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अशरफों की नकल बहुत आम है | भारतीय मुस्लिमों द्वारा उच्च स्थान की दावेदारी के लिए | वह उर्दू अपनाता है, उनका नाम अपनाता है, कपड़े, और प्रतीकात्मकता | वह दिखाता है कि कोई पूर्वज उनकी ओर से था और ऐसा ही कुछ कुछ |
यह हीन भावना है | जब मैं मुस्लिम बुद्धिजीवियों से इस बारे में बात करता हूँ तो उनमें से कई मुझसे सहमत होते हैं | कि उन्हें अरब के प्रभावों से छुटकारा पाना चाहिए और भारतीय मुस्लिम के रूप में आत्म-सम्मान की अपनी भावना विकसित करनी चाहिए |
इस प्रकार अशरफ एक बहुत ही संकटकारी विचार है | विभिन्न तकनीकों के माध्यम से भारतीय मुस्लिमों का अशरफीकरण वो प्रक्रिया है जो उन्हें अरब विश्व के प्रभाव क्षेत्र में लाती है | और उन्हें इस वैश्विक जिहाद और उन सभी प्रक्रियाओं का अंग बना देता है | कुरान को इसकी आवश्यकता नहीं है, उन व्याख्याओं के अनुसार जिन्हें मैंने पढ़ा है और मुस्लिम मित्रों के साथ चर्चा की है |
प्रश्नकर्ता: अगला प्रश्न | पहली पांच बातें क्या होनी चाहिए जिनके साथ हमें बातचीत आरम्भ करनी चाहिए, स्वदेशी मुसलमानों के बारे में भारतीय मुसलमानों से बात करते समय ?
राजीव मल्होत्रा: हमें उन्हें बताना चाहिए कि इस्लाम का एक भयानक इतिहास रहा है | भारत पर आक्रमण और लूट का | इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता है | हम आप पर आरोप नहीं लगा रहे हैं | एक मुस्लिम बहुत संतुष्ट था जब मैंने उससे कहा, क्योंकि मैं पुनर्जन्म में विश्वास करता हूँ, मैं आपको गजनी का पुनर्जन्म नहीं मानता या औरंगजेब का | आपका उनके साथ कुछ लेना देना नहीं है | आपके पिछले जन्म में आप एक चीनी, एक अमेरिकी, एक हिंदू, एक पंडित, या एक अफ्रीकी हो सकते हैं |
अपने पिछले जन्म में मैं कोई मुस्लिम व्यक्ति हो सकता हूँ | क्योंकि हम पुनर्जन्म ले रहे हैं | आपकी जैविक वंशावली आपका अतीत नहीं है | आपके भविष्य का जीवन आपके बच्चों के माध्यम से नहीं होने वाला है | आप अपने कर्म के आधार पर किसी भी रूप में जन्म ले सकते हैं | उन्होंने इसे बहुत ही रोमांचक पाया | मैंने कहा कि एक हिंदू आपके लिए इस समस्या का समाधान कर सकता है | आपको लगता है कि आप अपने जैविक वंशावली का बचाव करते समय अटक जाते हैं |
दूसरा, आप उन लोगों की जैविक संतान भी नहीं हैं | वे अशरफ या विदेशी आक्रमणकारी हैं | आप वे लोग हैं जो धर्मान्तरित हो गए हैं | कई पीढ़ियों के पश्चात आपके पास एक विशिष्ट धर्म है जो ठीक है | मैं आपसे नहीं कह रहा हूँ इसे परिवर्तित करने या और कुछ, परन्तु आपको यह स्वीकार करना चाहिए कि आपके पूर्वजों को इन लोगों द्वारा लूट लिया गया था | भले ही वे मुस्लिम थे और बुरे काम किये, तब फिर इसे स्वीकार करें |
मैंने कई इस्लामी विद्वानों से पूछा है: क्या आपको एक मुस्लिम के क्रियाकलापों का समर्थन इसलिए करना है क्योंकि वह मुस्लिम है ? भले ही वह अपराध करता हो ? बिन लादेन जैसा कोई ? वे कहेंगे नहीं | उनके लिए ‘ना’ कहना राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है | इस प्रकार पहला मुद्दा है मुसलमान होने के कारण अतीत का समर्थन करना जो एक बुरी बात है |
दूसरा, मैं चाहता हूँ कि वे अशरफ को अस्वीकार करें | और यदि आप ये दो काम करते हैं, तो आप उन्हें पृथक कर देते हैं इस्लामी लूट के महान वीरतापूर्ण दावों और मध्य पूर्व की जैविक वंशावली के दावों से | अब आपने उन्हें पहले से ही स्वदेशी बना दिया है |
प्रश्नकर्ता: और डीएनए परीक्षण इसे प्रमाणित करेगा |
राजीव मल्होत्रा: हाँ | लोग समझे नहीं हैं जो मैं कह रहा हूँ | वास्तव में, मैं कुछ वर्ष पहले सुब्रमण्यम स्वामी ने जो कहा था और जिसने उन्हें संकट में डाल दिया, उसे विस्तार से बता रहा हूँ | वे चाहते थे कि भारतीय मुस्लिम स्वीकार करें कि उनके पूर्वज हिंदू थे | अब यह एक स्वदेशी की परिभाषा है |
