राजीव मल्होत्रा: मैंने एक नए विचार का सूत्रपात किया और एक नया शब्द गढ़ा जिसे मैं आपसे चर्चा करना चाहता हूँ | स्वदेशी मुस्लिम या कोई व्यक्ति जो इस्लाम को मानता है परन्तु यह भी मानता है कि यह मेरा स्वदेश है – मेरे पूर्वजों की भूमि | हिंदू मेरे भाई हैं और हमारा इस्लाम में धर्मांतरण किया गया था | मैं अल्लाह की इबादत करता हूँ परन्तु संस्कृति के आधार पर मैं इस देश से एकीकृत हूँ |
बहुत सारे सुशिक्षित मुसलमान, विशेष रूप से महिला पेशेवरों की इसमें रुचि है | वे तीन तालक और बहुपत्नी प्रथा से दुखी हो गयी हैं | मैं इसे प्रोत्साहित करना चाहता हूँ | इसलिए मैं इस स्वदेशी मुस्लिम आंदोलन को खड़ा करना चाहता था | हम उन लोगों को आमंत्रित करेंगे जो स्वदेशी मुसलमान बनना चाहते हैं | स्वदेशी मुसलमान स्वयं एक चार्टर विकसित करने के लिए मेरे साथ काम कर रहे हैं | उनके अनुसार, कुरान में ऐसा कुछ भी नहीं है कि आपको मस्जिद जाना पड़े क्योंकि यह आपके और अल्लाह के बीच की बात है | आप घर पर इबादत कर सकते हैं |
वास्तव में, एक व्यक्ति ने शब्द भी गढ़ा है – मुल्लातंत्र जिसे वह कहता है कि यह शक्ति पाने का एक माध्यम है | फतवा जारी करके | चूंकि बहुत-से साधारण मुस्लिम अशिक्षित और अज्ञानी हैं, इसलिए वे मार्गदर्शन के लिए मुल्ला पर निर्भर करते हैं और मुल्ला उनके मस्तिष्क पर नियंत्रण प्राप्त करता है | वह एक शक्तिशाली राजनीतिक बिचौलिया और उपद्रवी बन जाता है |
उनमें से कई ने मुझे बताया कि कुरान में गोमांस खाना अनिवार्य नहीं है | गाय वास्तव में एक उष्णकटिबंधीय पशु है | अरब के रेगिस्तान में गाय का अस्तित्व नहीं है | वे बकरियां या ऊंट खाया करते थे | इस प्रकार गोमांस पर प्रतिबंध इस्लाम के विरुद्ध नहीं है |
मेरे पास कई चर्चाएं भी हैं, वीडियो टेप की हुईं, जिसमें लोग कहते हैं कि राम मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए | क्योंकि मस्जिद को स्थानांतरित किया जा सकता है क्योंकि यह केवल एक सभा-स्थल है | यह न तो आवश्यक है और न ही कोई पवित्र स्थान है | आप केवल काबा की ओर प्रार्थना कर रहे हैं, एक स्थान पर मिल करके | यह कोई भी स्थान हो सकता है | किसी मस्जिद के लिए कोई प्राण-प्रतिष्ठा नहीं होती है | तो, ये तार्किक तर्क हैं |
जब मैं उनसे खुले मस्तिष्क से, तार्किक होकर बात रखता हूँ, तो शिक्षित मुसलमान, विशेष रूप से महिलाएं व युवा लोग बहुत रुचि लेते हैं | परन्तु वे आगे आने से भयभीत होते हैं | इसलिए, मैं सुविधा प्रदान करना चाहता हूँ जबकि वे आंदोलन का नेतृत्व करें | इस पर आपके विचार क्या हैं ?
मोहन भागवत: भारतीय मुस्लिम सदैव स्वदेशी मुसलमान थे |
राजीव मल्होत्रा: अच्छा !
