मुस्लिम और भारत की महागाथा – 1

भारतीय महागाथा व्याख्यान स्वदेशी मुस्लिम

मेरा शोध भारतीय महागाथा पर है | मैं सबसे पहले यह समझाना चाहता हूँ कि इसका क्या अर्थ है | यह केवल हमारी कहानी के बारे में नहीं है | यह एक लोकप्रिय शब्द है, परन्तु इसका एक तकनीकी अर्थ भी है | मैं पहली बार सार्वजनिक रूप से एक विशिष्ट अध्याय के बारे में बात करूंगा | यह विशेष रूप से एक विवादास्पद अध्याय है | इसलिए कृपया ध्यान दें |

सबसे पहले सामान्य परिपेक्ष्य | भारत की स्वतंत्रता के बाद, भारत के अध्ययन के लिए पांच चरण या दृष्टियाँ थीं | पश्चिम या इंडोलॉजी से भारत के अध्ययन के पांच विभिन्न प्रकार के सिद्धांत | उनमें से एक उत्तर-आधुनिकतावाद है |

उत्तर-आधुनिकतावाद विशेष रूप से संकटकारी है क्योंकि ऐसा लगता है कि यह वसुधैव कुटुम्बकम, एकता, खुली सीमा जैसे विचारों की बात करता है | परन्तु वास्तव में यह सबसे संकटकारी विषय है | हमारे अंग्रेजी ऑनर्स वाले लोगों ने, और सामाजिक विज्ञान के लोगों ने इसे व्यापक स्तर पर स्वीकार किया | मैं महागाथा – इस शब्द को समझाना चाहता हूँ जिसे पश्चिम ने बनाया है |

पश्चिम ने आधुनिकता, विज्ञान, और प्रौद्योगिकी विकसित किया | पर फिर वे बहुत हिल गए थे कि आधुनिकता दो अत्यधिक भयानक विषयों में परिणत हो गयी थी | एक नाज़ीवाद था | वे बीसवीं सदी में आधुनिकता का समापन माने जाते थे | इसने इन बुद्धिजीवियों को डरा दिया | दूसरा साम्यवाद का उदय था जिसने 10 करोड़ लोगों की हत्या कर दी थी | इसलिए मार्क्सवादी एक भिन्न परिवर्तन की खोज में थे |

वे मार्क्सवाद छोड़ना नहीं चाहते थे | वे यह भी जानना चाहते थे कि धनाठ्यों और दरिद्रों के बीच असमानता होने पर भी कई देशों में कम्युनिस्ट क्रांति क्यों नहीं हुई थी | उनके यहाँ कोई कम्युनिस्ट क्रांति नहीं थी | वे विभिन्न सिद्धांतों के साथ आते रहे | उस मंथन में, विदेशी, यूरोपीय और अमेरिकी वामपंथी विद्वानों के बीच, वे इस शब्द “महागाथा” के साथ आए जो भारत को निर्यात किया गया | यही कारण है कि मैं उस शब्द का प्रत्युत्तर दे रहा हूँ |

एक महागाथा मूल रूप से अपमानजनक और दमनकारी है क्योंकि यह अभिजात्यवर्गवादी है | चाहे वे नाजी या कम्युनिस्ट या कोई और थे, कोई आया और एक महागाथा बनाया | यह नीचे की प्रमुखता वाला नहीं है | महागाथा कभी भी लोगों के बारे में नहीं है | यह सर्वदा किसी स्त्री पर पुरुष की, अल्पसंख्यक पर बहुसंख्यक की गाथा है |

