राजीव मल्होत्रा: हम सुनते रहते हैं कि आर्य लोग आए और आक्रमण किया, हम द्रविड़ हैं, पीड़ित हैं | हम संस्कृत नहीं चाहते क्योंकि हम बाइबल के निकट हैं | यह पूरा बकवास है | केवल हाल के दिनों में डॉ नागास्वामी और कुछ अन्य लोगों ने इसका उत्तर देकर अपना काम किया है | दोषपूर्ण व्याख्या समाज में फैलती रहती है जिससे कई पूर्वाग्रह और तनाव उत्पन्न होते हैं | इसलिए, मैं चाहता हूँ कि आप सभी सुनना जारी रखें |
डॉ नागास्वामी: पारिवारिक जीवन या गृहस्थ जीवन के साथ -साथ धर्मशास्त्रों से अन्य विचारों का भी तिरुक्कुरल में अनुवाद किया जाता है | पुस्तक की दूसरा खंड, जिसे तमिल में पुरुल अधिकरम कहा जाता है, अर्थशास्त्र का सटीक अनुवाद है |
राजीव मल्होत्रा: यह अद्भुत है |
डॉ नागास्वामी: अब हमारे पास छात्र जीवन, विवाहित जीवन और तपस्या थी | मैंने तपस्वी और सन्यास पर ध्यान केंद्रित नहीं किया है | धर्मशाला में पाया गया सटीक अनुक्रम तिरुक्कुरल में पाया जाता है | हम आगे बढ़ रहे हैं | यह प्रत्येक व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन से संबंधित है – छात्र जीवन, विवाहित, तपस्वी और सन्यास | धर्मशास्त्र में समाज में मनुष्य की भूमिका पर अध्याय हैं |
राजीव मल्होत्रा: राज्य और पूरे समाज में | सामाजिक और राजनीतिक |
डॉ नागास्वामी: समाज में उसके जीवन पर ठीक वैसी चर्चा है जैसी धर्मशास्त्र में | या तिरुक्कुरल में इसी प्रकार चर्चा की जाती है | अगला, बिल्कुल वैसा ही | वे कहते हैं कि मनुष्य को समाज में रहने के लिए स्वतंत्रता और अपने परिवार के लिए सुरक्षा की आवश्यकता है, ताकि उसके बच्चे बढ़ें और जीवन का आनंद लें | इसलिए, उसे बाहरी आक्रमण और आंतरिक विद्रोह से सुरक्षा की आवश्यकता है | राज्य व्यक्तियों को उनकी सर्वोत्तम समझ रखने के लिए सुरक्षा प्रदान करता है |
राजीव मल्होत्रा: कौटिल्य का अर्थशास्त्र
डॉ नागास्वामी: धर्म और अर्थ दोनों के बारे में है | अर्थ है कि आप धन और अर्थव्यवस्था बनाते हैं और धर्म न्यायसंगत मार्ग है | दोनों एक साथ आते हैं |
राजीव मल्होत्रा: तो, क्या तिरुक्कुरल का अर्थ का यह विचार केवल मनु का या फिर कौटिल्य का भी अनुकरण करता है ?
डॉ नागास्वामी: पूरी बात | सबसे पहले यह राजनीती से संबंधित है |
राजीव मल्होत्रा: ठीक है |
डॉ नागास्वामी: राजधर्म | वल्लुवर राजधर्म पर चर्चा करते हैं | जो कुछ भी अर्थशास्त्र अंग के रूप में बताता है, राजसी सत्ता के अंग, सरकार, वही बात वल्लुवर द्वारा तिरुक्कुरल में तमिल में अनुवाद की जाती है |
राजीव मल्होत्रा: अद्भुत !
