राजीव मल्होत्रा: संघ एक बड़ी, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित संस्था है | विश्व जानता है कि संघ कुछ महत्वपूर्ण है, परन्तु उनके पास उचित समझ नहीं है | कुछ रहस्यपूर्ण, दोषपूर्ण सूचना और संदेह है | आज संघ आपके नेतृत्व में गतिशील रूप से परिवर्तित हो रहा है | जिन वरिष्ठ लोगों से मैं मिला हूँ वे बहुत गतिशील हैं | विश्व भी बहुत तीव्र गति से परिवर्तित हो रहा है | मुझे नहीं पता कि क्या संघ में पारंपरिक रूप से आत्म-आलोचना की संस्कृति है या नहीं | मैं इसे चर्च में देखता हूँ | भारतीय चर्च निम्न स्तर की उपसंस्थाएं हैं – इसलिए संभवतः यह यहाँ कम है | परन्तु पश्चिमी मुख्यालय में, आलोचनात्मक समीक्षा महत्वपूर्ण है | ऐसे डेटाबेस हैं जहां वे केरल, मिस्र, चीन आदि स्थानों पर प्रत्येक धर्मांतरण की लागत का मूल्यांकन करते हैं | भारत उनके लिए सबसे उर्वर स्थान है | वे उत्पादकता आदि का माप करते हैं | हर कार्यक्रम में इसकी सफलता का मूल्यांकन करने के लिए एक संख्यात्मक मात्रात्मक मात्रिक (मीट्रिक) होता है | वे एक कॉर्पोरेट शैली पर आधारित पद्धति की भांति लोगों को नियुक्त, बर्ख़ास्त, प्रतिस्थापित करते हैं और बढ़ावा देते हैं | क्या आपको लगता है कि बहुत ही निष्पक्ष ढंग से लोगों के प्रदर्शन का मूल्यांकन करना एक अच्छा विचार होगा ? क्योंकि मूल्यांकन में आलोचनात्मक प्रतिपुष्टि सम्मिलित है | योग्यता के आधार पर लोगों को पदोन्नत किया जा सकता है | यह एक कॉर्पोरेट प्रणाली है |
मोहन भागवत: संघ में भी ऐसा ही है | हम वर्ष में दो बार अखिल भारतीय बैठक करते हैं जहाँ हम ऐसी कई महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा करते हैं | हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं | यदि परिणाम अपेक्षित नहीं है, तो हमें परिवर्तन करना चाहिए |
राजीव मल्होत्रा: क्या व्यक्तिगत योग्यता का मूल्यांकन होता है ?
मोहन भागवत: बड़े समारोहों में व्यक्तिगत योग्यता की चर्चा नहीं की जाती है | परन्तु, प्रत्येक जिले में, 5 या 10 व्यक्ति हैं, जो वर्ष में 2-3 बार हमारी कार्य प्रणाली के प्रत्येक व्यक्ति का मूल्यांकन करते हैं | तदनुसार, परिवर्तन लाया जाता है |
राजीव मल्होत्रा: क्या किसी निश्चित क्षेत्र या किसी निश्चित उत्तरदायित्व के प्रमुख को मापने योग्य उद्देश्यों के लिए उत्तरदायी माना जाता है ? आपके उद्देश्य छह महीने वाले, 1/3/5 वर्ष वाले हैं | इस प्रकार से हम आपके प्रदर्शन का मूल्यांकन करते हैं | हम आपको बताएंगे कि आप क्या उचित या दोषपूर्ण कर रहे हैं |
मोहन भागवत: हाँ | यह प्रक्रिया हर संगठन में होनी चाहिए | हम 90 वर्षों में विकसित हुए हैं | हमने मुट्ठी भर छात्रों से आरम्भ किया था और आज हम बहुत बड़े हैं | ऐसा इसलिए क्योंकि प्रत्येक चरण में हमने स्वयं का आलोचनात्मक मूल्यांकन और परिवर्तन किया है | लोगों ने संघ को परिवर्तित किया है | सुदर्शनजी को लगा कि अब वे नाम स्मरण करने में सक्षम नहीं हैं | उन्होंने सीधे अध्यक्ष सभा में इसकी घोषणा की, मुझे सर संघचालक बनाया | शाखा स्तर से लेकर शीर्ष स्तर तक, यह संस्कृति है और हम तैयार हैं | मापने योग्य आकलन और आलोचनात्मक मूल्यांकन हमारी कार्य-पद्धति का अंग है | परन्तु यह कॉर्पोरेट शैली में नहीं है |