मैं उससे अधिक की मांग कर रहा हूँ | यह कहने के स्थान पर कि मैं तुष्टीकरण कर रहा हूँ, मैं सीधे केंद्र को भंग कर रहा हूँ | हम जिस शक्ति-संरचना को खंडित करना चाहते हैं वह अशरफ से सम्बद्ध है | जिसका अभिप्राय जैविक पूर्वजों और मध्य पूर्व की वंशावली के दावों से है | हम संस्कृति के अरबीकरण और ईरानीकरण को बाधित करना चाहते हैं |
तीसरी बात जिसे हम बाधित करना चाहते हैं वो मुल्ला को दी गई अत्यधिक शक्ति है जो विशेषज्ञों के अनुसार इस्लाम में अनिवार्य नहीं है | अल्लाह के साथ आपका व्यक्तिगत संबंध कैसा है वही महत्व रखता है | आप अपने घर पर अपने से पालन कर सकते हैं | कोई संस्थागत आवश्यकता नहीं है | आजकल अधिकतर मुसलमान अशिक्षित हैं और इसलिए इमाम और मुल्ला के शिकार हो जाते हैं |
प्रश्नकर्ता: अगला प्रश्न यह है कि भारतीय मुस्लिम यह स्वीकार क्यों नहीं करते हैं कि वे हिंदू थे जो धर्मान्तरित हो गए थे ?
राजीव मल्होत्रा: वे मानते हैं | विलायत खान, महान संगीत गुरु प्रिंसटन आया करते थे और हमारे पड़ोस में आते थे | वह हमारे घर और पड़ोसियों के घर में संगीत वादन करते थे | वे खुले तौर पर स्वीकार करते कि कुछ पीढ़ी पहले उन्हें धर्मान्तरित किया गया था | ऐसे मुसलमान हैं जो आपको यह बताएंगे | अब्दुल कलाम को इसे स्वीकार करने में कोई समस्या नहीं थी | हमने इसे आगे नहीं बढ़ाया और इसे बहस में परिवर्तित नहीं किया |
हमने इस मत को सशक्त नहीं किया है और कहा है कि चलिए इस दृष्टिकोण को संस्थागत बनाते हैं | इतिहास हमें यह बताता है | डीएनए इसे प्रमाणित करता है | हिंदुओं और मुस्लिमों के सर्वोत्तम हित में, यह कहना सही बात है | हम इसे कहने से भयभीत होते हैं |
राजनेता अगले चुनाव के लिए फ़टाफ़ट समाधान और निकटकालिक अनुकूलन की खोज में हैं | वे उससे आगे बढ़ने और यथास्थिति को परिवर्तित करने के लिए तैयार नहीं हैं | मैं उन्हें दोष नहीं देता हूँ | यह उनका काम है, वे सत्ता में वापस आना चाहते हैं | वे नाव को डुबाने से डरते हैं | वे वोट बैंक की राजनीति में हैं |
मुस्लिम नेता सत्ता को नियंत्रित करना चाहते हैं क्योंकि तब उनको अधिक महत्व मिलता है | वे नहीं चाहते हैं व्यवधान और नए विचार | वे चाहते हैं कि लोग अनभिज्ञ रहें ताकि विचारधारात्मक रूप से उनका मतांतरण किया जा सके | फिर वे मुख्यधारा के साथ बातचीत करते हैं और कहते हैं कि ये सभी लोग संकटकारी हैं | वे सीधे उनके साथ बातचीत नहीं करते हैं | यह मध्यस्थ के लिए शक्ति का निर्माण करता है |
मैंने कई मुस्लिम बस्तियों का दौरा किया है | मैंने इस परियोजना को आरम्भ किया क्योंकि मैंने पाया कि मेरी मां के घर में काम करने वालों में से मुस्लिम महिला है | मैंने उसके साथ अपनी अंतर्धार्मिक चर्चा आरम्भ की | वह बहुत ही आश्चर्यचकित थी जब मैंने उससे कहा कि ये सब काम हैं जो विदेशियों ने किया था | और अशरफ और अजरफ क्या है | वह बहुत उत्सुक थी और उसी प्रकार उसके परिवार के सदस्यगण भी | वह एक व्यक्ति जो मुझे वहां नहीं देखना चाहता था वह मुल्ला था | इसने मुझे बताया कि यह एक अवसर है |
प्रति मुल्ला पर सैकड़ों या हजारों लोग हो सकते हैं | तो आप पूरी मुस्लिम जनसँख्या का एक बहुत ही छोटा प्रतिशत देख रहे हैं | यदि आप बौद्धिक विचार उत्पन्न कर सकते हैं और प्रचारकों को प्रशिक्षित कर सकते हैं, जो कुरान जानते हैं परन्तु इनका खण्डन कर सकते हैं, तो इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा |
प्रश्नकर्ता: पूर्ण रूप से | अगला प्रश्न | मदरसों पर मुल्लों का बहुत सशक्त प्रभाव है | किस प्रकार मदरसा में शिक्षित मुसलमान स्वदेशी मुस्लिम के विचार को अपना सकते है ?
