हिन्दू शुभ समाचार

भारतीय महागाथा हिन्दू धर्म

दुनिया परिवर्तन के समय में है। वैश्वीकरण, राष्ट्रीय सीमाओं के पार लोगों की बढ़ती आवाजाही, पर्यावरण संबंधी चुनौतियाँ, धार्मिक संघर्ष, उभरती अर्थव्यवस्थाएँ और एक बहु-ध्रुवीय दुनिया जैसे बदलाव सदियों पुरानी मानवीय दुविधाओं और समस्याओं को हल करने के लिए हमारी सोच में परिवर्तन की मांग कर रहे हैं |

आज की चुनौतियों के समाधान के लिए कई जो रास्ते हमारे सामने उपस्थित हैं पर वो सब थके हुए, दिनांकित और अपर्याप्त हैं। उन समाधानों को फ़ैलाने के लिए जो संस्थाएं हैं, वो मुख्य रूप से पश्चिमी दृष्टि से देखती हैं, वो विचारधारा जो लगभग आधे सहस्राब्दी से अंतर्राष्ट्रीय मामलों में प्रमुख है। यह विश्व दृष्टि यूरोप एवं अमेरिका के इतिहास, मिथकों, बौद्धिक परंपराओं और विशेष रूप से उनके धार्मिक विश्वासों द्वारा गहराई से गढ़ी गई है।

अब जबकि पेंडुलम एक बार फिर से एशिया की ओर झुक रहा है, और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं और शक्तियों हलचल मचा रही हैं और अपनी सांस्कृतिक अभिव्यक्ति कर रही हैं, हम बहुत महत्वपूर्ण सुअवसर के क्षण पर खड़े हैं। हममें से बहुत से लोग ऐसे हैं जो दुनिया की विविध आवाज़ों को खारिज कर सकते हैं, जैसे कि हमारे लिए उपयोग किए जाते हैं क्योंकि वो आवाज़ें खासकर एक लंबे समय से चलती हुई मान्यताओं को चुनौती दे रही हैं। हम नए परिप्रेक्ष्यों को स्वीकार भी कर सकते हैं चाहे वो पश्चिमी विशेषाधिकार को भंग ही क्यों न करते हों; क्योंकि वो न केवल पश्चिमी देशों के लाभ के लिए, बल्कि सभी मानवता के लाभ के लिए दुनिया को नया आकार देने की क्षमता की आशा दिखाते हैं ।

पुराने प्रतिमानों में से एक जो हम सभी ने सुना है वह है ईसाइयों द्वारा उपयोग किया जाने वाला “शुभ समाचार ” नाम का वाक्यांश है। (वाक्यांश “शुभ समाचार ” गॉस्पेल शब्द का शाब्दिक अनुवाद है, जो बाइबिल में यीशु के जीवन के वृत्तांत को संदर्भित करता है)|  क्रिश्चियन शुभ समाचार या गुड न्यूज़ आम तौर पर भगवान् के बचाव कृत्यों के साथ जुड़ा हुआ है जो उनके पुत्र यीशु मसीह द्वारा मानवता के पापों के प्रायश्चित के लिए उनके क्रॉस पर बलिदान के माध्यम से दर्शाया गया है। लेकिन हिंदू ऐसे प्रायश्चित को अनावश्यक मानते हैं; क्योंकि मनुष्य पापी नहीं है, बल्कि दैवी है। हम में से हर एक प्राणी, यीशु के समान क्षमता से संपन्न है और हम इस दिव्यता को अपने भीतर अभी उजागर कर सकते हैं बिना किसी और के पूर्व के बलिदान की आवश्यकता के। इसी सशक्त विचार को समझाने के लिए हमने “हिन्दू शुभ समाचार ” शब्द गढ़ा है|

इस तरह की खुशी की ख़बरें केवल हिंदू शुभ समाचार या गुड न्यूज़ की एक छोटी सी झलक है, जो मनुष्य को उसकी अपनी क्षमताओं से अभिज्ञ करती है;  भगवान, मनुष्य और ब्रह्मांड की आवश्यक एकता पर जोर देती हैं; एवं एकरूपता के बजाय विविधता ही वास्तविकता की सबसे बेहतर समझ है, इस पर ज़ोर देती है |  इसी तरह की विश्व दृष्टि के कुछ प्रमुख वचनों में निम्नलिखित शामिल हैं:

१. ठेठ ईसाई समझ की तरह हिन्दू शुभ समाचार में मूल पाप जैसी कोई वस्तु नहीं है। हम सभी मूल रूप से दिव्य हैं जो संस्कृत शब्द, सत-चित-आनंद के द्वारा वर्णित है|