राजीव मल्होत्रा: ठीक है |
मोहन भागवत: यह बहुत सीमा तक मानवीय है | हम बर्खास्त नहीं करते, हम प्रतिस्थापित करते हैं | प्रतिस्थापित व्यक्ति को कोई और काम दिया जाता है जो उसकी क्षमता के अनुरूप होगा | संघ में कोई समाप्ति नहीं है | यह किसी पेंशन के बिना, भुगतान के बिना उसका काम है, परन्तु आपकी जीविका को बनाए रखा जाएगा | कोई सेवानिवृति नहीं है | कॉरपोरेट पद्धति से इसकी तुलना करने से कोई लाभ नहीं होगा | यह हमारी अपनी विधि है | इसी कारण हम बढ़ रहे हैं | और सभी बाधाओं के होने पर भी, हम जीत रहे हैं | इसलिए, यह चलता रहेगा क्योंकि यह किसी भी संगठन का एक अभिन्न अंग है |
राजीव मल्होत्रा: मेरी रुचि का क्षेत्र हमारी संस्कृति के बारे में वैश्विक चर्चा है | किस प्रकार शीर्ष स्तर पर अधिक लोगों की भागीदारी कराई जाये ? बहुत सारे हिंदू कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी छोटे समूहों, मंथनों और मंचों में बहुत सक्रिय हैं | परन्तु मैं विरोधियों से उनके मैदान पर लड़ता हूँ और हमारी ओर से मैं अकेला व्यक्ति हूँ | मुझे कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि इसका अर्थ है कि मुझे और भी अधिक अनुभव मिलता है और सीखता हूँ कि कैसे भिड़ना है | परन्तु मैं चाहूँगा कि लोग मेरे साथ आएं | मैं उन्हें शीर्ष ईसाई शिक्षण संस्थानों के अंदर ले जा सकता हूँ और उन्हें यह अनुभव करा सकता हूँ कि वे कैसे काम कर रहे हैं | क्योंकि मैंने उन संबंधों को विकसित किया है | उन्हें बोलने की आवश्यकता नहीं है | मैं बोलने का काम करूंगा | मैं ऐसा करना चाहूँगा और संघ को उसके पृथक जीवन से बाहर निकालना चाहूँगा | क्योंकि यह उर्ध्वगामी (नीचे से ऊपर) रूप से बनाया गया था और अचानक उच्च स्तर पर बहुत सफल हो गया और नई चुनौतियों का सामना कर रहा है |
मोहन भागवत: नई चुनौतियों के लिए नयी मानसिक स्थिति आवश्यक है |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहन भागवत: हिंदू समाज के लिए और यहां तक कि संघ के लिए, रक्षा के दिन समाप्त हो गए हैं | अब हमें बाहर जाना है | यह वास्तव में जीतना या हावी होना नहीं है, परन्तु हमें सबको साथ लेकर चलना है और उसे उसके अच्छे के लिए शिक्षित करना है | हमें सहायता करनी होगी |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहन भागवत: आज हम अधीनस्थ समाज नहीं हैं | भविष्य के मार्गदर्शन के लिए विश्व हमारी ओर देख रहा है |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहन भागवत: हमें इसका अनुभव होना चाहिए और उसी के अनुसार बात करनी चाहिए |
राजीव मल्होत्रा: सही कहा |
मोहन भागवत: हम बचाव नहीं करते हैं |
राजीव मल्होत्रा: ठीक |
मोहन भागवत: हम कहते हैं कि हमारे पूर्वजों के मन में यही मार्ग था |
राजीव मल्होत्रा: ठीक |
मोहन भागवत: इसलिए, हम एक साथ इस प्रकार से चलेंगे और पूरे विश्व को शिक्षित करेंगे | भारत विश्व गुरु बनाएंगे | उस मानसिक स्थिति के साथ हमें आगे बढ़ना होगा |