उन्होंने निर्णय लिया कि कोई नीचे से उभरकर आने वाला या आम लोगों का इतिहास होना चाहिए | उन्होंने इसे सबाल्टर्न अध्ययन कहा, जिसका अर्थ है विभिन्न अल्पसंख्यकों की गाथाओं का अध्ययन | नीचे से उभरकर आने वाली कई लघु महागाथाएं हैं, जो एकल महागाथा को चुनौती देने और उलटने का प्रयास कर रही हैं | यही वो स्थान है जहां भारत विखंडन आता है क्योंकि महागाथा को उलटने की यह परियोजना, छोटे खण्डों, और पृथकतावादी समूहों को सशक्त बनाना और उनकी गाथाएं तैयार करना है | जैसे कहा जाए कि महागाथा के विरुद्ध माओवादियों या इस जनजाति या इस जाति या इस समुदाय या इस धर्म की गाथा |

रोचक बात यह है कि यह सिद्धांत भारत के लिए नहीं था | वे अफ्रीका में फ्रांसीसी महागाथा का विखंडन करने की मंशा रखते थे | और वापस अफ्रीका को शक्ति देना चाहते थे | और अंग्रेजी उपनिवेशों में अंग्रेजी महागाथाएं और इसे उपनिवेशों को वापस देन चाहते थे |  तो, यूरोपीय लोगों का उद्देश्य था, एक वाद तैयार करना कि महागाथाएं दोषपूर्ण हैं भिन्न था | परन्तु भारतीय वामपंथियों ने इसे अपनाया, इसे भारत लाया और हिंदू धर्म और भारत को महागाथा के रूप में विघटित करना आरम्भ कर दिया |

80 के दशक और 90 के दशक के आरंभ में, महागाथा अध्ययन बहुत लोकप्रिय थे, और आप कई शोध प्रबंध, पुस्तकें और शोधपत्र देखेंगे | वे महागाथाओं का वर्णन किसी भयानक, दुष्ट, दमनकारी और ऊपर से नियंत्रण करने वाले के रूप में करते हैं |

मैंने बिल्कुल विपरीत करने का निर्णय लिया | मैंने उनकी शब्दावली ली, इसे पलट दिया, और इसे एक भिन्न अर्थ दिया | हर एक बिंदु पर, मैं उनकी पूरी विद्वत्ता में त्रुटियां पाता हूँ | यही कारण है कि मैंने महागाथा शब्द का प्रयोग किया क्योंकि यह एक तकनीकी शब्द है और कोई यादृच्छिक आम शब्द नहीं |

परिचय में, गणेश ने उल्लेख किया था कि मेरे व्यावसायिक दिनों के दौरान, मेरे पास 20 देशों में कंपनियां थीं | एक काम जो मैंने सर्वदा किया था वो यह कि मैं जिस स्थान पर व्यवसाय करता था, वहां की महागाथा समझने का प्रयास करता था | चाहे वह फ्रांस, कोरिया, चीन, मेक्सिको, पोलैंड, हंगरी, चेक गणराज्य या इंडोनेशिया या अन्य स्थान हो |

मैं सर्वदा एक निश्चित समय व्यतीत करता | मैं बहुत सारा समय व्यतीत करता यह पूछते हुए कि आप कौन हैं, आप स्वयं को कैसे देखते हैं, इतिहास की आपकी समझ क्या है, क्या बात है जो आपको एकजुट रखती है, आपकी आकांक्षाएं क्या हैं, आपका धर्म क्या है और इसी प्रकार के प्रश्न | मैं सहानुभूति के साथ उनका अध्ययन करता | मैंने पाया कि इन देशों के कॉर्पोरेट नेता अपनी महागाथा पर बहुत गर्व अनुभव करते थे |

इसने मुझे विश्वास दिलाया कि पूरी वामपंथी उत्तर-आधुनिकतावादी परियोजना विफल रही है | फ्रांस में, वे बहुत ही वामपंथी और उतर-आधुनिकतावादी हैं, फिर भी हर फ्रांसीसी गर्व के साथ जानता है मदिरा या फैशन के बारे में या हर वो बात जो उन्हें गर्व की अनुभूति देता है | हर देश में विरासत का यह गौरव है | उनके बारे में कुछ असाधारण |