डॉ नागास्वामी: वही शब्द अनुवाद किये गए हैं |
राजीव मल्होत्रा: तो, तिरुक्कुरल के लेखक ने कई शास्त्रों का अध्ययन किया है |
डॉ नागास्वामी: हाँ, यह धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र है | फिर बाद में नाट्यशास्त्र और कामशस्त्र भी हैं | इन सभी का अध्ययन किया गया है और
राजीव मल्होत्रा: तो, उन्होंने संस्कृत से तमिल में सबकुछ संश्लेषित करने का बहुत अच्छा काम किया है | और इसे सम्मानित किया जाना चाहिए |
डॉ नागास्वामी: देखिये, कुछ महत्वपूर्ण विषय हैं | धर्मशास्त्र इस बात पर बल देता है कि ब्राह्मणों को न्यायपालिका के पेशे का चयन करना चाहिए, क्योंकि वे शिक्षित थे और एक धार्मिक जीवन का पालन करते थे | उन्हें समाज के अन्य लोगों के प्रति निष्पक्ष होना चाहिए और दूसरों के प्रति कोई द्वेष नहीं होना चाहिए | और स्वयं के लिए प्राप्त करने की कोई लालसा या इच्छा नहीं होनी चाहिए | सबसे ऊपर, मूल रूप से, उन्हें पता होना चाहिए कि वे सही काम कर रहे हैं | मनु के धर्मशास्त्र में इस प्रकार से धर्म को परिभाषित किया गया है |
मनु एक असाधारण निष्पक्ष विचारक थे जिन्हें आधुनिक समय में भारत में उचित महत्व नहीं दिया गया है | यह अविश्वसनीय है कि लगभग 4000 वर्षों के बाद भी, उनका ग्रन्थ अभी भी निष्पक्ष है | मौलिक ग्रन्थ पढ़ने पर पता चलता है कि उनका व्यक्तित्व कितना अद्भुत था | उन्होंने कहा कि एक शिक्षित व्यक्ति को विचारों की सेवा करनी चाहिए | उसे एक अच्छा व्यक्ति होना चाहिए क्योंकि यदि वह शिक्षित है और एक अच्छा व्यक्ति नहीं है, तो इससे कोई लाभ नहीं है | तो, उसे अवश्य शिक्षित, निष्पक्ष और कुछ पाने की इच्छा से मुक्त व्यक्ति होना चाहिए | और उसे अवश्य विश्लेषण करना चाहिए कि ये सही हैं या नहीं और तब फिर कार्य करना चाहिए | यही धर्म है |
राजीव मल्होत्रा: अर्थात्, आचरण के बहुत उच्च मानक |
डॉ नागास्वामी: सभ्य ढंग |
राजीव मल्होत्रा: बहुत सभ्य
डॉ नागास्वामी: वल्लुवार बिल्कुल वही बात कहते हैं |
राजीव मल्होत्रा: इसलिए, मुझे लगता है कि मनु की आलोचना करके और तिरुक्कुरल की प्रशंसा करके, जबकि वे एक ही बात कहते हैं, विच्छेद करने का प्रयास राजनीतिक दुष्टता है | कि वे लोग भिन्न हैं, वे आए और हम पर आक्रमण किया, और हम पीड़ित हैं | इसलिए, हम वैदिक संस्कृति से तिरुक्कुरल की संस्कृति को बचाने का प्रयास कर रहे हैं | यह बकवास है क्योंकि वे एक ही बात हैं | आप किसी एक में जो पाते हैं वही दूसरे में मिलता है |यह बहुत महत्वपूर्ण है |
डॉ नागास्वामी: और यह एक वृत्ति (पेशा) है जैसे कुम्हार के पास उसकी वृत्ति है | एक चिकित्सक के पास एक वृत्ति है, वणिकों को अर्थव्यवस्था बनाने की वृत्ति मिली है | ब्राह्मण को धर्म पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है |
राजीव मल्होत्रा: तो, वह धर्म के पारिस्थितिकी तंत्र का प्रबंधन करता है जबकि दूसरा पैसे के पारिस्थितिकी तंत्र का | इसलिए, वह भी एक प्रकार की सामाजिक पूंजी के लिए उत्तरदायी है |
डॉ नागास्वामी: पैसे कमाना न्यायसंगत है | मनुस्मृति में एक श्लोक है जो कहता है कि राजा को वेदों का समर्थन करना चाहिए, ग्रंथों का, ब्राह्मणों का और धर्म का भी | वह वैदिक परंपरा और धर्म का सबसे प्रमुख संरक्षक है | मनु ऐसा कहते हैं | सटीक अनुवाद है… अन्धनार नूलुक्कुम अरनुक्कुम आधियाई निनराधू मन्नावन कोल |
