प्रथम स्वदेशी इंडोलोजी कांफ्रेंस – राजीव मल्होत्रा जी के भाषण के अंश

करीब २० साल पहले इन्फिनिटी फाउंडेशन ने यह समझना चाहा कि अमेरिकी अकेडेमिया में भारत से सम्बंधित विषयों पर क्या और कैसा शोध होता है? इसलिए हमने उन जगहों को पैसा देना शुरू किया जहाँ भारत से सम्बंधित विषयों पर अध्ययन हो रहा था – हार्वर्ड, कोलंबिया यूनिवर्सिटी आदि। हमारा मूल विचार था कि वे […]

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क्या ग़रीब का धर्मान्तरण नैतिक है?

कई हिन्दू ऐसा मानते हैं कि अगर भारत में गरीबी है और गरीब लोगों का धर्मान्तरण (Conversion) हो रहा है तो इसमें गलती सरकार की है, ईसाई मिशनरी की नहीं. ऐसा कह कर वे अक्सर अपने ईसाई दोस्तों के साथ अच्छे सम्बन्ध रखना चाहते हैं. इस वीडियो में राजीव मल्होत्रा कारण बताते हैं कि चाहे […]

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क्या नारायणमूर्ति (इन्फोसिस, Infosys) भारत के लिए एक अच्छे ब्राण्ड एम्बेसडर हैं?

आई. आई. टी, मुंबई क्या नारायणमूर्ति (इन्फोसिस, Infosys) भारत के लिए एक अच्छे ब्राण्ड एम्बेसडर हैं? मैंने जब भी विदेशियों से बात की और बताया कि मैं इंडिया से हूँ, तो वो बड़े चमकृत होते हैं. ओह!! इंडिया!!! क्या आपने इस धारणा में कोई बदलाव देखा – 80 के दशक से आज तक? तो भारत […]

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टीवी धारावाहिक – आर्य-द्रविड़ संघर्ष

आज मैं एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करूंगा। मुद्दा यह है कि एक नया टीवी धारावाहिक आने वाला है जो कि काल्पनिक आर्य-द्रविड़ संघर्ष पर आधारित है। इस धारावाहिक का निर्माण मुंबई के एक बहुत ही प्रतिष्ठित समूह द्वारा किया जा रहा है। यह जानकारी इतनी महत्वपूर्ण है कि मैं चाहता हूँ कि […]

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यदि सब मिथ्या और माया है तो परिश्रम करने से क्या लाभ?

एकात्मकता (Oneness), सब समान है, कोई अंतर नहीं है, आदि, यह बातें किस स्तर पर सही हैं? यह उस स्तर की बातें हैं, जब हम चेतना के अलग ही धरातल पर होते हैं। इस धरातल पर कोई देवता नहीं है और कोई असुर नहीं है। उस धरातल पर कोई महाभारत नहीं हो रहा है। वहां […]

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धर्म ‘इतिहास–केंद्रीयता’ की उपेक्षा करता है

अब्राहमी मतों (ईसाई, यहूदी, इस्लाम)से संबंधित अधिकांश संघर्ष और युद्ध इस मतभेद से उत्पन्न हुए हैं कि ईश्वर ने वास्तव में क्या कहा और उसने ऐसा कैसे कहा और उसका मतलब वास्तव में क्या था।व्यवस्था बनाए रखने के लिए “प्रामाणिक” ग्रंथों के मानदंड बनाए गए और क्रीड, अथवा महत्वपूर्ण अभिकथनों और विश्वासों के संगठित रूप, […]

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‘होली स्पिरिट’, ‘शक्ति’ अथवा ‘कुण्डलिनी’ के सामान नहीं है

सभी धर्मों में समानता की तलाश करने के दौरान, अक्सर ईसाई धर्म की ‘होली स्पिरिट’ की तुलना हिन्दू धर्म की शक्ति अथवा कुण्डलिनी के साथ की जाती है | यद्यपि, ये दोनों पद भिन्न भिन्न और प्रायः विसंगत तत्वमिमांसाओं का निरूपण करते है | प्रारंभिक वैदिक साहित्य एक परमसत्ता (शक्ति) का वर्णन करता है, जिसकी […]

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