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राजीव मल्होत्रा: क्योंकि यह एक जानकारी है जिसे हमें छोड़ना नहीं चाहिए | वे केवल एक औसत दलित कार्यकर्ता नहीं हैं | हम ऐसे दलित कार्यकर्ता चाहते हैं जो वंचित लोगों की सहायता करें | परन्तु वे इसे एक ईसाई धर्मप्रचारक के रूप में कर रहे हैं जो विदेशों से बहुत अधिक वित्तपोषित है | तो प्रसंग यह है कि इस चलो उडुपी आंदोलन का नेतृत्व दो लोगों ने किया था जो विदेशी वित्तपोषित एनजीओ और ईसाई धर्मांतरण आंदोलन के साथ जुड़े हैं |
तो चलिए हम रामानुज परंपरा के एक बहुत ही प्रमुख व्यक्ति जीयर स्वामी के तीसरे उदाहरण पर चलें | उन्होंने बहुत सारा अच्छा काम किया है और कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं | तो सुरेंद्रनाथजी हमें उनके बारे में बताएं |
सुरेंद्रनाथ चंद्रनाथ: वे लोकप्रिय रूप से मन्नारगुडी जीयर स्वामी के नाम से जाने जाते हैं, उस नगर के कारण जहां उनका मठ अवस्थित है | उस समय से जब उन्होंने मठ का प्रभार संभाला, तब से वे सक्रिय रूप से दलित लोगों से संपर्क स्थापित कर रहे हैं | वे सबसे वंचित लोगों के घर जाते हैं, उनके बच्चों से मिलते हैं और पूजा कराते हैं | वे धर्मांतरण के विरुद्ध भी बहुत मुखर रहे हैं जो हम जो कह रहे हैं उससे बहुत प्रासंगिक है |
उन्होंने दलित बस्तियों के बच्चों से भेंट की है | वे लोगों से मिले हैं, उनसे बात की है और उन्हें पढ़ाया है | वे भजन सुनते हैं | वे एक धार्मिक नेता के रूप में अपने कर्तव्यों से समझौता किए बिना अपने विशेष संप्रदाय के बंधनों को तोड़ रहे हैं | उन्होंने पंच-संस्कार दिया है, जो सामान्य श्री वैष्णवों के लिए एक विशेष दीक्षा है | उन्होंने मठ के परिसर में भेदभाव किए बिना विभिन्न समुदायों के कई लोगों को पंच संस्कार दिया है | मठ में आने और स्वामी से भेंट हेतु सभी का स्वागत है और और प्रत्येक को समान रूप से प्रसाद की सेवा दी जाती है |
जीयर स्वामी का दलितों तक पहुँच बनाने का एक महत्वपूर्ण अंग सामाजिक सहायता रहा है | यहां हम 2015 के बाढ़ के दौरान कुड्डालोर जिले में स्वामी को दलित बस्तियों में जाते हुए देखते हैं | उन्होंने व्यक्तिगत रूप से मठ के स्वयंसेवकों की सहायता से प्रभावित क्षेत्रों में जाकर राहत प्रयासों का समन्वय किया और बाढ़ के दौरान उनकी सहायता की | यह ईसाई धर्मांतरण करने वालों के लिए एक समस्या है क्योंकि वे प्राकृतिक आपदाओं को धर्मांतरण के लिए एक बहुत अच्छा अवसर के रूप में देखते हैं |
एक उदाहरण 2004 की सुनामी है जिसके बाद कई तटीय समुदाय बड़े स्तर पर ईसाई धर्म में धर्मान्तरित हो गए | इसलिए बाढ़ के दौरान वास्तविक राहत गतिविधियों में भाग लेने वाला एक स्वामी ईसाई धर्मांतरण करने वाले लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बन जाता है |
