राजीव मल्होत्रा: तो, परम सत्य कोई व्यक्ति है |
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: मैं इससे सहमत हूँ | तो, अब हमें बताएं…यह व्यक्ति विभिन्न रूपों में प्रकट होता है |
मधु पंडित दास:सही |
राजीव मल्होत्रा: और जो भी है उन सभी रूपों में |
मधु पंडित दास:सही |
राजीव मल्होत्रा: यदि यह व्यक्ति सब कुछ है, तो एक फूल या पानी की बोतल या किसी और की इस व्यक्ति से स्वतंत्र कोई वास्तविकता नहीं है |
मधु पंडित दास:सही |
राजीव मल्होत्रा: कृपया समझाएं कि हम जिस देवता की पूजा करते हैं वे इस व्यक्ति से कैसे जुड़े हैं |यह सबरीमाला जैसे प्रकरणों के संदर्भ में है | क्योंकि मैं उन न्यायाधीशों को बताने में सक्षम होना चाहता हूँकि उन्हें वास्तव में स्रोत कोड वाले लोगों से आना और सीखना चाहिए, न कि अपने आप निर्धारित करने का प्रयास करना चाहिएक्योंकि उनका ढांचा यूरोपीय है | उनके विचार धर्मनिरपेक्षता, संविधान और न्यायालयों के बारे में हैं |उनके इस ढाँचे में ईसाई धर्म छिपा है |
मधु पंडित दास:सही |
राजीव मल्होत्रा: किसी देवता के अधिकारों, स्वीकार्य या अस्वीकार्य बातों से सम्बंधितकिसी अभियोग पर निर्णय देने के लिए और ईसाई ढाँचे से बाहर आने के लिए आपको परम्परा आधारित ज्ञान पर जाना होगा और समझना होगा कि देवता कौन हैं |
मधु पंडित दास:सही कहा |
राजीव मल्होत्रा: भागवतं की दृष्टि से देवता कौन है ?
मधु पंडित दास:भागवतं की दृष्टि से सबसे अवगत परमात्मा सर्वशक्तिमान हैं क्योंकि सब कुछ उससे आता है | वे ऊर्जा का स्रोत हैं |सर्वशक्तिमान स्वामी | सबसे पहले मैं आपको तत्त्वों की श्रेणियां बताता हूँ |पहले यह विष्णु तत्त्व है | विष्णु तत्त्व शाश्वत सत्य की श्रेणी है |शाश्वत व्यक्तित्व | व्यासदेव कहते हैं कृष्ण कृष्णस्तु भगवान स्वयम् |परन्तु, उस परमात्मा में असीमित विस्तार की क्षमता है |प्रभुपाद कहते हैं कि हम दृष्टांत देवता हैं | स्वयं को समझने पर आप समझ सकते हैं कि वह व्यक्ति क्या है |
मान लीजिए कि मैं अपने कार्यालय में बैठा हूँ | मैं अपने अधीनस्थ के साथ बात कर रहा हूँ |वह मेरा कर्मचारी है | इसलिए हमारा संबंध नियोक्ता और कर्मचारी का है | अचानक मेरी पत्नी का एक टेलीफोन कॉल आता है |तुरंत मैंने अपनी चेतना में अपने पति के व्यक्तित्व को भर दिया | फिर कुछ मिनटों के बाद मेरी पत्नी कहती है कि मेरा बेटा कुछ बात करना चाहता है | तुरंत मैं अपने व्यक्तित्व को एक पिता के रूप में परिवर्तित कर देता हूँ |इस प्रकार, मेरे पास बहुत सारे व्यक्तित्व, रस और सम्बन्ध हो सकते हैं |परन्तु हमारे प्रकरण में, दृष्टांत भगवान के रूप में, हमारे पास केवल एक शरीर हो सकता है | वह सर्वशक्तिमान ईश्वर,इनमें से प्रत्येक रस के लिए एक शरीर धारण करेंगे | अद्वैतम् अच्युतम् अनादिम् अनन्त रूपम् |आद्यं पुराण पुरुषम् |
राजीव मल्होत्रा: तो, मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूँ कि हम इस पर स्पष्ट हों |मुझे उन तत्त्वों के बारे में बताइए जो परमात्मा के अंग हैं | ये तत्त्व परमात्मा का अंग हैं ?
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: क्या ये सीमित तत्त्व हैं ? क्या यह अनंत है ? प्रमुख तत्त्व क्या हैं ?
मधु पंडित दास:भागवतम् के अनुसार, एक अनंत तत्त्व हैजिसे प्रभु की त्रिपदविभूति कहा जाता है |
राजीव मल्होत्रा: ठीक है |
मधु पंडित दास:तीन चौथाई |
राजीव मल्होत्रा: ठीक है |
मधु पंडित दास:यह भौतिक विश्व एकपद विभूति कहलाता है |यह प्रभु की ऐश्वर्य है | वहां चिरकाल के लिए अनंत विष्णु और वैकुंठ ग्रह उपस्थित हैं |
राजीव मल्होत्रा: तो, वहाँ अनंत व्यक्तित्व हैं ?
