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प्रश्नकर्ता: इस स्वदेशी मुस्लिम की अवधारणा के लिए क्या आप पिरामिड के शीर्ष पर स्थित शिक्षित, अभिजात वर्ग को देख रहे हैं या धरातल के लोगों को भी ?
राजीव मल्होत्रा: सबसे पहले मैं उन लोगों की खोज में हूँ जिनके साथ मैं बैठ सकता हूँ और अच्छी बातचीत कर सकता हूँ | रणनीतिक योजना में, आप आरम्भ करते हैं एक सरल मार्ग से | मैं उन लोगों के साथ सरल प्रवेश चाहता हूँ जो आधुनिक हैं और हमारे जैसे हैं, और जो भयभीत हैं | हम कैमरे से हटकर निजी वार्तालाप आरम्भ कर सकते हैं | फिर हम धीरे-धीरे कैमरा और फिर जनता का सामना करने के लिए उनमें रुचि और साहस जगायेंगे | इसमें समय लगेगा |
हमें वहां से आरम्भ करना चाहिए जहां सफलता की संभावना अधिक है | बस्तियों में वे कहेंगे कि मुझे कुछ भी पता नहीं है | जो भी मुल्ला या इमाम ने कहा है वह सही ही होना चाहिए | फिर आपको और अधिक बाधाओं का सामना करना पड़ेगा |
मैं वहां से आरम्भ नहीं करना चाहता हूँ जहां सफलता की संभावना न्यूनतम है अपितु वहां से जहां संभावना अधिकतम है | एक बार हम इसे आरम्भ कर देंगे फिर अन्य काम होंगे | एक बार जब कुछ आदर्श और अभिजात वर्ग के लोग इस प्रकार बात करना आरम्भ कर देते हैं, तो फिर अन्य काम होंगे |
मैं इन खानों और बॉलीवुड वालों से निराश हूँ | वे गहन विषयों पर गए बिना हिंदू मुस्लिम के विषय में सतही बात करते हैं | यह केवल राजनीतिक “शुद्धता” है, और उपरी प्रतीकात्मकता | मुझे नहीं पता कि वे इन वास्तविक गंभीर विषयों पर कितने अच्छे ढंग से शिक्षित हैं | उस प्रकार के लोगों को आगे आना चाहिए और बात करनी चाहिए कुरान और मुहम्मद के जीवन की पुनर्व्याख्या, मुल्ला व अरबीकरण की भूमिका के बारे में और वि-उपनिवेशीकरण वि-अरबीकरण और वि-अशरफीकरण के बारे में |
मैं देखना चाहता हूँ इन जटिल और चुनौतीपूर्ण विषयों पर बॉलीवुड के मुसलमानों द्वारा चर्चा किये जाने को | धर्मनिरपेक्षता और बहुलवाद पर चर्चा को | उन्हें इन विषयों पर नेतृत्व करना चाहिए | अमीर खान, आपको यह करना चाहिए |
या तो वे भयभीत हैं या वे पाखंडियों की एक झुण्ड हैं – मुझे नहीं पता | परन्तु वे कठिन विषयों से निपट नहीं रहे हैं | मैं जावेद अख्तर को आने और मेरे साथ बहस करने के लिए आमंत्रित करता हूँ | सृजन फाउंडेशन क्यों नहीं उनसे संपर्क करता है और आयोजित करता है इस प्रकार के कुछ लोगों के साथ मित्रवत, अच्छा, तनाव मुक्त बैठक और बातचीत ?
प्रश्नकर्ता: निश्चित रूप से | अपनी पुस्तक में आपने उल्लेख किया था एक धार्मिक सम्मेलन जिसमें आपने भाग लिया था जहां विभिन्न धार्मिक प्रतिनिधियों को पारस्परिक सम्मान के मौलिक सिद्धांत के साथ समस्याएं थीं और उन्होंने पसंद किया सहिष्णुता को |
राजीव मल्होत्रा: हाँ | परिणाम सफल नहीं था |
प्रश्नकर्ता: आप इससे निपटने की योजना कैसे बनायी ?