राजीव मल्होत्रा: हमें बताएं कि उनपर किस प्रकार आक्रमण हुआ था |
सुरेंद्रनाथ चंद्रनाथ: जून में, यात्रा के दौरान स्वामी ने देखा कि मवेशियों को अमानवीय ढंग से पहुंचाया जा रहा है | वे एक साथ बहुत कसकर बांध दिए गए थे | इसलिए उन्होंने और उनके लोगों ने वाहनचालकों को रुकने के लिए कहा | वे मवेशी और वाहन को पुलिस स्टेशन ले गए और पुलिस को समस्या लिखने के लिए कहा | और यह सुनिश्चित करने के लिए कि मवेशियों को उचित स्थितियों में उनके गंतव्य तक पहुँचाया जाए |
ठीक इसी समय, एक तथाकथित दलित-समर्थक पार्टी विदुतलई चिरुतिगल काची (वीकेसी) के लोगों व कम्युनिस्ट और इस्लामी संगठनों ने पुलिस स्टेशन पर आक्रमण किया | स्वामी और उनके लोगों को सुरक्षित रखने के लिए, पुलिस को वास्तव में उन्हें पुलिस स्टेशन ले जाना पड़ा | बाद में जब मवेशियों को दूसरे परिवहन में स्थानांतरित किया गया तब उन्होंने पत्थर मारना आरम्भ कर दिया और स्वामीजी के सहयोगियों में से एक गंभीर रूप से घायल हो गया |
आरम्भ में इस घटना को सही ढंग से सूचित किया गया था परंतु एक सप्ताह के भीतर तोड़-मरोड़ आरम्भ हो गया था | स्वामी का नाम दिए बिना, फ्रंटलाइन ने उल्लेख किया कि वो किसान जो मवेशियों की ढुलाई कर रहा था, उसपर आक्रमण किया गया था | शीघ्र ही हिंदुस्तान टाइम्स ने एक घुमाव दिया और कहा कि पत्थरबाजी हुई थी परन्तु अपराधियों और पीड़ितों की पहचान छिपाई गयी थी | शीघ्र ही उन्होंने ऐसा दिखाया जिससे प्रतीत हो कि स्वामी और उनके शिष्य हिंसा में सम्मिलित थे |
राजीव मल्होत्रा: यह तथ्यों में हेरफेर करने का एक मार्ग है और मुख्यधारा की मीडिया इसे नियमित रूप से करती हैं | तो यह एक और उदाहरण था | अब तक हमारे पास आदि शंकर परंपरा के अद्वैत वेदांत गुरु का एक उदाहरण था | दूसरा उदाहरण माधवाचार्य परंपरा के द्वैत का था | एक तीसरा उदाहरण रामानुज परंपरा के विशिष्टाद्वैत का था | यह दर्शाता है कि यह धर्म के एक विशेष संप्रदाय पर आक्रमण नहीं है बल्कि हमारी पूरी परंपरा पर है | सबमें समान बात यह है कि वे सामाजिक काम कर रहे थे |
मेरा चौथा उदाहरण एक बहुत ही प्रमुख व्यक्ति स्वामी नित्यानंद हैं | मैं व्यक्तिगत रूप से स्वामीजी को जानता हूँ | मेरे मन में उनके प्रति और उनके द्वारा किए जा रहे काम के प्रति बहुत सम्मान है | जब मैं पहली बार उनके बारे में जाना तो मैं पहियों पर मंदिर की उनकी अवधारणा से बहुत प्रभावित था |
एक बड़े ट्रक को एक मंदिर में परिवर्तित कर दिया जाएगा | यह एक गांव से दूसरे के बीच एक ट्रक के रूप में यात्रा करेगा और फिर अपने गंतव्य पर पूर्ण रूपेण एक मंदिर बन जाएगा | बहुत सारे भजनों और कीर्तनों से सुसज्जित एक सुन्दर मंदिर | वे गांव के लोगों को दवाएं देंगे | प्रसाद दिया जाएगा | प्रवचन और प्रश्नोत्तरी होगी और फिर वे अगले गांव में चले जाएंगे | अर्थात् प्रत्येक सप्ताह एक ट्रक-मंदिर तमिलनाडु के कुछ निश्चित गांवों का भ्रमण करेगा |