मोहन भागवत: राजनीतिक शक्तियों ने बार-बार उन्हें मुख्यधारा से भटकाने का प्रयास किया है | उनका पलड़ा भारी था | परन्तु मुसलमान सदैव प्रतिक्रिया में उठ खड़े हुए और मुख्यधारा में वापस आ गए | यह अकबर के समय हुआ था | औरंगजेब ने इसे उलटने का प्रयास किया और हार गया था | 1857 के बाद वहाबीवाद से प्रभावित मुस्लिम लीग इसपर चला और पाकिस्तान बनाया | अब फिर से एक विपरीत धारा है क्योंकि भारत के मुसलमानों को अनुभव हुआ है | सदा की भांति, जो भी देश के लिए लाभप्रद है, हम उसमें सहायता करेंगे |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहन भागवत: छह वर्ष पहले, भारत के राष्ट्रपति को लगभग दस लाख मुसलमानों के हस्ताक्षर प्रस्तुत किए गए थे | कि केंद्रीय अधिनियम द्वारा गोहत्या प्रतिबंधित किया जाना चाहिए | अयोध्या में, राम मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए | 370 को हटाया जाना चाहिए | और तथाकथित आजाद कश्मीर समेत कश्मीर को हमारे देश का एक अभिन्न अंग बनाया जाना चाहिए |
राजीव मल्होत्रा: सही |
मोहन भागवत: ऐसी 9 मांगें थीं | 10 हजार मुस्लिम हस्ताक्षरकर्ताओं के पास साहस था आगे आने और भारत के राष्ट्रपति को प्रस्तुत करने का |
राजीव मल्होत्रा: उस समय राष्ट्रपति कौन थे ?
मोहन भागवत: प्रणब दा |
राजीव मल्होत्रा: ठीक है | वह बहुत अच्छा है | समस्या का एक बड़ा भाग अरबों और ईरानियों द्वारा मुस्लिमों का उपनिवेशीकरण है | हम केवल अंग्रेजी उपनिवेशीकरण के बारे में सोचते हैं | परन्तु इससे भी पहले इस्लामी आक्रमणकारियों का उपनिवेशीकरण था जिसे स्वीकार किया जाना है | इस्लाम अरबकरण से भिन्न है और इस्लामी विद्वान मुझे बता रहे हैं कि अरबकरण एक समस्या है | वह वहाबीकरण है | इस्लाम या कुरान में कुछ भी नहीं कहता है कि आपको अरबों की नकल करनी है, उनके जैसे वस्त्र पहनने हैं, उनके जैसा बात करना है और मानना है कि वे श्रेष्ठ हैं | ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आक्रमणकारियों ने स्वयं को श्रेष्ठ के रूप में प्रस्तुत किया | उपनिवेशित लोग इस पर विश्वास करते हैं और स्वयं को निकृष्ट मानते हैं और उपनिवेशक की नकल करना चाहते हैं | जो लोग यूरोपीय लोगों का अनुकरण कर रहे हैं वे एक ढंग से उपनिवेशित हैं | हमारे देश में वे केवल यूरोपीय विउपनिवेशीकरण की बात करते हैं | मैं स्मरण कराता रहता हूँ कि अरब और ईरानी औपनिवेशिक प्रभाव से विउपनिवेशीकरण भी बहुत महत्वपूर्ण है |
मोहन भागवत: हाँ |
राजीव मल्होत्रा: विशेष रूप से उत्तर भारत में | इसे अशराफीकरण कहा जाता है | उनके पास एक जाति व्यवस्था है | अशराफ वे हैं जो या तो पैगम्बर या शेख या पठान या तुर्क के प्रत्यक्ष वंशज हैं | विदेशी डीएनए वाले लोग बहुत ही कम प्रतिशत में हैं। वे अशराफ हैं | धर्मान्तरित होने वाले स्थानीय निवासी अजलाफ हैं | अशराफीकृत होना प्रचलित माना जाता है उसी प्रकार जैसे पश्चिमीकृत होना श्रेष्ठ माना जाता है | मुझे लगता है कि समस्या अशराफीकरण है न कि इस्लाम | वे दो भिन्न-भिन्न विषय हैं | विउपनिवेशीकरण / विअशराफीकरण होने पर हमारे पास स्वदेशी मुस्लिम होंगे | और फिर हम यह समझ सकते हैं कि सम्मान और सह-अस्तित्व कैसे हो | तो, आप इसके बारे में क्या सोचते हैं ? एक महत्वपूर्ण बात जिसकी कलई खोलनी है वो है अशराफ जाति व्यवस्था ? इस्लाम के बहुत से प्रसिद्ध तथाकथित प्रतिनिधि और सत्ता के दलाल, जो अपनी पहचान अशराफ के रूप में करते हैं स्थानीय भारतीय मुस्लिमों को हीन दृष्टि से देखते हैं |