राजा के शासन का प्रतीक राजदंड है | उसे वेद, धर्म और धर्मशास्त्र की रक्षा करनी चाहिए | तो, बिल्कुल इसी का उल्लेख किया गया है (अन्धनार नूलुक्कुम अरनुक्कुम आधियाई निनराधू मन्नावन कोल) जिसका अर्थ है कि सरकार को समर्थन देना चाहिए वैदिक विचारों का जिसका अभिप्राय धर्म और धर्मशास्त्र है, न कि अनुष्ठान | वल्लुवर के तिरुक्कुरल में एक विशिष्ट वक्तव्य “अंधनार नूल” कहता है कि सरकार को वेद धर्म की रक्षा करनी चाहिए | और क्या होता है यदि वह धर्म के अनुसार इसकी रक्षा नहीं करता है ? इसे तमिल में कोडुनकोल कहा जाता है | दोषपूर्ण शासन तब होता है जब राजा वेद और धर्म की रक्षा नहीं करता है |
राजीव मल्होत्रा: अर्थात्, उत्तरदायित्व राजा का है |
डॉ नागास्वामी: चूंकि वे सभ्य शासन चाहते हैं, नियमों को इसकी रक्षा करनी चाहिए |
राजीव मल्होत्रा: इसलिए, धर्मशास्त्र में राजधर्म के बारे में वर्णित सबकुछ तिरुक्कुरल में भी है |
डॉ नागास्वामी: वास्तव में वे वहां कहते हैं “आ पयन कुंरूम” | यदि वह गाय की रक्षा नहीं करता है, तो यह दूध देना बंद कर देगी और समाज के लिए अनुपयोगी हो जायेगी | तो, गाय महत्वपूर्ण है |
राजीव मल्होत्रा: तिरुक्कुरल में भी ?
डॉ नागास्वामी: हाँ तिरुक्कुरल में |
राजीव मल्होत्रा: ठीक है | तो, ‘गाय संरक्षण का यह सब काम भगवा लोगों द्वारा किया जा रहा है, हम द्रविड़ हैं और इसमें सम्मिलित नहीं हैं’ पर प्रश्न उठाना चाहिए |
डॉ नागास्वामी: तो, “आ पयन कुंरूम” का अर्थ है कि न्याय का पतन होगा | यदि आप वेद धर्म की रक्षा नहीं करते हैं | तो, “अन्धनार एन्पोर अरोवर”, ब्राह्मण का अभिप्राय पंडित है | पंडित समदर्शिना हैं | समदर्श का अर्थ है कि वे सभी लोगों को समान रूप से देखते हैं | प्रत्येक जीवित प्राणी में जीवन है, ईश्वर की अभिव्यक्ति | इसलिए, वे समाज का मार्गदर्शन करते हैं और इसलिए तमिल संस्कृति में ब्राह्मण-विरोध का कोई प्रश्न नहीं है | इसके लिए कोई स्थान नहीं है | यहां हमें एक बात कहनी है | बुद्ध द्वारा ब्राह्मण को उच्चतम के रूप में सम्मानित किया जाता है |
राजीव मल्होत्रा: यह रोचक है क्योंकि यह अब केवल तमिल चर्चा नहीं है, बल्कि बौद्ध धर्म की चर्चा का अंग है | बुद्ध बहुत सारी अच्छी बातें कहते हैं |
डॉ नागास्वामी: केवल अच्छा नहीं, वे कहते हैं कि ब्रह्म वर्ग मानव अस्तित्व का सर्वोच्च बिंदु है |
राजीव मल्होत्रा: धम्मपाद बहुत महत्वपूर्ण ग्रन्थ है |
डॉ नागास्वामी: धम्मपाद में ब्राह्मणों की महानता पर एक लंबा अध्याय है | बौद्ध धर्म में कहीं भी ब्राह्मणों के प्रति कोई द्वेष नहीं है | तो, मैंने इसे अपनी पुस्तक में लिखा है | वह धम्मपाद ब्रह्म वर्ग ब्राह्मणों के प्रति बुद्ध की प्रवृत्ति है | ब्राह्मण उच्चतम सभ्य संस्कृति हैं, जिनकी पिछले 4000 वर्षों से भारत के समाज में सराहना हुई है |
राजीव मल्होत्रा: तो, डॉ नागास्वामी ने जो कहा वह स्वयं अध्ययन का एक बड़ा विषय है | बौद्ध अध्ययन, जहां वे अम्बेडकर का उपयोग करते हैं ब्राह्मणों, वैदिक संस्कृति और मनुस्मृति पर कड़ा प्रहार करने के लिए | वास्तव में, ब्राह्मणों के महत्व और महानता पर उनकी मूल शिक्षाओं में स्वयं बुद्ध का एक संपूर्ण अध्याय है | यह ब्राह्मणों को कुछ परिष्कृत प्रकार के लोगों के रूप में परिभाषित करता है, न कि जन्म आधारित जाति के कारण | क्या यह सही है ?