मधु पंडित दास:हाँ, परन्तु वे अद्वैतम् अच्युतम् हैं |वे सभी परस्पर भिन्न नहीं हैं | वे एक ही व्यक्तित्व हैं |
राजीव मल्होत्रा: परमात्मा में अनंत तत्त्व हैं ?
मधु पंडित दास:नहीं, एक तत्त्व |
राजीव मल्होत्रा: ठीक है |
मधु पंडित दास:अनंत विस्तार | उसे विष्णु तत्त्व कहते हैं |
राजीव मल्होत्रा: तो, एक तत्त्व अनंत व्यक्तित्व ?
मधु पंडित दास:अनंत व्यक्तित्व | और एक अंश तत्त्व भी है, जीव, जिनके पास नारायण के प्रति लगाव है |तो, यह आध्यात्मिक विश्व का गठन करता है | अनंत आध्यात्मिक ग्रह जिनमें प्रत्येक में एक नारायण की सत्ता है |
राजीव मल्होत्रा: तो, जीव अनंत व्यक्तित्व हैं ?
मधु पंडित दास:जीव भी अनंत व्यक्तित्व हैं |
राजीव मल्होत्रा: और प्रभु के तत्त्व के अनंत व्यक्तित्व हैं |
मधु पंडित दास:हाँ | फिर भी वे एक हैं |
राजीव मल्होत्रा: तो, हमारे पास अनंत व्यक्तित्व एक ही रूप में हैं |और अनंत जीव भी |
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: इसके अंग के रूप में भी |
मधु पंडित दास:इसके अंग के रूप में में | यह उनसे विकिरित हुआ है |
राजीव मल्होत्रा: ठीक है |
मधु पंडित दास:तो रूप गोस्वामी और चैतन्य महाप्रभु कहते हैं, कि ये सर्वज्ञ परमात्मा स्वन्शः या अपने स्वयं के विस्तार के रूप रूप में अपना विस्तार करते हैं | वे नारायण हैं |फिर वे विभिन्न अंश हैं जो जीव हैं | हम जीव हैं | इस प्रकार हम भी ईश्वर से आए हैं |उस सीमा तक हम भी ईश्वर हैं |
राजीव मल्होत्रा: तो, हम अनादि और शाश्वत हैं ?
मधु पंडित दास:आत्मा अनादि है |
राजीव मल्होत्रा: जीव अनादि है |
मधु पंडित दास:हाँ |हम शाश्वत हैं | कृष्ण भगवद्गीता के अध्याय 2 में अर्जुन को यही बताते हैं | अतीत में कभी ऐसा समय नहीं था जब मेरा अस्तित्व नहीं था या जब भविष्य में हमारा अस्तित्व नहीं होगा | इसका अर्थ है कि आत्मा कभी नहीं मरती है | केवल शरीर मरता है | अब एकपद विभूति की बात करते हैं |
राजीव मल्होत्रा: सही कहा |
मधु पंडित दास:सामान्य रूप से यह धारणा है कि भौतिक विश्व एक माया है |
राजीव मल्होत्रा: ठीक |
मधु पंडित दास:क्योंकि यह सदैव के लिए नहीं रहता है
राजीव मल्होत्रा: यह नश्वर है
मधु पंडित दास:हाँ क्योंकि यह निर्माण, रखरखाव और विध्वंश से होकर गुजरता है | अब जीवों के बीच,शक्तिशाली जीव देव बन जाते हैं | भौतिक जगत मेंशक्ति को पुण्य द्वारा मापा जाता है | यह कर्म का नियम है | जिन लोगों ने बहुत सारा पुण्य इकठ्ठा कर लिया है, देवता बन जाते हैं |देवता सत्ता में स्थित लोगों की भांति हैं | प्रत्येक देव विभिन्न विभागों के प्रभारी होते हैं |
राजीव मल्होत्रा: वे देवता जिन्होंने पुण्य इकठ्ठा कर लिया है, उसे दूर कर सकते हैं, वितरित कर सकते हैं ?