मोहन भागवत: उन लोगों के लिए जो इस देश में जन्मे और पले-बढ़े हैं, उपनिवेशीकरण एक बहुत ही अप्राकृतिक प्रभाव है | यह अस्थायी रूप से प्रबल हो सकता है | तथापि यह अप्राकृतिक है और अंत में, वे भ्रमित, असहज हो जाते हैं और फिर वे प्रतिक्रिया करते हैं | बार-बार यह हुआ है | यह अभी आरम्भ हो गया है | मुझे लगता है कि यह उस प्रतिक्रिया का अंतिम चरण है | हमें मुसलमानों को ऐसा करने देना चाहिए | ऐसे मुसलमानों की बड़ी संख्या है जो मानसिक रूप से ऐसी बातों का विरोध करते हैं |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहन भागवत: वे किसी बात से भयभीत होते हैं |
राजीव मल्होत्रा: वे सामने नहीं आ रहे हैं |
मोहन भागवत: हाँ, परन्तु वे इससे बाहर आ जाएंगे | स्थिति ऐसी है | ये सभी संकेत इंगित करते हैं कि अब वे कार्य करेंगे | हमें उन्हें सुविधा प्रदान करनी चाहिए |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहन भागवत: हमें खुले हाथों से उनका स्वागत करना चाहिए | हमें यह भी नहीं कहना चाहिए कि आप मुसलमान हैं, आप हमारे साथ नहीं आ सकते हैं |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहन भागवत: भारत में इतने सारे धर्म हैं और इतनी सारी पूजा पद्धतियाँ, दो और पद्धतियाँ जो बाहर से आई हैं | क्यों नहीं ?
राजीव मल्होत्रा: मैं स्वदेशी मुस्लिम और स्वदेशी ईसाई के इस विचार का निर्माण कर रहा हूँ |
मोहन भागवत: बिलकुल ठीक |
राजीव मल्होत्रा: सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें हिन्दुओं को स्वदेशी बनाना है क्योंकि बहुत से हिंदू विदेशी हो गए हैं |
मोहन भागवत: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हमारे पूर्वजों ने यही सोचा था |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहन भागवत: हो सकता है कि अभिव्यक्ति भिन्न रही हो और भटकाव हुए हों जिनके गंभीर परिणाम हुए परन्तु उनकी मंशा यही थी | स्वतंत्र भारत जिसका उन्होंने अनुमान लगाया था वैसा था जहां आपकी पूजा पद्धति चाहे कुछ भी हो, आपकी संस्कृति, आपके पूर्वज, आपकी मातृभूमि एक ही है |
राजीव मल्होत्रा: सही |
मोहन भागवत: यही वह है जिसे हम हिंदू कहते हैं |
राजीव मल्होत्रा: सही |
मोहन भागवत: हमारा संविधान भी इसी प्रकार का है | क्योंकि मानसिकता यही था और यही है |
राजीव मल्होत्रा: हम कुछ गंभीर स्वदेशी मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ भी काम कर सकते हैं और धर्म जैसे विषयों पर चर्चा कर सकते हैं | जाति धर्म है | मुसलमानों की एक विशिष्ट जीवन-पद्धति या परम्पराएं हैं | हमारे पास भी इष्ट देवता की अवधारणा है | तो, कोई कह सकता है कि उसका इष्ट देवता यीशु या अल्लाह है | परन्तु वह यह नहीं कह सकता कि अन्य इष्ट देवताओं पर आक्रमण किया जाना है | उसे पारस्परिक सम्मान दर्शाना है | उदाहरण के लिए, मेरे इष्ट देवता शिव हैं, परन्तु मैं दूसरों का भी सम्मान करता हूँ | एक-दूसरे के लिए परस्पर सम्मान होना चाहिए | वह हिंदू ढंग है |