डॉ नागास्वामी: हाँ यह सही है | एक और बात जो मनु कहते हैं जो कि तिरुक्कुरल के अन्य कार्यों में भी परिलक्षित होता है | यह जन्म नहीं है, परन्तु ज्ञान और शील है, वो अनुशासन है जिसका व्यक्ति पालन करता है – महत्वपूर्ण है | इसलिए, ब्राह्मण को उनके जन्म के कारण सम्मान नहीं दिया जाता है, क्योंकि भले ही ब्राह्मण परिवारों में जन्म लिए हुए हजारों ब्राह्मण वहां हों, फिर भी केवल एक व्यक्ति जो ईमानदारी से पालन करता है, उनसे बेहतर है |
राजीव मल्होत्रा: मनु कहते हैं | तो, यह ब्राह्मणिक पहलू के लिए एक और प्रत्युत्तर है | क्योंकि मनु स्वयं, जन्म के स्थान पर चरित्र, जीवनशैली और सभ्यता के आधार पर ब्राह्मण के विचार को परिभाषित करते हैं |
डॉ नागास्वामी: विवेकानंद ने भी यह कहा |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
डॉ नागास्वामी: यह समाज को नीचे की ओर नहीं ले जाता है अपितु इसे सभ्य जीवन के उच्चतम स्तर तक ले जाता है |
अंत में, तिरुक्कुरल का तीसरा खंड | यह पहले दो खंडों जैसा नहीं है | तीसरा कुछ भिन्न है | यह शिक्षण की भांति नहीं है जैसे मानो कि कुछ प्रेमी मंच पर हैं | अपनी भावनाओं, वैवाहिक प्रेम को व्यक्त करते हुए | इसे काम कहा जाता है | और वुवे स्वामीनथ अय्यर जैसे महान विद्वान, और मु वर्दराजन और टी पी मीनाक्षीसुंदर जैसे अन्य महान विद्वानों ने सभी ने कहा है कि यह नाटक धर्मी से संबंधित है जैसे कि हम मंच पर धर्म को देख रहे हैं |
तो इसका अभिप्राय है कि भाषा भिन्न है | और अभिव्यक्ति वैसी हैं जैसी नाट्य शास्त्र में दी गई हैं, यह “नादक वलक्कु” है, जिसका उल्लेख विशेष रूप से किया गया है | यह “नादक वलक्कु” है | नाटक नाट्य शास्त्र से है | कुछ और अभिव्यक्तियां हैं जो कामशास्त्र में महत्वपूर्ण हैं |
कामशास्त्र का सही ढंग से अध्ययन नहीं किया जाता है | कामशास्त्र का अच्छा पहलू कहता है कि आपको दूसरे व्यक्ति की पत्नी के पीछे नहीं जाना चाहिए | ये वल्लुवर में दोहराए जाते हैं | तो, यहां तक कि काम और तिरुक्कुरल का तीसरा खंड भी नाट्यशास्त्र और कामशास्त्र से लिया गया है | तो, हमारे पास वल्लुवर की तीन पुस्तकें हैं – मनु, याज्ञवल्क्य, अपस्तम्भ, गौतम और बोधायन का धर्मशास्त्र | ये महान आचार्य हैं, ऋषि हैं जिन्होंने धर्मशास्त्र दिया है | तब कौटिल्य का अर्थशास्त्र, नाट्यशास्त्र और वात्स्यायन का कामशास्त्र है | इन सभी सामग्रियों को तिरुक्कुरल में वल्लुवर द्वारा सुन्दर और असाधारण ढंग से प्रस्तुत किया गया है |
राजीव मल्होत्रा: तो, वे एक शिक्षित व्यक्ति थे, संस्कृत और संस्कृत ग्रंथों को जानते थे, वे सनातन धर्म का सम्मान करते थे और इसपर तमिल मुख्यधारा की संस्कृति का ध्यान आकर्षित किया |