राजीव मल्होत्रा: हाँ | परन्तु परस्पर सम्मान के इस विचार के प्रोत्साहन ने चर्चा परिवर्तित कर दी है | बहुत से लोगों ने सहिष्णुता के स्थान पर परस्पर सम्मान के बारे में बात करना आरम्भ कर दिया है | इन बातों को एक या अधिक पीढ़ी लगती है कुछ प्रभाव डालने में | ऐसे उत्तेजक विचार महत्वपूर्ण हैं | वे एक जीवन चक्र के माध्यम से गुजरते हैं | आरम्भ में वे क्रोधित होते हैं और बिना समझे अस्वीकार कर देते हैं | मुझे बहुत मार पड़ती है | इसमें निराशावाद होता है |
तब जब मेरे विरोधी, पश्चिमी विद्वान, मुझे गंभीरता से लेना आरम्भ कर देते हैं, हमारे हिन्दू कहते हैं ‘ओह यह अवश्य महत्वपूर्ण होना चाहिए | वे लोग अब इसके बारे में बात कर रहे हैं |’ हमारे लोग अनुयायी हैं, स्वयं के लिए मार्ग ढूँढने में सक्षम नहीं हैं | एक बार जब हमारे कुछ लोग गंभीर हो जाते हैं, तब विषय महत्वपूर्ण हो सकते हैं |
बहुत शीघ्र वे सभी लोग जो क्रोधित, दुखी और निराशावादी थे, अपने नेता होने का दावा करते हैं | वे सब इस बारे में बात करना आरम्भ कर देते हैं | दो वर्ष के भीतर, सभी स्थानों पर स्वदेशी मुसलमानों के बारे में बातचीत होगी | भारतीय महागाथा के बारे में पहले ही बातचीत चल रही है |
प्रश्नकर्ता: हाँ |
राजीव मल्होत्रा: यह एक आम चर्चा का शब्द बन गया है और मैं बहुत प्रसन्न हूँ |
प्रश्नकर्ता: एक नए विषय पर एक रोचक प्रश्न: क्या सूफीवाद स्वदेशी मुस्लिम की इस अवधारणा में सहायता कर सकता है, यह जानते हुए कि इसमें रहस्यवाद का एक तत्व है ?
राजीव मल्होत्रा: सूफीवाद एक दोधारी तलवार है | जब तक मुसलमान इसका पालन कर रहे हैं तब तक यह अच्छा है क्योंकि यह कुछ सीमा तक उन्हें सौम्य बनाता है | परन्तु यह अधिक हिंदुओं को आकर्षित करने के लिए जाना जाता है | हुमायूं के मकबरे में सूफी उत्सव में, वहां जा रहे लोग हिंदू हैं जो सूफीवादी बन जाते हैं | मैं ऐसे हिंदुओं को जानता हूँ जो समानता अनुभव करते हैं |
20 वर्ष पहले कराची में मैंने सूफीवाद के बारे में एक इमाम के साथ बातचीत की थी | ‘आस्क इमाम’ नामक एक ऑनलाइन सेवा थी | मुझे नहीं पता कि यह अभी भी है या नहीं | आपने इसमें सदस्य बन सकते थे और इमाम से कोई प्रश्न पूछ सकता थे | वे प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे | हरम या हलाल क्या था इसके बारे में |
मैंने एक मुस्लिम नाम के साथ सदस्यता ली थी और उनसे पूछा था कुछ प्रश्न | उनमें से एक सूफी पर था | ऐसा माना जाता है कि सूफी को एकात्मता का अनुभव है | और कुरान में इसकी अनुमति नहीं है | यह अहंकारी माना जाता है, क्योंकि आपको लगता है कि आप अल्लाह की भांति हैं |
आरम्भ में उन्होंने पहले बताने का प्रयास किया कि: “भाई हम एक हैं तो आप इस प्रकार क्यों बात कर रहे हैं ? हम प्रसन्न हैं |” राजनीतिक शुद्धता | परन्तु मैंने कहा कि मैं जानना चाहता था | अंत में उन्होंने स्वीकार किया कि अल्लाह के साथ एकात्मता का सूफी दावा और यह तथ्य कि आप अल्लाह के साथ एक नहीं हो सकते हैं, यह कहकर कि अल्लाह आपको यह अनुभव दे रहा है जैसे कि आप उसके साथ एक हो गए हैं | इसका अर्थ यह नहीं है कि आप वास्तव में एक हुए हैं | यह उल्लंघन नहीं है क्योंकि आप अहम् ब्रह्मस्मि का दावा नहीं करते हैं | कोई अहम् अल्लाह का दावा नहीं है | परन्तु यह केवल इतना है कि मुझे अनुभव हुआ कि मैं हूँ | ठीक है ?