राजीव मल्होत्रा: वर्तमान टोली संभवतः कठिन हो सकती है | आपको नए प्रकार के मदरसा और मुल्ला तैयार करना है | आधुनिकता का उपयोग करके उन्हें धर्मनिरपेक्ष बनाना एक विकल्प है | घर वापसी, जिसका अर्थ है हिंदू बनना एक और विकल्प है | एक विकल्प यह भी होना चाहिए कि आप मुस्लिम बने रहें, परन्तु एक भिन्न प्रकार का मुस्लिम | उसे अपनाने वाले अधिक हो सकते हैं | आप भावनात्मक रूप से अनुभव करते हैं मैं अभी भी पहचान बनाए हुए हूँ | मेरे पास अभी भी प्रतीकात्मकता और प्रार्थनाएं हैं | यह न्यूनतम आवश्यकता है जिसे मैं पूरा कर सकता हूँ |
मैंने सफलतापूर्वक तर्क दिया है कि इस्लाम में गो हत्या और गोमांस की आवश्यकता नहीं है | अरबों के पास गाय नहीं हैं | गाय दक्षिण एशियाई है, यह एक उष्णकटिबंधीय पशु है, रेगिस्तानी पशु नहीं | वे बकरी या ऊंट खाते हैं | वहाँ कोई गाय नहीं है |
अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग हर समय हिंदुओं पर उंगली उठाता रहता है, यह कहते हुए कि हिंदू कई बातों का उल्लंघन कर रहे हैं | नवीनतम रिपोर्ट में उन्होंने कहा कि गोहत्या पर प्रतिबन्ध मुस्लिमों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है | संभवतः इसमें अन्य मुद्दे हैं, परन्तु यह धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं करता है | उनके मुख्यालय में हमने एक चर्चा और बहस की थी |
जिस व्यक्ति ने भारत की यह निंदा लिखी वो एक पाकिस्तानी विद्वान है | इस युवा पाकिस्तानी व्यक्ति को दक्षिण एशिया में धार्मिक हिंसा में पीएचडी मिली | वह उनके लिए एक अच्छा व्यक्ति है | वह एक चतुर व्यक्ति है | वे इन लोगों को शिक्षित करते हैं और उन्हें अंदर डालते हैं | हमें भी अपने लोगों को विशिष्ट रूप से शिक्षित करना चाहिए और उन्हें ऐसे स्थानों पर पहुँचाना चाहिए |
मैंने उस व्यक्ति के साथ तर्क दिया और आयोग को पूरा ईमेल भेजा | कल्पना कीजिए कि मेरे पक्ष में यदि कुछ स्वदेशी मुस्लिम होते | कल्पना कीजिये कि मुझे अपनी बहस में कितनी बढ़त मिलती | कैलिफोर्निया की पाठ्य पुस्तक की बहस में जहां वे हिंदुओं पर इन सभी बातों का आरोप लगा रहे हैं, कल्पना कीजिए कि यदि हमारे पक्ष में ऐसे मुस्लिम होते | कल्पना कीजिये कि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर यदि हमारे पास स्वदेशी मुस्लिम वक्ता होते | विभिन्न विषयों पर | हम उन्हें ला सकते हैं | कल्पना कीजिए कि इसका क्या प्रभाव पड़ेगा |
यदि वे जॉन दयाल जैसों का वित्तपोषण कर सकते हैं, और बहुत उच्च श्रेणी वाले लोगों में से सिपाहियों का एक पूरा समूह तैयार कर सकते हैं | बजट और चमक के आधार पर शशि थरूर, अरुंधती रॉय और रामचंद्र गुहा से लेकर सामान्य लोग तक | और उन लोगों में से एक को लेकर जाएँ | हम स्वदेशी मुस्लिम की एक टीम क्यों नहीं बना सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर उनसे सहयोग मांग सकते हैं ?
