हिन्दू शुभ समाचार (Hindi)

दुनिया परिवर्तन के समय में है। वैश्वीकरण, राष्ट्रीय सीमाओं के पार लोगों की बढ़ती आवाजाही, पर्यावरण संबंधी चुनौतियाँ, धार्मिक संघर्ष, उभरती अर्थव्यवस्थाएँ और एक बहु-ध्रुवीय दुनिया जैसे बदलाव सदियों पुरानी मानवीय दुविधाओं और समस्याओं को हल करने के लिए हमारी सोच में परिवर्तन की मांग कर रहे हैं | आज की चुनौतियों के समाधान के […]

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रीसा लीला-२: लंगड़ी छात्रवृति एवं पैशाचिकी — Part 1

गणेश के शिथिल शिश्न चित्रण के विरोध में की गयी याचिका —- भाग 1 इस चकित करनेवाले भाग 1 में, श्री राजीव मलोत्रा ​​ने एक ऐसी याचिका के विषय में चर्चा की है, जो कि हमारे अराद्धय देवी देवताओं के चित्रण से सम्बंधित है। ये याचिका अक्टूबर 2003 में हस्ताक्षर पाने हेतु प्रचलन में थी। […]

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धर्म-परिवर्तन का लक्ष्य – 2

To Read First Part, Click Here. भाग २: यूएस के अस्था पर आधारित उपक्रम: नूतनकलीन भारत यात्रा में, मुझे तेहेलका की एक अनुकृति दी गयी जिसकी तिथि ७ फ़रवरी, २००४ की थी जिसके आवरण कथा का शीर्षक था, ‘जॉर्ज बुश का भारत में बृहत धर्म-परिवर्तन का लक्ष्य I’ (१४ फ़रवरी वाले लेख में, एक लघु […]

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धर्म-परिवर्तन का लक्ष्य – 1

मानवाधिकार एवं अन्य पक्ष अवैध धन संपत्ति को वैध करने में न्याय विरुद्ध प्रणाली द्वारा, संपत्ति की सरणि का निर्माण करके, एक जटिल लेन-देन के जाल द्वारा किया जाता है, जिससे कि, धन के चरित्र को विस्तार से संदिग्धार्थ बनाया जा सके, और क्रमशः उसको न्याय पूर्ण व्ययसाय गतिविधियों द्वारा ले जाया जा सके जो […]

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कैसे ‘गांधार’ बना ‘कांधार’ – 3

Translation Credit: Vandana Mishra. To Read Second Part, Click Here. भारत पर इस्लामिक छात्रवृत्ति: अरबी, तुर्की, फ़ारसी आक्रमणकारियों ने अपने इतिहासकारों को भारत को परास्त करने की महान कार्यसिद्धि की विजय गाथा के प्रलेख के लिए आदेश दिया। इन में से कई इतिहासकारों को अंततः भारत भूमि से प्रेम हो गया और उन्होंने अत्यंत ही […]

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कैसे ‘गांधार’ बना ‘कांधार’ – 2

Translation Credit: Vandana Mishra. To Read 1st Part, Click Here. जातिसंहार भाग २: ग़ज़नी का महमूद ग़ज़नविद राजवंश का स्थापक पूर्वी तुर्की दास था, जिसको ईरान के मुसलमान ग़ज़नी (कांधार के निकट एक नगर) का प्रबंधकर्ता मानते थे I उसके पुत्र महमूद ने (९९८-१०३० वर्षों तक) अपने साम्राज्य को भारत में विस्तृत किया I एक […]

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कैसे ‘गांधार’ बना ‘कांधार’ – 1

Translation Credit: Vandana Mishra. अफ़ग़ानिस्तान के महाकाव्य इतिहास का आरम्भ होता है, जब वह पुरातन भारत का, एक महत्वपूर्ण क्षेत्र हुआ करता था, जिसका नाम ‘गांधार’ था I उसके कई नगरों में से जो सर्वाधिक बहुप्रचलित नगर हुआ करता था, वह वर्तमान युग का ‘कांधार’ था, जो तालिबान द्वारा कलंकित है I उस नगर का […]

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पारंपरिक ज्ञान प्रणाली – 3

Translation Credit: – Vandana Mishra To Read Second Part, Click Here. ज्ञान प्रेषक की भाँती शास्रविधियाँ: उत्तराँचल के दूरवर्ती क्षेत्रों के ग्रामीणवासी एक कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिसका नाम ‘जागर्स’ होता है, जिसमें जागरिए भेजते हैं डंगरिए को एक प्रकार के तन्मयावस्था में I डंगरिया तत्पश्चात आपकी सहायता करता है समस्या सुलझाने में, रोगों का […]

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पारंपरिक ज्ञान प्रणाली – 2

Translation Credit: – Vandana Mishra To Read First Part. Click here. विश्वीय विज्ञान में भारतीय योगदान सिविल अभियांत्रिकी: इंडस-सरस्वती सभ्यता विश्व की सर्व प्रथम सभ्यता थी जिसमें योजनाबद्ध नगर निर्माण किया गया था, भूमिगत जलनिकासी, सिविल आरोग्यशास्र,  द्रवचालित अभियांत्रिकी, एवं वातानुकूलित वास्तुकी इत्यादि वद्यमान थे I भट्टी में पकाये हुए ईंट सर्वप्रथम भारत में ही […]

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पारंपरिक ज्ञान प्रणाली – 1

Translation Credit: – Vandana Mishra. ये अब मान्य हो रहा है कि, पश्चिमी मापदंड ही एक मात्र निर्देश चिह्न नहीं है जिनसे अन्य सांस्कृतिक ज्ञान का मूल्यांकन किया जाए I वैसे तो ‘परंपरिक’ शब्द कदाचित संकेतार्थ रूप से ‘आधुनकता-विरुद्ध’ होने का संकेत देता है, एक ‘अविकसित’ या ‘अप्रचलित’ प्रसंग, किन्तु कई पारम्परिक विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी […]

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