डॉ नागास्वामी: हाँ, यह वही संस्कृति है | उन्होंने इसे स्थानीय लोगों को सरलता से समझाने के लिए तमिल में प्रस्तुत किया |
राजीव मल्होत्रा: मैं पाचन (डाइजेशन) के बारे में बात करता हूँ जब एक संस्कृति किसी अन्य संस्कृति के विचारों को पचा लेती है | अब यह भयंकर पाचन है क्योंकि पचाने वाला व्यक्ति इसे नकारात्मक बनाते हुए एक विदेशी संस्कृति में ले जाता है | दूसरों को प्रताड़ित करने के लिए स्वयं को सशक्त बना रहा | परन्तु विभिन्न भारतीय प्रणालियों और भाषाओं के भीतर सकारात्मक पाचन है | एक दूसरे से विचारों का पाचन | तो, तमिल भाषा तिरुक्कुरल के माध्यम से धर्ममस्त्र, अर्थशास्त्र, नाट्यशास्त्र, और कामशस्त्रों का पाचन कर रही है | एक-दूसरे की सहायता करने, और एक दूसरे से पोषण व लाभ लेने का एक सकारात्मक उदाहरण |
डॉ नागास्वामी: भाषा व संस्कृति भिन्न हैं |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
डॉ नागास्वामी: हमें उन्हें मिलाना नहीं चाहिए | हमें नहीं सोचना चाहिए कि भाषा और संस्कृति समान हैं, और इसलिए यदि भाषा भिन्न है तो संस्कृति भी भिन्न है |
राजीव मल्होत्रा: तो, यह मेरी अगली बात है | हमारे पास एक ही विचार और समान संस्कृति के बारे में बात करने वाली दो भिन्न-भिन्न भाषाएं हो सकती हैं |
डॉ नागास्वामी: यह सही है | मैं अंग्रेजी में बोलता हूँ परन्तु मैं अंग्रेजी संस्कृति का पालन नहीं करता हूँ |
राजीव मल्होत्रा: तो, यह एक महत्वपूर्ण उत्तेजना और चुनौती है | हम एक भाषा के रूप में तमिल का सम्मान करते हैं | यह अपने इतिहास के साथ एक उत्कृष्ट, महान और स्वतंत्र भाषा है | परन्तु इसका उपयोग उन विचारों को व्यक्त करने के लिए किया जाता है जो संस्कृत में व्यक्त किए गए हैं | विषय यह नहीं है कि क्या यह एक भिन्न भाषा है, अपितु क्या यह भिन्न विचारों का प्रतिनिधित्व करती है और वैसे विचारों का जो वेदों के साथ संघर्ष में हैं |
डॉ नागास्वामी: यहां मैं दो बिंदुओं पर बल देना चाहता हूँ | पहला यह है कि वल्लुवर तमिल में धर्मशास्त्र को रखने वाले सबसे पहले, सबसे महत्वपूर्ण और अद्वितीय ऋषि हैं | और सम्पूर्ण धर्मशास्त्र वेदों से अपना अधिकार प्राप्त करता है, इसलिए, यह वैदिक परंपरा है जो धर्मशास्त्र में व्यक्त हुई है और पिछले 2000 वर्षों से तमिलनाडु में इसका पालन किया जाता है | मैंने अपनी पुस्तक में उल्लेख किया है कि तमिल वैदिक धर्म का पालन करते थे | स्थानीय लोगों को सरलता से समझ आये इसके लिए वे तमिलों को धर्म देने वाले पहले व्यक्ति थे, जो वेद, धर्ममास्त्र, मनुस्मृति आदि में पाया जाता है | यदि वे किसी संस्कृति, जीवनशैली का पालन करते थे तो यह वही संस्कृति है जो पूरे भारत में पाई जाती है |