मैं इस विशेष समस्या का बचाव करने वाला एकमात्र व्यक्ति नहीं बनना चाहता हूँ | मैं अपने पक्ष में ईसाई और मुस्लिम भी चाहता हूँ | स्वामी इस बारे में बहुत उलझन में हैं | भारतीय दूतावास इसके बारे में चिंता नहीं करना चाहता, यह बहुत भयावह स्थिति है | तो मैं उनसे संपर्क नहीं कर सकता | भाजपा, हिंदू संगठन, व राजनीतिक दलों के पास उस प्रकार की बौद्धिक पूंजी नहीं है | या उस प्रकार की कोई टीम है |
हमें स्वदेशी मुसलमानों को तैयार करना आरम्भ करना चाहिए, भले ही आरम्भ में ऐसे लोग बहुत कम हों | परन्तु उन्हें अंतर्राष्ट्रीय संवाद में बहुत लाभ हो सकता है |
प्रश्नकर्ता: हाँ | आपने कुछ भारतीय संस्थानों के बारे में बात की … आरएसएस के पास राष्ट्रीय मुस्लिम मंच भी है | क्या हम उसमें और स्वदेशी मुस्लिमों के बीच किसी भी तालमेल की आशा कर सकते हैं ?
राजीव मल्होत्रा: हाँ | मोहन भागवत के साथ मेरी कुछ अच्छी बैठकें हुई हैं | मैं उनके बारे में बहुत उंचा सोचता हूँ | आरएसएस के संयुक्त सचिव, उपसचिव अत्यंत उत्कृष्ट लोग हैं | मैंने उनसे भेंट की है | वे मेरे साथ सहयोग करने के लिए एक अच्छा संगठन हैं | मुंबई में 25 की सुबह मोहन भागवत जी के साथ एक बैठक तय हुई है | हम कई विषयों पर चर्चा करने जा रहे हैं | मैं इस बारे में सबके सामने बात नहीं करना चाहता हूँ | विषय यह विशिष्ट बात नहीं है | यह विषयों की एक व्यापक श्रृंखला है |
उनकी पहल एक अच्छी पहल है और मेरी उसे पूरा करती हैं क्योंकि मैं एक अंतरराष्ट्रीय टीम बनाना चाहता हूँ कुशाग्र स्वदेशी मुस्लिम बुद्धिजीवियों का जिन्हें विश्व में कहीं भी किसी भी उच्च श्रेणी के मंच पर भेजा जा सकता है और जो बहुत प्रभावी ढंग से बहस कर सकते हैं | हमें उनका समर्थन करने के लिए एक संस्थागत तंत्र की आवश्यकता है |
प्रश्नकर्ता: क्या आप ने किसी मुस्लिम नेता से भेंट की है जो स्वदेशी मुसलमानों को सशक्त बनाने और भारत के मुसलमानों को अरबीकरण से मुक्ति दिलाने के आपके विचारों से सहमत हैं ?
राजीव मल्होत्रा: हाँ दो दिन पहले मैंने ऐसे कुछ लोगों के साथ कुछ लंबे एपिसोड रिकॉर्ड किए हैं | एक श्री कमर आगा हैं | वे एक पत्रकार हैं, जेएनयू और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के एक पूर्व अतिथि प्रोफेसर | वे कुछ अंतरराष्ट्रीय चिंतन समूहों का सदस्य हैं | वे विभिन्न मीडिया में दिखाई देते हैं | मैंने उनके साथ एक लंबा साक्षात्कार किया जहां हमने कई विषयों पर चर्चा की |
वे अरबीकरण से बहुत दुखी हैं | वे ही हैं जिन्होंने मुझे मुल्ला-डम (मुल्ला-राज्य) शब्द से परिचित कराया | और कहते हैं कि यह ही समस्या है | यह वैसा नहीं है जिस प्रकार से इसे नहीं होना चाहिए था | वे मुझे अन्य लोगों तक ले जाने वाले हैं | इस प्रकार हम आरम्भ करने जा रहे हैं |
समस्या यह है कि हमने ऐसी बातचीत आरम्भ नहीं की है | और ऐसी अभिव्यक्तियों को बाहर आने के लिए प्रोत्साहित किया | वे वहां होने के लिए बाध्य हैं | जब आपके पास कोई विपक्ष नहीं होता है, जैसे कि किसी संसद में जहां एक पक्ष में 100% लोग हैं, तो वे जो भी कर रहे हैं उसमें वे निडर हैं | यदि आपने एक विरोधी व्यक्ति को 99 के विरुद्ध प्रस्तुत कर दिया, तो इसका उनपर प्रभाव पड़ता है |
मैंने एक के बाद एक विषय पर अमेरिकी शिक्षाजगत का सामना करने में ऐसा किया | इसने पूरा संवाद परिवर्तित कर दिया है | यद्यपि संख्यात्मक रूप से यह एक छोटा अल्पसंख्यक है | वे सतर्क हैं और तैनात हैं | वे जानते हैं कि कोई सुन रहा है, और इसका अनुसरण कर रहा है | यह वापस आएगा और उन्हें संकट में डालेगा | आपको विरोधी अभिव्यक्ति की आवश्यकता है और हमारे पास वो अभी नहीं है |
प्रश्नकर्ता: माना | मुझे आशा है कि आपको कई विरोधी मत मिलेंगे | फिर भी इस्लामी आतंकवादियों की ओर से कोई प्रतिक्रिया हो सकती है | संभवतः जिनका मुख्य उद्देश्य इन भारतीय मुसलमानों को हिंदुओं से पृथक करना है | क्या स्वदेशी मुसलमानों का विचार इस्लामवादियों के इस उद्देश्य का प्रत्योत्तर है ?