यह ऐसा है कि मानो आप एक बैंक कर्मचारी हैं | बैंक का प्रमुख छुट्टी पर है और कहता है कि आज आप मेरी मेज पर बैठ सकते हैं | आप एक सीईओ की भांति अनुभव करते हैं और जब कोई फोन आता है तो आप इसका उत्तर दे सकते हैं और ऐसा वैसा कर सकते हैं | आपके पास पैसा स्थानांतरित करने का अधिकार नहीं है | आप बैंक संचालित नहीं कर सकते हैं | आपके पास केवल एक अनुभूति है | तो सूफीवाद में अल्लाह आपको यह अनुभव कराता है परन्तु आप अल्लाह नहीं बन जाते हैं और वो सब नहीं करते हैं जो अल्लाह करते हैं |
जबकि वेदांतिक एकात्म सूफीवाद से भिन्न प्रकार का एकात्म है | हमें यह समझना चाहिए | और इस प्रकार के सतही समानता में नहीं पड़ना चाहिए | किसी हिंदू के लिए एक अच्छी स्थिति यह होगी कि वह सूफीवाद का सम्मान वेदांत के बहुत निकट होने की इस्लाम की प्रक्रिया के रूप में करता है | परन्तु मैं वेदान्तिक रहता हूँ क्योंकि मुझे अंतर पता है | मृदुल इस्लाम के रूप में सूफीवाद का खतरा यह है कि हिन्दू सूफीवादी बन रहे हैं |
प्रश्नकर्ता: जिसके लिए हिन्दुओं को स्वयं पूर्वपक्ष करना चाहिए |
राजीव मल्होत्रा: हाँ | आप जानते हैं, सिख धर्म का उदाहरण | मुझे खेद है कि इस वीडियो को देखने वालों में कोई सिख है | सिख धर्म का मूल लक्ष्य एक नए मिश्रित धर्म के साथ हिंदुओं और मुस्लिमों को प्रतिस्थापित करना था | यह विफल हुआ | आप सिख धर्म नामक एक नया धर्म बनाने के लिए हर हिंदू और मुस्लिम परिवार से सबसे बड़ा बेटा लाते हैं | यहां और वहां से सर्वश्रेष्ठ लेते हैं | तो फिर क्या हुआ ? यदि गुरु नानक के कई सौ वर्षों के बाद यह स्थिति है, तो आपने इसे क्यों नहीं बनाया है ? गुरुओं का वह दृष्टिकोण असफल रहा |
सिख धर्म ने एक अच्छा धर्म बनाया | इसमें सुन्दर बातें हैं | मैं गुरुवाणी का आनंद लेता हूँ | मंदिर, गुरुद्वारा जाने का और उनके महान सामाजिक मूल्यों का | सिख वास्तव में अद्भुत लोग और उत्कृष्ट मित्र हैं | उनके पास अच्छे मूल्य हैं |
उन्होंने लोगों का एक अच्छा समूह बनाया है | विश्व भर में लगभग 2 करोड़ सिख हैं | परन्तु वे बनाने में सफल नहीं हुए एक मिश्रित धर्म | बस इसलिए क्योंकि मुस्लिम उसमें सम्मिलित होने के लिए तैयार नहीं थे | सिख धर्म में सम्मिलित होने वाले अधिकांश लोग हिंदू थे | हम एक मिश्रित धर्म नहीं बना पाए | मैं इसकी खोज नहीं कर रहा हूँ |
कई लोग जो मेरी आलोचना कर रहे हैं वे सोचते हैं कि मिश्रित धर्म काम नहीं करेगा | परन्तु मैं इसका प्रस्ताव नहीं रख रहा हूँ | हम केवल इस्लाम के भीतर एक नया समूह चाहते हैं | पहले से ही सुन्नी शिया और अहमदिया हैं |