२.  हिन्दू शुभ समाचार के अंतर्गत ऐतिहासिक भविष्यवक्ता एवं मसीहों का आध्यात्मिक सत्य की पहुँच पर कोई नियंत्रण नहीं है, जैसा कि ईसाई धर्म और अधिकांश अब्राहमिक धर्मों में प्रचलित है। योग एवं संबंधित आध्यात्मिक अभ्यासों की मदद से हम  ऐतिहासिक स्वतंत्रता की स्थिति को प्राप्त कर सकते हैं जिसमे ऐतिहासिक रूप से प्रदान की हुई सांप्रदायिक पहचान, प्रजाति, कुलवंश एवं किसी अनोखे ऐतिहासिक घटना के आधार पर धार्मिक विशिष्टता के दावे शामिल हैं। दूसरे शब्दों में, हम ऐतिहासिक नबियों या उन सत्ता के संस्थानों पर निर्भर नहीं हैं जो उनके बाद विकसित हुए हैं ।

३. धर्म और विज्ञान के बीच कोई हमारा कोई मौलिक संघर्ष नहीं है एवं न ही अतीत में कभी रहा है।

४. हमें “अराजकता” का कोई डर नहीं है जैसे कि पश्चिमी ब्रह्मांड विज्ञान और मिथक में है। नकारात्मक अर्थों में अक्सर जो अराजक माना जाता रहा है वह केवल वास्तविकता का स्वाभाविक और सामान्य प्रकटीकरण है। यह केवल मानवीय अनुभूति की सीमा है जो प्रकृति की जटिलता का गलत अर्थ निकालती है और उससे भयावह और दुष्ट के रूप में देख कर उसे विनाश के योग्य समझती है।

५. प्रकृति का सम्मान करते हुए एक आनंदमयी मानव जीवन संभव है। “अग्रगति” और “प्रगति” के लिए प्रकृति को तबाह करने की कतई आवश्यकता नहीं है| वास्तव में, इंटरकनेक्टिविटी या अंतर:संबंधन का जाल जो हमें शक्ति देता है, उसके उल्लंघन के बिना ही हमारा जल्द विकास  संभव है ।

६. हमारी अंतिम क्षमता तक बढ़ने के लिए हमें किसी भी केंद्रीकृत धार्मिक प्राधिकरण की आवश्यकता नहीं है । दिशा-निर्देशों के रूप में हमारे पूर्व के मार्गदर्शकों की खोजों और उपकरणों का उपयोग करके हम अपने स्वयं के पथ की खोज कर सकते हैं ।

७, सभी धर्मों और परंपराओं के बीच पारस्परिक सम्मान हिंदू धर्म में सिद्धांत का विषय है, न कि “राजनीतिक शुद्धता” या अनावश्यक अनचाही जबरदस्ती है । यह उन लोगों के लिए “सहनशीलता” से भी बहुत आगे है जो विभिन्न रास्तों का अनुसरण करते हैं। हम विशिष्टता के दावों को खारिज करते हैं और उन धारणाओं को भी ख़ारिज करते हैं जो दूसरों को अपने धर्म में बदलने का जनादेश देती हैं।

यह वेबसाइट https://BeingDifferentBook.com हिंदू शुभ समाचार के विचार के अंतर्गत ऐसे विचारों, मान्यताओं और प्रथाओं की एक विस्तृत श्रृंखला पर निबंध और चर्चा का मंच प्रदान करती है। इन प्रकाशनों में भारत की सभी धार्मिक परंपराओं – हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म एवं जैन धर्म के दार्शनिक और आध्यात्मिक विचारों को शामिल किया गया है। उपरोक्त के साथ हमारे दिशा निर्देश पट्ट के साथ अनेक चर्चाओं और तर्क-वितर्क के माध्यम से हम अंतर-धर्म संबंधों, धर्म और विज्ञान के बीच के संबंधों, एवं मानवता और प्रकृति के बीच के संबंधों के एक नए युग की शुरुआत करने की आशा करते हैं।

हाल ही की पुस्तक, विभिन्नता – पश्चिमी सार्वभौमिकता के लिए एक भारतीय चुनौती (हार्परकोलिन्स, २०११) (BEING DIFFERENT: An Indian Challenge to Western Universalism) (Harpercollins, 2011), इस बात की जांच-पड़ताल करती है कि यह विश्व दृष्टि पश्चिमी विचार की मुख्यधारा से अलग कैसे है, जिसमें जुडो-क्रिश्चियन किस्म, यूरोपीय प्रबोधन के आधार पर धर्मनिरपेक्ष विचार और उत्तर-आधुनिकतावादी शामिल हैं।


Translation of – https://HinduGoodNews.com

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