उन्होंने अत्यधिक ईसाई धर्मांतरण और धर्म-विरोधी सक्रियता वाले जिलों को लक्षित किया | मैं उनके काम से बहुत प्रभावित था | हम में से कुछ ने इन मोबाइल मंदिरों को प्रायोजित करने के लिए धन जुटाने में सहायता की क्योंकि हमने पाया कि स्वामीजी का पहियों पर मंदिर उन गाँवों में ईसाई धर्मांतरण को उल्टा करने में सक्षम था |
ग्रामीण चर्च इतने गतिशील कार्य के विरुद्ध प्रतिस्पर्धा नहीं कर सका | हम प्रत्येक गाँव में एक मंदिर और एक पुजारी के लिए धन इकठ्ठा करते, इसके स्थान पर स्वामीजी ने पहियों पर मंदिर पर निर्णय लिया जो 100-200 चर्चों के विरुद्ध प्रतिस्पर्धा कर सकता था | क्योंकि यह कई स्थानों पर जा सकता है | इससे चर्च को बहुत बड़ा धक्का लगा |
बाद में बेंगलुरु के निकट स्वामीजी के आश्रम में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कार्यक्रम था जहां गांव के लोग जो हिंदू धर्म में वापस आये थे उन सभी ने श्वेत वस्त्र पहने कई दिनों तक यात्रा की | विभिन्न समूहों में कई पुरुष और महिलाएं थीं | वे विभिन्न गांवों से आ रहे थे | यह गणतंत्र दिवस परेड के आध्यात्मिक संस्करण की भांति था | उनमें से प्रत्येक एकजुटता दिखाने के लिए पहियों पर अपना पूरा मंदिर ला रहा था | अर्थात् यह एक कुंभ मेले की भांति था, उसका स्वामीजी का संस्करण |
मैं इससे बहुत प्रभावित था | परन्तु इस प्रकार की गतिविधियों और मुखर व सार्वजनिक रूप से भारत-विखंडन शक्तियों की आलोचना ने उनके लिये बहुत अधिक उत्पीड़न को आमंत्रित किया | अगली दो स्लाइडों में आप आपदाओं के दौरान सामाजिक कार्य और खाद्य वितरण देख सकते हैं |
स्वामीजी के इन कार्यक्रमों में, मेरे जैसे लोग बड़ा योगदान देते हैं और हमें यह करना चाहिए क्योंकि यह बहुत अच्छा काम है | लोगों को यह स्मरण रहना चाहिए कि वैसे तो हमारे जैसे लोग हैं जिन्हें उनके आश्रम जाने और उनके कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पर्याप्त क्षमता प्राप्त है | पर बहुत-से वंचित इसे बिना किसी शुल्क के प्राप्त कर रहे हैं | एक अर्थ में धन वितरित किया जा रहा है |
यह वैसा ही है कि आप उन लोगों से, जो सक्षम हैं, अक्षम लोगों को छूट (सब्सिडी) देने के लिए फीस लेते हैं | यही वह काम है जो समाजवाद करने का प्रयास करता है परन्तु पूर्णतः विफल रहता है | दूसरी ओर धर्म यह प्राप्त कर ले रहा है जो कि समाजवाद करने का प्रयास करता है परन्तु विफल रहता है | इसके अलावा यह स्वैच्छिक है और लोगों की धर्मिक संवेदनशीलताओं को अपील करता है | समाजवाद की भांति बलात कर नहीं |
लोग स्वामीजी को उनके सभी अच्छे कामों के लिए सहायता करना चाहते हैं जो वे कर रहे हैं | वंचित लोगों तक शिक्षा, भोजन, चिकित्सा और राहत पहुंचाने के लिए स्वामीजी के पास बहुत बड़े स्तर का संपर्क कार्यक्रम है | अब मैं आपको दिखाना चाहता हूँ वो प्रताड़ना जिसका स्वामीजी को सामना करना पड़ा |