राजीव मल्होत्रा: हाँ | कई पश्चिमी देशों ने सरकार द्वारा समर्थित इन नए संगठनों का निर्माण किया है | जहां वे उदारवादी मतों को ला रहे हैं और उन्हें ईसाई धर्म के साथ काम करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं, और अधिक तालमेल बिठा रहे हैं | और कुरान के कुछ अंशों की पुनर्व्याख्या और अक्रिय कर रहे हैं | इन लोगों को सुरक्षा मिलनी चाहिए क्योंकि वे भयभीत हैं | कई छिपे हुए इस्लामी सुधारवादी हैं जो कहेंगे, कि मुझे उद्धृत न करें |
मैं इस प्रकार के एक बहुत बुद्धिमान व्यक्ति को जानता हूँ और मैं बहुत निराश हूँ क्योंकि हम पिछले वर्ष से मेरे साथ साक्षात्कार की एक छोटी श्रृंखला के लिए काम कर रहे हैं | अंतिम क्षण में वे इससे बाहर आ गए | अमेरिका में एक पाकिस्तानी मुस्लिम भी इससे बाहर आ गया | उन्हें भय है | परन्तु धीरे-धीरे उनमें से कुछ बाहर आएंगे | उनमें से कुछ बाहर आएंगे और फिर हम प्रोत्साहित करेंगेअधिक लोगों को बाहर आने के लिए | यह ईसाई सुधार की भांति एक लंबी अवधि की प्रक्रिया है |
प्रश्नकर्ता: हाँ | एक और संबंधित प्रश्न है: स्वदेशी मुस्लिम एक महत्वपूर्ण विषय है परन्तु यह जानते हुए कि आपकी ऊर्जा और समय सीमित है, क्या आपको हिंदुओं को अधिक स्वदेशी बनाने में अधिक समय नहीं लगाना चाहिए ? दलितों, आदिवासियों, और तथाकथित द्रविड़ लोग हैं जिन्हें पहले स्वदेशी बनने की आवश्यकता है | दुर्लभ ही कोई नेता स्वदेशी विचारधारा के बारे में बात करता है | आप पहले मुसलमानों से क्यों आशा कर रहे हैं ?
राजीव मल्होत्रा: अपनी पुस्तक में मैंने उन सभी संदर्भों में स्वदेशी के बारे में व्यापक रूप से बात की है | मेरे पास उनपर बहुत विशिष्ट विचार हैं | जनजातियां जतियां थीं जो अंग्रेजी साम्राज्य का अंग नहीं बनीं और इसलिए अंग्रेजों ने उन्हें जनजाति कहा | मेरे पास कहने के लिए बहुत कुछ है कि हम तथाकथित निचली जातियों को वापस कैसे ला सकते हैं | पुराने समय में…
एक बात… जब हम विज्ञान और प्रौद्योगिकी के हमारे इतिहास को विकसित कर रहे थे, जिनमें से 14 खंड हमने पहले ही प्रकाशित किया है, हमने पाया कि कुछ विश्व स्तरीय धातुकर्मी आज के आईटी इंजीनियरों की भांति होंगे | कुछ विशिष्ट धातुकर्म उत्पादों में भारतीय निर्यात बहुत अधिक था और उसकी अत्यधिक मांग थी और यह अच्छे ढंग से प्रलेखित (रिकॉर्डेड) है | वे उन जातियों द्वारा किया जाता था जिन्हें आज अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया जाता है | अर्थात् ऐतिहासिक वृत्ति (पेशा) अपना महत्व खो देती है | क्योंकि कुछ अन्य वृत्तियाँ उसे हथिया लेती हैं या अन्य देशों के पास भी समान तकनीकें होती हैं | उन सभी समुदायों को वापस अपने पक्ष में लाना महागाथा का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है |
आपके पास किसी आदर्श परिस्थिति को परिभाषित करने वाली कोई महागाथा नहीं हो सकती है जहां हम केवल एक बहुत ही सरल पूर्वानुमान करते हैं और सब लोग सहमत हो जाते हैं और हम पुराने वैदिक काल की महिमा के बारे में बात करते हैं | यह एक महागाथा नहीं है बल्कि अतीत की बातों का अन्धानुकरण है | एक महागाथा होने के लिए आपको जटिल विषयों को संबोधित करना होगा |