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: और इसलिए, कोई भक्ति कर सकता है और कुछ प्राप्त कर सकता है |
मधु पंडित दास:बिल्कुल ठीक |
राजीव मल्होत्रा: तो, देवता एक निश्चित साख वाले बैंक की भांति हैं जिसे आप प्राप्त कर सकते हैं |
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: आप आवेदन कर सकते हैं और कुछ प्राप्त कर सकते हैं |
मधु पंडित दास:बिलकुल ठीक | जैसे कि मैं किसी दानदाता के पास जाता हूँ कुछ मांगता हूँ, और उसके पास जो है वह दे सकता है |
राजीव मल्होत्रा: अरबपति दाता भी हममें से एक है | उसने हमसे बेहतर धन संचय किया है |
मधु पंडित दास:बिलकुल ठीक |
राजीव मल्होत्रा: और मैंने ऐसा नहीं किया है |
मधु पंडित दास:बिलकुल ठीक |
राजीव मल्होत्रा: तो, देवता हममें से एक हैं जिन्होंने बेहतर स्थान पाया है |मुक्त बाजार व्यवस्था में उन्होंने मुझसे बेहतर काम किया है |
मधु पंडित दास:हा हा हा हा | बिलकुल ठीक |
राजीव मल्होत्रा: परन्तु जो उसने संचित किया है वह सीमित है | वह समाप्त हो जाएगा |
मधु पंडित दास:सीमित | अंतह मंतु फलम तेषः | इन सबका अंत है |
राजीव मल्होत्रा: दोनों कर्म और फल सीमित हैं |
मधु पंडित दास:इसलिए कृष्ण कहते हैं कि जो लोग कम बुद्धिमान होते हैं, वे देवों के पास जाते हैंक्योंकि वे जो दे सकते हैं वह अनन्त जीवन नहीं है | परन्तु जो लोग मेरे पास आते हैं, मैं उन्हें अनंत जीवन दे सकता हूँ | वैकुंठ में |मैं उनकी आत्मा को संचारित कर सकता हूँ | परन्तु यदि आप यहां मृत्युलोक के इस चक्र में रहना चाहते हैं |
राजीव मल्होत्रा: कार्मिक |
मधु पंडित दास:कार्मिक चक्र, तो आप यहां रह सकते हैं | संपूर्ण प्रणाली के बारे में यह एक सुंदर बात है |
राजीव मल्होत्रा: तो, देवता कर्म प्रणाली की सीमा में हैं |
मधु पंडित दास:वे 100% रूप से कर्म प्रणाली की सीमा में हैं | तो अब देवता के पास चलते हैं |
राजीव मल्होत्रा: ठीक है |
मधु पंडित दास:तो, प्रभु सर्वशक्तिमान हैं | देवता के रूप में कृष्ण के लिए एक पूरी प्रणाली है जिसे उन्होंने शास्त्रों में दिया है जिसे पंचरात्रिका विधी या आगम प्रक्रिया कहा जाता है |आपको और क्या करना है | यह भक्ति के अतिरिक्त है जो कि हृदय से प्रभु का आह्वान है |कृपया आइये | मैं आपकी सेवा करना चाहता हूँ | क्योंकि जब हम शरीर में होते हैं, तो आध्यात्मिक रूप को देखने के लिए हमारे पास वैसी आध्यात्मिक इन्द्रियाँ नहीं होती हैं |हमारे पास ज्ञानेंद्रिय और कर्मेन्द्रिय हैं | परन्तु सामान्य रूप से हमें लगता है कि वे सकल इंद्रियां हैं |आंखें नहीं देखती हैं, वास्तव में, आत्मा इसके माध्यम से देखती है | ज्ञानेंद्रियां देखती और सुनती हैं | एक मृत शरीर में वही आखें नहीं देखती हैं |तो, आत्मा में देखने, छूने, सूंघने और चखने के लिए इन्द्रीय की क्षमता है |
दुर्भाग्य से,ज्ञान और कर्म इंद्रिय की मेरी पूरी आगत प्रणाली इस शरीर और स्थूल जगत मेंफंस गयी है | परन्तु प्रभु पारलौकिक और भिन्न कंपन के हैं |उनका शरीर सच्चिदानंद का है | सत का अर्थ है अनंत काल | उसका रूप सनातन है और वे ज्ञान और आनंद से भरे हैं |मैं केवल एक मांसल रूप देख सकता हूँ | प्रभु कहते हैं,आप अपने अनुकूलन के कारण मुझे अनुभव नहीं कर सकते |परन्तु यदि आप मेरे पास आने के लिए तैयार हैं, तो यह स्वतंत्र इच्छा से होगा | हमारे पूरे वेदांत में एक सुंदर बात है स्वतंत्र इच्छा | यदि आप इस विश्व में बने रहना चाहते हैं, तो आप सदैव के लिए यहाँ रह सकते हैं |