अहमदिया रोचक समूह हैं | उन्होंने कहा कि 19वीं शताब्दी के मध्य में लाहौर में उनके एक नये पैगम्बर हुए हैं | न केवल वे एक नया पैगम्बर हैं अपितु गैर-अरबी भी हैं | यह मुस्लिम विश्व के लिए एक समस्या है |
विश्व भर में 2-3 करोड़ अहमदिया हैं – बहुत अच्छे ढंग से शिक्षित लोग | मैं बल्कि स्वदेशी मुस्लिम को एक इस प्रकार के मुसलमान के रूप में बनाना चाहता हूँ जो कि उतना ही भारतीय है जितना कि एक तुर्की मुसलमान एक तुर्क है |
बांग्लादेश बना क्योंकि वे उर्दूकरण नहीं करना चाहते थे | उन्होंने कहा कि हम पहले बंगाली हैं | हाल के वर्षों में, आईएसआईएस उन्हें कट्टरपंथी बना रहा है और बांग्लादेश के अंदर यह युद्ध चल रहा है उनके बीच जो बंगाली बने रहना चाहते हैं, और उनके बीच जो उर्दूकरण करना चाहते हैं और पाकिस्तान के मार्ग पर चलना चाहते हैं | तो तनाव है और इस्लाम के भीतर के ये तनाव हमारे लिए उपयोगी भी हो सकते हैं |
इस्लाम का एक समूह उन लोगों के हाथों में है जिनके साथ हमारा कोई लेना-देना नहीं है | वे मत (वोट) डालने के नाम पर हमें सदैव बाध्य (ब्लैकमेल) करने के लिए उपस्थित हैं और हमें उन्हें राजनीतिक लाभों के साथ रिश्वत देना पड़ता है | हमें उनके पदों पर एक नए प्रकार के मुस्लिमों को बिठाकर इसे तोड़ना होगा |
मैं स्वदेशी मुस्लिमों को प्रस्तुत करके एक अर्थ में भारतीय इस्लाम में व्यवधान डाल रहा हूँ | और मैं इसे मुसलमानों के लिए अच्छी मंशा के साथ कर रहा हूँ क्योंकि यह दीर्घकाल में मुसलमानों के लिए बहुत अच्छा है |
मैं इस्लाम को अस्वीकार नहीं रहा हूँ | मैं मुस्लिमों से इस्लाम की पुनर्व्याख्या करने के लिए कह रहा हूँ | प्रार्थना का व्यक्तिगत पक्ष और अल्लाह के साथ आपका सम्बन्ध नहीं | परन्तु आप गैर-मुसलमानों से किस प्रकार संबंधित हैं उसके सामाजिक-राजनीतिक आयामों को | यही वह पहलू है जहां हम हस्तक्षेप करना चाहते हैं |
प्रश्नकर्ता: ठीक है | बांग्लादेश के बारे में एक प्रश्न | बंगाली मुसलमान और उर्दू बोलने वाले मुसलमान हैं | बंगाली मुसलमानों में से कई पर हिंसक आक्रमण किया जा रहा है | यह कहकर कि यदि आप हमारी बात नहीं सुनते हैं, तो आपके साथ यही होने वाला है | बांग्ला बोलने वाले मुस्लिम उतने हिंसक नहीं हैं | यह भारत में भी होगा क्योंकि हिंदू कभी भी दूसरों के प्रति हिंसक नहीं रहे हैं | जबकि मुसलमानों को धर्म की ओर से प्रोत्साहित किया जाता है कि वे बाहर निकलें, हिंसक बनें वो हथियाने के लिए जो उन्हें लगता है कि उनके अपने धर्म के लिए उचित है | तब किस प्रकार स्वदेशी मुस्लिम धार्मिक स्वीकृत हिंसा को सुलझाता है हिंदू के साथ जो कर्म और भाग्य में विश्वास करता है ? स्वदेशी मुस्लिम के साथ यह मध्य में कैसे सुलझता है ?