भागीदारी व्यापक होने चाहिए, और केवल कुछ ही लोग नहीं | उनमें से प्रत्येक से समझौते की आवश्यकता होती है | संबंधों में संतुलन नामक कुछ होता है और वर्तमान में संतुलन बहुत अच्छा नहीं है | दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार किया है | कोई भी इसके बारे में बात करना नहीं चाहता | वे अपना स्वयं का काम करना चाहते हैं | यह वास्तव में स्वस्थ नहीं है | हमें इसके बारे में खुलना है | यह एक अल्पकालिक असंतुलन, असुविधा और आशंका उत्पन्न करता है |
इसके लिए नेतृत्व की आवश्यकता होती है बाधा उत्पन्न कर असंतुलन बनाने और एक नए संतुलन के पुनर्निर्माण करने का साहस करने के लिए | आप वर्तमान संतुलन एक्स से जाते हैं संतुलन वाई तक जो हम चाहते हैं, परन्तु इस बीच में एक अराजकता है जिसे प्रबंधित किया जाना है | तो मैं सभी वर्गों के बारे में बात करता हूँ और किस प्रकार वर्तमान संतुलनों को परिवर्तित किया जाना है |
प्रश्नकर्ता: इस अराजकता में, क्या आप मुस्लिम महिलाओं का सहयोग लेने की योजना बना रहे हैं ?
राजीव मल्होत्रा: स्वदेशी मुसलमानों के लिए सफलता की पहली लहर, शिक्षित, पेशेवर, युवा महिलाएं होंगी | मैं ऐसा होता हुआ देख रहा हूँ | मेरे पास मीडिया जगत की एक मुस्लिम महिला के साथ एक घंटे की लंबी वीडियो चर्चा है | वो इसके बारे में बहुत उत्साहित है और अगले चरणों पर चर्चा करने के लिए उत्सुक है | मेरे पास सीमित समय और कई काम हैं | मैं कुछ दिनों में जा रहा हूँ और यह मेरी एकमात्र परियोजना नहीं है | यदि मैं केवल यहीं रहता और केवल इस पर बहुत अधिक समय बिताता तो हम बहुत से लोगों को ला सकते हैं | मुस्लिम महिलाएं संभवतः पूरे कार्यक्रम का नेतृत्व करेंगी |
प्रश्नकर्ता: क्या यह एक प्रभाव के रूप में अधिक होगा या फिर सबसे आगे रहकर नेतृत्व करने में ?
राजीव मल्होत्रा: अग्रणी भूमिका में | वे तीन तालक, बहुपत्नी प्रथा जैसे विषयों से थक चुके हैं | गैर-मुस्लिम विश्व के लिए, मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाना एक अत्यधिक लाभप्रद रणनीति है | मुस्लिम लड़कियों के लिए और शिक्षा उपलब्ध करायें क्योंकि वे इस्लाम के इतने बड़े बोझ तले दबी हैं | ये वही लोग हैं जो इस्लाम, मुल्ला, इमाम, और मुफ्ती के बोझ के तले दबी हैं |
यह काम करेगा परन्तु आपको सावधान रहना होगा कि इसे राजनीतिक लोगों से आरम्भ न करें | क्योंकि महबूबा मुफ्ती कहेंगी, मैं क्यों नहीं, मैं एक मुस्लिम महिला हूँ | हमें अवसरवादियों को पहचानना है | लोग राजनीतिक महत्वाकांक्षा पालना आरम्भ कर देंगे | आपको उनसे सावधान रहना होगा |
प्रश्नकर्ता: ठीक है | एक पूर्व सैनिक की ओर से एक प्रश्न | कई मुसलमान भारतीय सशस्त्र बलों में सेवा प्रदान करते हैं और स्पष्ट रूप से भारत के प्रति उनका समर्पण अनुकरणीय है | सेना क्या सही कर रही है ?