उन पर किसी व्यक्ति के साथ अनैतिक यौन सम्बन्ध रखने का आरोप था जब स्वयं उस व्यक्ति ने इसे अस्वीकार कर दिया था | अन्य लोग पीड़ित होने की भावना को उकसा रहे हैं जिसका पीड़िता खण्डन कर रही है | कुछ लोगों ने कहा कि उनके पास बाघ की त्वचा (खाल) है जो प्रतिबंधित है | बाद में यह वास्तव में बाघ की त्वचा नहीं बल्कि एक कृत्रिम पदार्थ पाया गया था |
आरोप थे कि उन्होंने संपत्ति हथिया ली है परन्तु फिर यह पाया गया कि ये भूमि उनकी थी और भक्तों द्वारा दान में दी गयी थी | एक के बाद सौ से अधिक अभियोग (केस) दायर किए गए और फिर न्यायालयों द्वारा निरस्त कर दिए गए | आप यह नहीं कह सकते कि पूरे कर्नाटक और तमिलनाडु में सभी सौ भिन्न-भिन्न न्यायाधीश पक्षपातपूर्ण हैं और उनका समर्थन करते हैं |
मीडिया उनसे इतनी क्रुद्ध थी कि कई दिनों तक लगातार मिथ्या वीडियो प्रसारित करती रही | बाद में फोरेंसिक विशेषज्ञों ने पाया कि ये वीडियो मिलावटी थे परन्तु कई महीनों तक मीडिया इसे दिखाती रही | पुलिस ने मीडिया का पक्ष लिया और यह माना कि एक प्रकरण के बारे में मीडिया न्यायालय की तुलना में अधिक जानती है | जबकि न्यायिक प्रक्रिया में कई वर्ष लगे और फिर कई वर्ष कलंकित अभियान को ठीक करने में, पर क्षति पहुंचा दी गयी थी |
मैं विभिन्न चरणों में संलिप्त था | मैं सभी विवरण दोहराना नहीं चाहता हूँ परन्तु मैंने आपको इसकी दिशा बताई है | मैं आपको तमिलनाडु के एक प्रमुख चैनल सन टीवी से एक वीडियो दिखाना चाहता हूँ | बाद में इसने स्वीकार किया था कि इन सभी प्रमाणों को कृतिम रूप से बनाया गया था और उन्होंने नकली वीडियो पर विश्वास किया था | यह एक बहुत बड़ा टीवी स्टेशन है | उनपर अभियोग चलाया जाना चाहिए | ऐसी बातें अस्वीकार्य हैं | मैं आपको अंग्रेजी उपशीर्षक के साथ एक छोटा सा वीडियो दिखाऊंगा | इसलिए कृपया देखें |
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न्होंने अभियोग (शिकायत) किया है कि नित्यानंद के कृत्रिम सीडी प्रकरण में सन टीवी वसूली में संलिप्त था | और यह कि वे विभिन्न उद्योगपतियों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों से पैसा वसूली जारी रखे हैं |
वो समाचार संपादक और उसके विभाग के व्यक्ति ने नित्यानंद के विरुद्ध धमकी-भरा नाटक प्रसारित किया था | समाचार विभाग में, वे ऐसे वीडियो चलाते हैं और जब उन्हें पैसे का भुगतान कर दिया जाता है, तब वे रोक देते हैं | वह समाचार संपादक राजा और उसके लोग वे हैं जो ये सब करते हैं | उनके पास पूरे तमिलनाडु में लोगों का नेटवर्क है | और उन्हें जाकर एक शिल्पशाला (फैक्ट्री) को कवर करने कहते हैं | शिल्पशाला से औद्योगिक अपशिष्ट आ रहा होता है | लोग पीड़ित हैं | वे खांस रही एक बूढ़ी महिला का एक पृथक वीडियो (शॉट) लेते हैं | वे इस वीडियो के साथ एक व्यक्ति को भेजते हैं | और मिथ्या वीडियो को प्रसारित नहीं करने के लिए बातचीत और मांग करते हैं |