राजीव मल्होत्रा: एक स्वदेशी मुसलमान पहले और सबसे पहले एक मुसलमान है | उनका मुख्य काम हिंदुओं के साथ नहीं अपितु अन्य मुसलमानों के साथ है | आनुवंशिक कोड को संशोधित करने के लिए आप एक जीन डाल (इंजेक्ट) देते हैं | आजकल जीन थेरेपी यही है | आप उनके अपने कुछ लोगों को एक विशिष्ट रूप में संशोधित करके कट्टरपंथी इस्लाम से लड़ रहे हैं |
यह एक पुरानी तकनीक है | अंग्रेजों ने आयरिश के साथ ऐसा किया | जब उन्होंने आयरलैंड को उपनिवेश बनाया तो उन्होंने आयरिश के एक विशिष्ट कुलीन समूह का निर्माण किया जो प्रतिष्ठा के विषय में अंग्रेजों की भांति थे, जिन्होंने दूसरों को अधीनस्थ किया | वे बाद के ज़मींदार की भांति थे | दासता के दौरान श्वेतों ने दासों की निगरानी करने के लिए अश्वेत पर्यवेक्षकों का उपयोग किया | उन्हें विभिन्न विशेषाधिकार प्राप्त थे | यह बहुत पुरानी विधि है |
जो उदाहरण मैंने दिया, मैं नहीं चाहता कि मुसलमान यह अनुभव करें कि हम अच्छे नहीं हैं | हम उस प्रकार के लोग नहीं हैं | परन्तु मैं चाहता हूँ कि मुसलमान यह जानें कि यह उनकी समस्या है | यह उस मुस्लिम की समस्या है जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी के संदर्भ में प्रबुद्ध है और विश्व के साथ सद्भाव में रहना चाहता है | यदि कट्टरपंथियों द्वारा अधिग्रहण किया जाता है तो वे सबसे बड़े पीड़ित होंगे | वे सदैव पहला लक्ष्य होते हैं |
जब पाकिस्तान के जनरल याह्या खान ने बांग्लादेश को संभाला, उन दिनों में पूर्वी पाकिस्तान, तो उन्होंने लोगों के उस समूह को सबसे पहला लक्ष्य बनाया जो बौद्धिक थे | ढाका विश्वविद्यालय में, वे और उसके तोपों ने स्थान को घेर लिया, पूरे पूर्वी पाकिस्तान से पत्रकारों, राजनीतिक नेताओं और बुद्धिजीवियों को लाया और उन्हें गोली मार दी | वह नरसंहार अच्छी तरह से प्रलेखित है |
ये बुद्धिजीवि हैं जिन्हें वे सबसे पहले मिटाना चाहते हैं | वे लोगों के मस्तिष्क को अपने नियंत्रण में लेना चाहते हैं, उनके नेताओं से छुटकारा पाकर | करोड़ों लोगों के मस्तिष्क के लिए लड़ाई सदैव होती है अभिजात वर्ग के नेताओं के युद्ध के मैदान में | इसलिए हमें मुल्लों से लड़ना है | और स्वदेशी मुसलमान जो मुल्लों से लड़ेंगे, स्वाभाविक रूप से लक्ष्य बनने जा रहे हैं | यही लड़ाई है | इस्लाम के भीतर ही उनका काम समाप्त हो गया है | उन्हें हिंदुओं और अन्य के साथ क्या करना है, इस बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है |
प्रश्नकर्ता: क्या हम मान सकते हैं कि भारत में भी इस प्रकार के बहुत सारे उदार मुसलमान हैं ? और वे मूक बहुमत हैं ? फिर क्यों वे इस्लामी चरमपंथियों को नागरिकों पर आघात करने और विनाश फैलाने से रोकने में असफल रहे ?