अपने कॉर्पोरेट करियर के अंग के रूप में, मैंने महागाथाओं को समझना आरम्भ कर दिया | लोगों ने मुझे गंभीरता से लिया | मैं अगली बार पोलैंड वापस जाता और उन्हें बताता कि मैंने क्या नया सीखा है | वे बहुत प्रभावित हुए क्योंकि किसी अन्य भारतीय ने इस विषय को गंभीरता से नहीं लिया था |

एक प्रतीकात्मक भारतीय व्यापारी जो वहां जाता है, इस प्रकार की बातें सुनना नहीं चाहता | वह बात करना चाहता है केवल धर्मनिरपेक्ष, वित्तीय लेखांकन और विपणन आदि के बारे में | कहीं भी संस्कृति सम्मिलित नहीं है | मैं संस्कृति को समझने में बहुत रूचि रखता था | मैंने इंडोनेशिया में समझा कि उनके हिंदू नाम क्यों हैं | उन सभी के राम और सीता जैसे नाम हैं | उनमें से अधिकाँश मुसलमान हैं | परन्तु उनके हिंदू नाम हैं | क्यों ? उसकी उत्पत्ति क्या है ? और बातचीत के बाद मुझे उसमें एक अंतर्दृष्टि मिली |

यह वास्तव में एक व्यापार उपकरण है | यदि आप सहानुभूति के साथ उनकी संस्कृति को समझते हैं तो आप अन्य देशों के व्यावसायिक लोगों से बेहतर ढंग से जुड़ सकते हैं | और वे अनुभव करते हैं कि आप इसके बारे में निष्कपट हैं | मुझे नहीं पता कि क्यों हमारे टाटा और इंफोसिस, और इस प्रकार की कंपनियां अपने कॉर्पोरेट प्रशिक्षण के अंग के रूप में अन्य देशों की महागाथाओं के बारे में प्रशिक्षण नहीं देती हैं |

मेरे कुछ सम्बन्धी हैं जो शीर्ष भारतीय कंपनियों में बहुत वरिष्ठ अधिकारी हैं | जब वे अमेरिका में अपनी सहायक कंपनियों में से एक के भ्रमण पर जाते हैं और किसी कारखाने का दौरा करते हैं, तो उनका स्थानीय श्रमिकों के साथ कुछ बहस हो जाता है | यह बहुत स्पष्ट है कि भारत में मुख्यालय से आने वाले भारतीय, इन लोगों की महागाथा को नहीं समझते हैं | यह उनके मनोविज्ञान में अनुपस्थित है | एक बाधा है क्योंकि भारतीय वास्तव में यह जाने बिना बात कर रहे हैं कि वे अंदर की गहराई में कैसे सोच रहे हैं |

मैं एक बच्चे के रूप में बहुत प्रेरित था जब मैं ईस्ट इंडिया कंपनी का इतिहास पढ़ रहा था, भारतीयों को समझने में उन्होंने कितना निवेश किया | हमें लगता है कि उन्होंने कुछ संस्कृत पुस्तकों का अनुवाद करके हमारा भला किया है | जैसे कि मैक्स मूलर | वे भारत नहीं आए परन्तु अन्य संस्कृत विद्वान आए और ग्रंथों का अनुवाद किया | नृवैज्ञानिक और सामाजिक विज्ञान के लोग आए | वे यह समझने का प्रयास कर रहे थे कि हम कौन हैं, हमसे चतुराई से काम निकलवाने में सक्षम होने के लिए, हमें हंसाने रुलाने, एक दूसरे से लड़ाने और हम पर शासन करने में सक्षम होने के लिए | इसलिए लोगों की महागाथा को समझना मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हो गया |

पिछले 47 वर्षों से अमेरिका में आधारित होने के कारण, जिसका अर्थ है कि मैं अधिकांश अमेरिकियों की तुलना में वहां अधिक रहा हूँ | वहां इतने लंबे समय तक रहने और महागाथा के विषय का अध्ययन करने वाले बहुत उत्सुक व्यक्ति होने के नाते, मैंने वास्तव में 2-3 मोटी पुस्तकें लिखी हैं, अप्रकाशित, अमेरिकी महागाथा पर, और यह भारत के प्रति उनकी नीतियों से किस प्रकार संबंधित है और भारत को इसके बारे में क्या पता होना चाहिए |