मोहन भागवत: हाँ | विविधता को स्वीकार करना, सम्मान करना और गुणगान करना |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहन भागवत: यह हिंदुत्व है |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहन भागवत: क्योंकि न केवल विविधता में एकता, एकता की विविधता |
राजीव मल्होत्रा: वह सही है |
मोहन भागवत: या एकता की उनकी अभिव्यक्ति | वे स्वयं में एकता हैं | हमें एक-दूसरे को स्वीकार करना चाहिए |
राजीव मल्होत्रा: एकता में इसके भीतर विविधता सम्मिलित है |
मोहन भागवत: हाँ |
राजीव मल्होत्रा: क्योंकि विविधता कहीं और से नहीं आती है | यह भीतर से है |
मोहन भागवत: हाँ |
राजीव मल्होत्रा: एकता में विविधता भी है |
मोहन भागवत: वही है जिसका एक हिंदू को पालन करने की आवश्यकता है |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मोहन भागवत: और जब पूरे ह्रदय से किया जाएगा, बाकी सब कुछ अपने आप परिवर्तित हो जाएगा | इसी प्रकार हम हिंदुओं का निर्माण कर रहे हैं |
राजीव मल्होत्रा: रोचक है कि विश्व के अन्य भागों में मुसलमानों को हर किसी के साथ समस्याएं आ रही हैं | लोग यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि क्या करना है | कुछ सभ्यताओं का संघर्ष कर रहे हैं | कुछ बातचीत कर रहे हैं | अमेरिका में मुसलमानों का एक आंदोलन है जो अब्राहमिक धर्मों के बीच सद्भाव उत्पन्न करने के लिए यहूदियों और ईसाइयों के साथ काम कर रहा है | इस्लामिक सुधार नामक एक आंदोलन भी है | वे कह रहे हैं कि कुरान के भीतर आयतें हैं जिनकी किसी भिन्न संदर्भ के लिए पुनर्व्याख्या की जा सकती है | केवल इसलिए कि मोहम्मद की चार पत्नियां थीं, इसका अर्थ यह नहीं है कि आज हमें चार पत्नियों की आवश्यकता है | आज ऐसे मुसलमान हैं जो इसे खुले रूप से कह रहे हैं और फतवा का उल्लंघन कर रहे हैं क्योंकि वे सोचते हैं कि यह एक कालविरुद्ध संस्था है | मुझे रूचि है स्वदेशी मुसलमानों को मुस्लिमों के इस वैश्विक आंदोलन के संपर्क में लाने में जो कफिर, जिहाद, दार-उल-इस्लाम के इन विचारों से छुटकारा पाना चाहते हैं, और मुस्लिमों को उस राष्ट्र का सम्मान करने देना चाहते हैं जहां वे हैं |
मोहन भागवत: पिछले वर्ष, मेरी 60-100 मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ 2-3 बातचीत हुई थीं जो इस दिशा में सोचते हैं | कि हम मुसलमान हैं, परन्तु हमारी मातृभूमि का सम्मान क्यों नहीं करते ? हमारे जनाजे में यदि हमारी मातृभूमि से कुछ मुट्ठी मिट्टी नहीं हो, तो हम जन्नत नहीं जा सकते हैं | यह हमारी प्रथा है | इसे क्यों नकारें ? 3-4 मुसलमानों ने मुझसे पूछा, आप भारतीय मूल के सभी मुस्लिमों के हिन्दू होने की घोषणा क्यों नहीं करते ? मैंने कहा, मैं यह कह रहा हूँ | आपको कहना होगा |
राजीव मल्होत्रा: आपको घोषणा करनी होगी |
मोहन भागवत: मैं घोषणा नहीं कर सकता, आपको घोषणा करनी होगी | यह प्रवृत्ति बढ़ रही है | हम जिस भी प्रकार से सहायता कर सकते हैं, करेंगे |
राजीव मल्होत्रा: बहुत अच्छा |