राजीव मल्होत्रा: मूक बहुमत इस्लाम के भ्रमित और अशिक्षित अनुयायी हैं, न कि नेता | वे वैचारिक नेता नहीं हैं | अमेरिका में प्यू ट्रस्ट धर्म के बारे में सभी प्रकार के सर्वेक्षण करता है | बहुत साहसी काम | और वे रोचक अंतर्दृष्टि और निष्कर्षों के साथ आते हैं | यहां कुछ भारतीय समूहों को कुछ अच्छे सर्वेक्षण करना चाहिए इमाम पर, मुल्लों पर, और उनके संवाद पर | उनमें से कितने इस-इस प्रकार की बातों में विश्वास करते हैं ? उनमें से कितने समान नागरिक संहिता में विश्वास करते हैं ? क्या अनुच्छेद 370 को हटाया जाना चाहिए ? क्या हिंदुओं के विरुद्ध इस काफिर वाली बात को निष्क्रिय किया जाना चाहिए ? उनमें से कितने अशरफीकरण में विश्वास करते हैं ?
एक पूरी चेकलिस्ट होनी चाहिए और हम एक उत्कृष्ट डेटाबेस विकसित कर सकते हैं | मेरे पास ऐसा करने के लिए पकड़ और पैसा नहीं है | परन्तु यदि कोई ऐसा करता है तो क्षेत्रीय और जिलावार रिपोर्टों को देखना बहुत अच्छा रहेगा | तब फिर कोई मापचित्र बना सकता है विभिन्नताओं की और बता सकता है कि समस्याएं कहाँ हैं और क्या करना है | यह पहला कदम होना चाहिए | तब हम जान सकेंगे कि मूक बहुमत क्या सोचता है | अन्यथा हमें मीडिया स्थिति बताता है कुछ अनियमित उच्च स्तरीय ख्यातिप्राप्त प्रवक्ता और राजनेता दावा करते हैं |
मेरे अपने विचार केवल कुछ नमूना मुस्लिम मुहल्लों पर आधारित हैं | मैंने दौरा किया, बहुत समय बिताया, उनके साथ भोजन किया | मैंने वो सब किया जो करने के लिए मानवविज्ञानी प्रशिक्षित किये जाते हैं | आप समुदाय में जाते हैं और आप उनके साथ एक हो जाते हैं | यह एक छोटा सा नमूना था |
मेरा निष्कर्ष यह है कि औसत मुसलमान काफी उलझन में है और केवल मुल्ला की बात मानता है | वह एक स्वतंत्र विचारक नहीं है जो अपना मत बना रहा है | या तो वह वह करेगा जो आपने उसे करने के लिए कहा है | या यदि ऐसा लगता है कि मुल्ला ने करने से मना किया है, तो वह जाएगा और उसके साथ जांच करेगा | वह अपने लिए तर्क या निर्णय नहीं लेगा | मुसलमानों का 90% ऐसा ही है |
प्रश्नकर्ता: मेरा नाम सतनाम कौर है | पिछले तीन वर्षों से मैं आपको सुन रही हूँ | मैं आपको धन्यवाद देना चाहती हूँ | क्योंकि अब मुझे विश्वास है कि मैं सिख महिला होने से पहले एक सनातन धर्मी हूँ | और यह सब कुछ आपके कारण हुआ है | आपका बहुत – बहुत धन्यवाद ! मेरे बहुत सारे मित्र हैं जिन्हें अपने धर्म के बारे में कोई जानकारी नहीं थी | और वे इसका उपहास करते थे | आपके कारण उनके ज्ञान में 20 – 30% सुधार हुआ है | इसलिए आपका धन्यवाद |
