेजते हैं | आप कैसे कह सकते हैं कि यह एक विदेशी उद्यम नहीं है ? यह एक एमएनसी है |