राजीव मल्होत्रा: यह महत्वपूर्ण है और हमें सेना से पता लगाना चाहिए कि वे क्या सही कर रहे हैं | मुझे लगता है कि परिभाषा के अनुसार वे स्वदेशी मुस्लिम हैं – पालन करने वाले मुसलमान जो प्रार्थना करते हैं परन्तु प्रार्थना कराने वाला कोई मुल्ला नहीं होता है | हमें पता लगाना होगा | संभवतः मुस्लिम व्यक्तिगत रूप से केवल अल्लाह की प्रार्थना कर रहे हैं और किसी के द्वारा बलात मत परिवर्तन किया जा रहा है | या संभवतः सेना मुल्ला को चुनती है और भर्ती करती है |
मुझे पता है कि अमेरिकी सेना ऐसा करती है | अमेरिकी सेना में हर धार्मिक समूह के लिए पुजारी हैं | तो, यदि आप एक सिख अमेरिकी सैनिक हैं, तो यहां तक कि यदि एक बटालियन में केवल दो सिख सैनिक हैं, तो भी उनके पास यह कहने का वैधानिक अधिकार है कि हम अपने पुजारी चाहते हैं | वे किसी को नियुक्त करते हैं और उसे उस परंपरा या धर्म का शिक्षक बनाते हैं | वे साक्षात्कार करेंगे और उन्हें चुनेंगे जिन्हें वे पसंद करते हैं | अर्थात् अमेरिकी सेना नियुक्त कर रही है सशस्त्र बलों में मुल्लों को | परन्तु वे उनको चुनने वाले नहीं हैं जो सेना के विरुद्ध हैं |
निस्संदेह | आपके पास अभी भी आतंकवादी व अन्य घटनाएं होती हैं, परन्तु मुसलमानों का विशाल बहुमत जो सेवा कर रहा है, ठीक है | सेना ने यह पता लगाया है कि आपको सही प्रकार का मुल्ला पकड़ना है | और वे जैसे हैं, उसी रूप में मुसलमानों का सम्मान करना है और फिर सब ठीक रहता है | उन्होंने मुस्लिमों के साथ एक अच्छा संतुलन बनाया है | हमें उनसे सीखना चाहिए |
प्रश्नकर्ता: ठीक है | स्वदेशी मुस्लिम का विचार कितना सफल होगा यदि सरकार इसके विपरीत या छद्म धर्मनिरपेक्ष एजेंडा के साथ खड़ी आती है ?
राजीव मल्होत्रा: धर्मनिरपेक्षता ने समस्या उत्पन्न की है या इसे और भी दुष्कर बना दिया है क्योंकि इसने धर्मों पर चर्चा रोक दी है | संवाद का अभाव अधिक उत्तरदायी लोगों के स्थान पर मुल्लों द्वारा भरा गया |
भारत में हमारे यहाँ विद्यालयों में धर्मों की तुलना नहीं पढ़ायी जा रही है, जो कि ब्रिटेन, सिंगापुर और अमेरिका में एक आवश्यक पाठ्यक्रम है | वे वैश्विक धर्मों को पढ़ाते हैं और पाठ्यसामग्री को लिखने में सहायता के लिए उन धर्मों के विशेषज्ञों से परामर्श लेते हैं |
दुर्भाग्यवश हिंदुओं के लिए पाठ्यपुस्तकें हिंदू नाम वाले सिपाहियों द्वारा लिखी गयी हैं | हमारे हिंदू नेताओं को नहीं लगता था कि यह ध्यान देने लायक है | हमारे हिंदू नेता और गुरु केवल अपने मंदिर और आश्रम को लेकर चिंतित थे | उन्होंने यह अनुभव नहीं किया कि विद्यालयों में अधिक बढ़त बनाना बहुत महत्वपूर्ण है | हमारे राजनीतिक हिंदू नेताओं ने बिल्कुल भी चिंता नहीं की |
मैंने स्वामी दयानंद सरस्वती के साथ अमेरिकी विद्यालयी पाठ्यपुस्तकों में हिन्दू सम्बन्धी पूर्वाग्रहों की इस समस्या को उजागर करना आरम्भ किया | 90 के दशक के मध्य में | उन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया और फिर मैं इसे आगे ले गया, एशियाई अध्ययनों के संगठन में गया | एक टीम के साथ | हमने 20,000 अमेरिकी विद्यालय शिक्षकों के लिए एक विशेष संस्करण निकाला जिसका हमने वित्तपोषण किया और कहा कि हम इन लेखों को लिखेंगे | मैंने इसके लिए बहुत लंबे समय तक लड़ा | पिछले 5 से 8 वर्षों से एक और हिंदू संगठन इस बहस को आगे ले जा रहा है |
हमें अपने स्तर पर इस संवाद को बेहतर ढंग से नियंत्रित करने की आवश्यकता है | इस संवाद को त्यागना, धर्मनिरपेक्षता के नाम पर, हमारी सरकार की एक बहुत ही अनुत्तरदायित्व वाली बात रही है | यदि न्यूयॉर्क में नेहरू केंद्र अंतर्धार्मिक वार्तालाप करना चाहता है तो सरकार को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए | परन्तु वे इस विषय से बहुत डरे हुए हैं क्योंकि भारतीय विदेश सेवा के लोग तैयार नहीं हैं |