आपसे मेरा प्रश्न यह है कि निरक्षर और कम शिक्षित मुस्लिम इमाम और मुल्ला द्वारा संचालित हैं | मेरे फेसबुक पेज पर स्थित शिक्षित मुसलमान जाकिर नाइक जैसे लोगों से प्रेरित दीखते हैं | जिन्हें वो एक मधुरभाषी, अंग्रेजी बोलने वाला, जानकार और बहुत अच्छे से पढ़ा हुआ व्यक्ति लगता है | ऐसा लगता है कि वह सबकुछ याद भी रखता है |
मुझे किसी हिंदू संगठन पर विश्वास नहीं है | तो एक व्यक्ति के रूप में कोई क्या कर सकता है ? मैं आपकी समीक्षा उनके साथ साझा कर सकती हूँ, परन्तु यह बहुत बड़ी बात नहीं है | वे दो ठोस काम क्या हैं जो मैं कर सकती हूँ ? क्योंकि मैं वास्तव में अपने बच्चे को एक ऐसा भविष्य देना चाहती हूँ जो एक समेकित समाज हो, और वैसा नहीं जिसमें कोई विवाद हो |
सबसे पहले मुझे स्वदेशी सनातन धर्मी बनना होगा जो मैं करने का प्रयास कर रही हूँ और मैं यह सुनिश्चित करुँगी कि मेरा बच्चा भी ऐसा बने | परन्तु वे दो काम क्या हैं जो मैं अपनी क्षमता में यह सुनिश्चित करने के लिए कर सकती हूँ कि मेरे आस-पास के लोग जो मुस्लिम बनने के लिए उत्सुक हैं वे जाकिर नाइक जैसे लोगों से लड़ें ?
राजीव मल्होत्रा: बहुत अच्छा | यह मेरे द्वारा अपेक्षित प्रभाव का एक अच्छा उदाहरण है | जब मैं आपके जैसे किसी व्यक्ति से मिलता हूँ तो मुझे बहुत प्रसन्नता होती है | क्योंकि आप वास्तव में प्रभावशाली हैं | चूंकि आप कुछ ठोस मांग रही हैं, मैं कहूंगा कि आप मुझे अपना विवरण ईमेल कीजिये |
मैं आपको दिल्ली में इस परियोजना में सम्मिलित करना चाहता हूँ | क्योंकि मैं कुछ दिनों में वापस जा रहा हूँ | हमें एक समूह की आवश्यकता है | मैं आपको प्रारंभिक स्वदेशी मुसलमानों में से कुछ के साथ परिचित कराऊंगा और हम महीने या तिमाही में एक बार इन विषयों पर चर्चा आयोजित करना चाहते हैं |
हमें दोनों पक्ष से उत्तरदायी लोगों की आवश्यकता है | मैं आपको सबसे पहले एक युवा मुस्लिम महिला के साथ परिचित कराऊंगा जो इन विचारों के बारे में बहुत स्पष्ट है | उनपर कई क्रोधित इमामों द्वारा आघात हुआ है | परन्तु वे सशक्त हैं | मैं जाने से पहले कुछ कोर समूह को एक साथ लाना चाहता हूँ | मैं यहाँ केवल कुछ दिनों के लिए हूँ | हम कुछ अन्य लोगों के साथ चर्चा कर सकते हैं | तो यह कुछ बहुत ठोस है | आप इन गतिविधियों को व्यवस्थित करने में सहायता कर सकती हैं |