यदि आप आना चाहते हैं, तो आप आ सकते हैं | यदि भक्तों का एक समूह कृष्ण की पूजा करना और उन्हें सेवाएं प्रदान करना चाहता है,तो केवल इसलिए कि आप इस शरीर में फंस गए हैं, मैं आपको इससे वंचित नहीं करना चाहता | मैं सर्वशक्तिमान हूँ | मैं देवता में आ जाऊंगाजब तक आपको विश्वास है कि मैं देवता में आ सकता हूँ और देवता बन सकता हूँ | आप मुझे सेवा प्रदान करें, मैं इसे ग्रहण करूँगा | आप मुझे भोजन कराएँ, मैं इसे ग्रहण करूँगा |और वापस प्रसादम दूंगा | आप मेरा महिमामंडन करें और मेरा नाम जपें, मैं सुनूंगा |
इस प्रकार देवता अर्च अवतार हैं | 5000 वर्ष पहले कृष्ण आए थे |यह एक अन्य प्रकार का अवतार है | अर्च अवतार अर्च विग्रह में है | वे आचार्य के आमंत्रण पर नीचे आते हैं |शर्त यह है कि आपके पास वैसा जुड़ाव होना चाहिए |
राजीव मल्होत्रा: ठीक |
मधु पंडित दास:यदि आप उस आवृत्ति में कंपन करते हैं और अनुशासन का पालन करते हैं,तो वे आयेंगे और ग्रहण करेंगे | तो, वह व्यक्ति आपके साथ प्रेम से रह रहा है |क्योंकि आप उसकी पूजा करना चाहते हैं |
राजीव मल्होत्रा: तो, प्रभु, भक्ति की प्रतिक्रिया में, एक विशिष्ट रूप में आते हैं और आपके साथ रहते हैं |
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: क्या यह भिन्न-भिन्न रूपों में भिन्न-भिन्न भक्तों द्वारा किया जा सकता है ?यहाँ मंदिर में आपके पास भिन्न-भिन्न रूप हैं |
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: तो प्रभु को विशेष रूप में लाने के लिए कोई शिष्टाचार आदि है ?
मधु पंडित दास:एक शिष्टाचार है | रूपों का वर्णन शास्त्रों में है |
राजीव मल्होत्रा: ठीक |
मधु पंडित दास:मैं कुछ भी कल्पना नहीं कर सकता हूँ |आप अपने मन से किसी रूप की कल्पना नहीं कर सकते | श्री कृष्ण का विशेष रूप में वर्णन किया गया है |
राजीव मल्होत्रा: अर्थात् कुछ निश्चित सांचे या रूप हैं |
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: जो कि सच्चे रूप हैं |
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: उन सच्चे रूपों में से एक में प्रभु आयेंगे यदि आप सही शिष्टाचार, सही उपासना
मधु पंडित दास:भक्ति
राजीव मल्होत्रा: और सही भक्ति कर रहे हैं | और यदि आप ऐसा करने के लिए योग्य हैं |यदि आपने स्वयं को उस स्तर तक ऊँचा उठाया है |
मधु पंडित दास:सही |
राजीव मल्होत्रा: यह कोई मनमाना रूप नहीं है |
मधु पंडित दास:नहीं |प्रभुपाद देवताओं के बारे में एक और सुंदर उदाहरण देते हैं | वे कहते हैं, आपके पास एक सामान्य डाकघर है | आप अपना पत्र नगर में कहीं भी अधिकृत पत्र-पेटियों में डाल सकते हैं | यह फिर भी जीपीओ जाएगा |इसी प्रकार अनंत अर्च विग्रह हैं | आप अपनी सेवा देते हैं | यह प्रभु के पास जाएगा |
राजीव मल्होत्रा: परन्तु अनंत पत्र-पेटियों का अर्थ यह नहीं है कि सब कुछ पत्र-पेटी है |
मधु पंडित दास:हाँ
राजीव मल्होत्रा: एक बहुत ही सामान्य भ्रम है |
मधु पंडित दास:हाँ | मान लीजिए कि अपने घर के बाहर कल मैं एक पत्र-पेटी बनाकर लगा दूं | पत्र नहीं जाएंगे |
राजीव मल्होत्रा: ठीक |
मधु पंडित दास:तो, इसे अधिकृत होने की आवश्यकता है |
राजीव मल्होत्रा: सत्य के असंख्य रूप हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि सभी रूप सत्य हैं |
मधु पंडित दास:बिलकुल ठीक | उन्हें अधिकृत करने की आवश्यकता है |
राजीव मल्होत्रा: कई मार्गों के अस्तित्व का अर्थ यह नहीं हैकि सभी मार्ग उस गंतव्य तक जाते हैं |
मधु पंडित दास:बिलकुल ठीक |
राजीव मल्होत्रा: कई सड़कें गंतव्य तक ले जाती हैं,परन्तु कुछ सड़कें अंतहीन हैं, कुछ मृत सागर में जाती हैं या किसी गड्ढे में |
मधु पंडित दास:सही |
राजीव मल्होत्रा: भ्रम का अस्तित्व है |
(To Be Continued…)