मुझे एक भारतीय समूह द्वारा ह्यूस्टन में हिंदू ईसाई बहस के लिए आमंत्रित किया गया था, एक ईसाई धर्मविज्ञानी के साथ | मेरी बहस का यह वीडियो यूट्यूब पर उपलब्ध है | यह एक बड़ी बहस थी और बहुत सारे लोगों ने इसे देखा | उन्होंने भारतीय वाणिज्यीक दूतावास के प्रमुख को आने के लिए आमंत्रित किया | मैंने कहा कि वे नहीं आयेंगे | उन्होंने कहा कि हमने उन्हें इतना अधिक वित्तपोषित किया है और वे हमारे बहुत अच्छे मित्र हैं | वे निश्चित रूप से आयेंगे | वे दो अन्य लोगों के साथ आये थे | और एक चाय-समोसा लिया था और फिर कुछ समय रहने के बाद चले गए | … आपने देखा, वे भयभीत हैं |
यह एक बहुत ही विचित्र बात है | धर्मनिरपेक्षता की गलत व्याख्या ने कुछ समस्याएं उत्पन्न की हैं | पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता का कहना है कि सरकार और धर्म के संस्थान मिश्रित नहीं किये जायेंगे | सरकार धार्मिक संस्थानों का संचालन नहीं करेगी | आप अपनी व्यक्तिगत क्षमता पर, आप संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति हो सकते हैं, या कोई भी – इसका यह अर्थ नहीं है कि आपकी कोई व्यक्तिगत आस्था नहीं है | इसका अभिप्राय यह नहीं है कि आप इसके बारे में बात नहीं करेंगे और आप इन वार्तालापों में भाग नहीं लेंगे | इसका केवल इतना अर्थ है कि एक-दूसरे के शासी निकाय (गवर्निंग बॉडी) और न्यासी (ट्रस्टी) आपस में मिश्रित नहीं होंगे |
विडंबना यह है कि भारतीय सरकार का मंदिरों पर नियंत्रण वास्तव में उसका उल्लंघन कर रहा है | तो, हम एक अर्थ में धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं और अधर्मनिरपेक्ष कहलाने का आरोप लगने का भय हमारे लोगों को वैध काम को करने से रोक रहा है जो कि हमें करना चाहिए | जैसे कि पाठ्यक्रम में वैश्विक धर्मों को प्रोत्साहित करना |
मेरी एक मित्र मधु खन्ना कुछ 10-15 वर्ष पहले धार्मिक अध्ययन के प्रमुख होने के लिए जामिया मिलिया में नियुक्त की गयी थीं | उन्होंने कहा कि यह एक मुस्लिम संस्थान है परन्तु उन्होंने विश्व धर्मों के लिए पहला केंद्र आरम्भ करने के लिए एक हिंदू को नियुक्त किया है |
यह एक बहुत चालाकी भरा विचार है | मुसलमान अब विश्व धर्मों के लिए केंद्र आरम्भ कर रहे हैं | परन्तु हिंदू ऐसा करने से डरते हैं | हमें समझने की आवश्यकता है क्यों | एक मुस्लिम संस्थान के लिए विश्व धर्मों को पढ़ाना उचित है | परन्तु जेएनयू या दिल्ली विश्वविद्यालय में ऐसा करना उचित नहीं है |
प्रश्नकर्ता: रोचक | इसलिए क्या भारत की युवा पीढ़ी के बीच देश भर में इसके बारे में वैज्ञानिक बहस की एक श्रृंखला आयोजित करना ठीक होगा ?
राजीव मल्होत्रा: हाँ | स्वदेशी मुस्लिम, हिन्दू और ईसाई का विचार विषय होना चाहिए | मेरी पुस्तक को बहस का कारण बनना चाहिए और बातचीत का | उन युवाओं को जो इतना प्रभावित नहीं हैं, उन्हें बाहर आने दें | प्रतिष्ठित अभिजात वर्ग के संस्थान धर्मनिरपेक्षता के नाम पर धर्म के बारे में बात करना भयावह क्यों मानते हैं ? वास्तव में उन्हें इसे प्रोत्साहित करना चाहिए |
यह एक मानसिक निर्वात बना रहा है | भिन्न भिन्न लोग घर पर भिन्न-भिन्न बातों का पालन कर रहे हैं, अपने पूजास्थलों में किसी और का और उनके विद्यालयों में यह गोपनीय है और चर्चा नहीं की जा सकती है | एक दबाव और एक बड़ा अंतर है, लोगों को इसके बारे में बात करने में सहज होना चाहिए |