अब संयुक्त राज्य अमेरिका के पास उनकी महागाथा के लिए एक आधिकारिक नाम है | यह बहुत रोचक है | इसे अमेरिकी असाधारणवाद कहा जाता है | यदि आप शोध करते हैं, तो आप पाएंगे कि 1800 के उत्तरार्ध से, इस शब्द का उपयोग किया गया है | वास्तव में यह संयुक्त राज्य अमेरिका के अस्तित्व से भी पहले 1600 के आरम्भ में गढ़ा गया था | परन्तु 1800 के मध्य में यह बहुत लोकप्रिय हो गया | और तब से प्रत्येक राष्ट्रपति, इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि कौन सी पार्टी, ने अपने आदर्श के रूप में अमेरिकी असाधारणवाद की बात की है | आप देख सकते हैं, फॉक्स न्यूज जो दक्षिणपंथी है, या एमएसएनबीसी जो वामपंथी है | वे सभी अमेरिकी असाधारणवाद के विचार पर गौरवान्वित हैं | और यह विद्यालयों में पढ़ाया जाता है | संस्थापक पिता, और क्या महान है |

अमेरिकी असाधारणवाद का अर्थ है कि हम अमेरिकी विश्व के असाधारण लोग हैं | हम विश्व के असाधारण लोग हैं | इसके विभिन्न संस्करण हैं | यहूदी-ईसाई संस्करण का कहना है कि यह स्वर्ग (ईडन) का बागान है जैसा कि बाइबल में वर्णित है | धर्मनिरपेक्ष वामपंथी संस्करण का कहना है कि हमारे पास यह कार्य नैतिकता और एक महान संविधान है | हम शोध एवं विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमि हैं | और हर कोई यहाँ आना चाहता है | इसलिए जो कोई भी विशेष महत्व का विषय हो, किसी एक व्याख्या से दूसरी व्याख्या तक, वे सभी अमेरिकी असाधारणवाद में विश्वास करते हैं |  जो सर्वसामान्य बात है वो यह कि हम विश्व के असाधारण लोग हैं | हो सकता है कि अन्य देशों की महागाथा का नाम नहीं हो, परन्तु यह स्पष्ट है कि उनके पास यह है |

चीन के पास यह है | मैं शक्तिशाली बनने से पहले 90 के दशक के आरम्भ में चीनी नेताओं के साथ व्यापार करता था मैं वहां बहुत बार जाया करता था | बचपन से चीनी नेताओं में यह भावना पनपायी गयी थी कि उनके देश के बारे में कुछ महान है | जापानी बहुत स्पष्ट थे | वैसे ही फ्रांसीसी, अंग्रेज, और रूसी थे | इसलिए, मैंने व्यवस्थित रूप से भारतीय महागाथा के विषय का अध्ययन आरम्भ कर दिया |

किसी समय में, रामायण हमारी महागाथा थी | यह हर गांव और जाति में प्रदर्शित किया जाता था | यह हमारी गाथा थी | एक महागाथा जो हमें एक साथ लाया करती थी | मुझे स्मरण है की मेरे बचपन में भी, 50 और 60 के दशक में, दिल्ली में हम रामलीला करते थे | इसमें एक महीना लगता था |

प्रत्येक की कोई भूमिका थी | हम सभी धनुष बनाते या चित्रकारी करने में समय बिताते | मैं लक्ष्मण की भूमिका निभाता था | वह मेरी भूमिका थी | पड़ोस में वे कहते कि आप लक्ष्मण थे | इसी प्रकार मैं जाना जाता था | किसी और के पास कोई और चरित्र था | कोई सशक्त लड़का रावण बनता | हम बच्चे मस्ती करते | कोई बाधा या सीमा नहीं |