राजीव मल्होत्रा: जो बात मैं करना चाहता हूँ वह यह है कि हमने चार प्रकरण देखे हैं | और सुरेंद्रनाथजी इन प्रसंगों को उजागर करने और व्यवस्थित रूप से मेरे साथ काम करने के लिए धन्यवाद | यह सुनिश्चित करने के लिए हमने सारी जानकारी सही-सही पाई है और यह दिखाने के लिए कि वे एक बड़ी समस्या का अंग हैं, हमने कई बार चर्चा की थी |
हम जो उजागर करना चाहते हैं वह है कि हिंदुओं को सताया जा रहा है और मीडिया, कई एनजीओ, और जयललिता जैसी कुछ सरकारें इसमें संलिप्त हैं | हमें आशा है कि स्थिति परिवर्तित होगी |
मेरी समापन की टिप्पणी यह है कि हिन्दू एक-दूसरे की सहायता के लिए क्यों नहीं आते हैं ? ऐसा क्यों है कि जब एक विशेष गुरु या स्वामी पर आक्रमण किया जाता है, तो उन्हें अकेले सामना करना पड़ता है ?
अन्य लोग या तो इससे बचते हैं या अधिक से अधिक वे निजी रूप से समर्थन करेंगे परन्तु सार्वजनिक रूप से ऐसा नहीं करना चाहेंगे | शत्रु हमें विभाजित करने में सफल रहा है | और हमारे अंदर भय डालने में | इसलिए हम एक दूसरे के लिए खड़े भी नहीं हो सकते हैं | हमारे खंडित और विभाजित होने के बाद, वे हमपर एक-एक करके आक्रमण करते हैं और हमें समाप्त कर देते हैं |
हम ऐसे हैं और इसी प्रकार भारत ने अपनी स्वतंत्रता खोयी, जब राजाओं से इस प्रकार व्यवहार किया जाता था और उन्होंने स्वयं को विभाजित करने और एक दूसरे से लड़ने की अनुमति दी | अब जब वे अनुभव करते हैं कि असली सूत्र जो राष्ट्र को एकजुट रखता है वे हिंदू गुरु, धर्म, मंदिर और आश्रम हैं | तो अब गुरुओं को विभाजित करने के लिए वही प्रक्रिया अपनाई जा रही है | वे आरोप लगाते हैं जो इतने नकारात्मक हैं कि अन्य गुरु भी स्वयं को दूर करने का निर्णय लेंगे |
कुछ हफ्ते पहले मैंने आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से प्रार्थना की थी क्योंकि उन पर आक्रमण किया जा रहा था और मैंने स्मरण कराया कि हमें उनकी सहायता करनी चाहिए परन्तु उन्हें दूसरों की भी सहायता करनी चाहिए |
हमने अब बहुत महत्वपूर्ण सुप्रसिद्ध गुरुओं के 4 उदाहरण दिए हैं | मैं हिंदू धर्माचार्य सभा से अधिक समर्थन देखना चाहता हूँ जिसे स्वामी दयानंद सरस्वती ने स्थापित किया था | मैं उससे आरंभिक वर्षों में जुड़ा हूँ | अब स्वामीजी का देहावसान हो गया है और अन्य इसे चला रहे हैं और उन्हें यह करना चाहिए |
संप्रदाय दर्शन की भिन्नता होने पर भी गुरुओं के मध्य द्विपक्षीय मित्रता होनी चाहिए | जब एक पर आक्रमण होता है, तो दूसरों को उनकी रक्षा के लिए आना चाहिए | उसके साथ मैं समाप्त करूँगा | आपकी सहायता के लिए सुरेंद्रनाथ-जी बहुत-बहुत धन्यवाद |
सुरेंद्रनाथ चंद्रनाथ: धन्यवाद |