गांवों में आप पाएंगे कि रामलीला महागाथा का सामूहिक उत्सव था | दुर्भाग्य से इसे नष्ट कर दिया गया और एक सहभागिता वाले उत्सव से परिवर्तित करके, टीवी पर एक निष्क्रिय दर्शन वाली बात में | तो, सबसे पहले यह एक अभिनय बना और दिल्ली में हमारे यहाँ उच्च गुणवत्ता वाले कार्यक्रम होते थे | सरकार के द्वारा रामलीला का एक प्रदर्शन हुआ करता था | अर्थात् सौ भिन्न मोहल्ले अपनी स्वयं की रामलेला करें, इसके स्थान पर, सभी रामलीला देखते | हम निष्क्रिय हो गए | कम से कम प्रदर्शन जीवंत था, और फिर कुछ वर्षों के बाद यह टीवी पर आ गया |

अब यह चला गया है | अब हमारे पास वह विचार नहीं है जो मैं अपने शरीर में धारण करता, इसका अभिनय करता और एक विशिष्ट प्रकार की अनुभूति पाता, अपने साथी कलाकारों व अन्य के प्रति | यह वास्तव में हमारी महागाथा थी | हम इसे जीते हैं | महागाथा आपके शरीर का अंग होती है |

जब आप व्याख्या करना चाहते हैं, तो चाहे वह डोनाल्ड ट्रम्प या कोई और हो या फिर वह अमेरिका या रूस से कोई व्यक्ति हो जो भारत आता है और आप मोल-भाव कर रहे हैं, तो आपको उनकी महागाथा अवश्य जाननी चाहिए | यह समझने के लिए कि वे क्या बात कर रहे हैं, उनका वास्तव में क्या अभिप्राय है, सच्चाई क्या है, सच्चाई क्या नहीं है और उन्हें कैसे प्रत्योत्तर देना है | मैं उसे कठोर चोट पहुंचाए बिना एक महत्वपूर्ण बात कहना चाहता हूँ | तो मोल-भाव करने के लिए, आपको दूसरे पक्ष को जानना होगा | हर व्यवसायी यह जानता है | आपको दूसरे व्यक्ति के मनोविज्ञान को समझना होगा | और ऐसा करने के लिए आपको उनकी महागाथा को समझना होगा |

यह बिल्कुल ही मस्तिष्क को झकझोरने वाला है कि विदेश मंत्रालय, भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, इस बारे में अनभिज्ञ हैं | मैंने मिलकर उनके कुछ लोगों, नेहरू केंद्र के लोगों और अन्य लोगों से बात की है | न तो संस्कृति मंत्रालय, न ही हमारा एचआरडी या उनमें से कोई भी वास्तव में महागाथा के इस विचार को समझते हैं – चाहे दूसरों का या हमारा स्वयं का | यह एक बहुत ही गंभीर स्थिति है |

महागाथा केवल हमारा इतिहास और हम एक राष्ट्र के रूप में कितने महान हैं ये लिखने की तुलना में एक बड़ा, व्यापक, गंभीर विषय है | इसमें बहुत कुछ है | अब यह पुस्तक जो मैं लिख रहा हूँ, जिसका नाम द इंडियन ग्रैंड नैरेटिव (भारत की महागाथा) है, में तीन भाग हैं भाग एक माहागाथा का प्रारंभिक इतिहास है और यह कैसे विकसित हुआ | इसके विभिन्न संस्करण हैं और मैं इसके लिए साक्ष्य प्रस्तुत करता हूँ |

भाग दो इस बारे में है कि यह कैसे बाधित हो गया | हमारे यहाँ इस्लामी और फिर यूरोपीय आक्रमण हुआ | स्वतंत्रता के बाद हमारे यहाँ इंडोलॉजी की पांच तरंगें थीं, पिछले 70 वर्षों से चल रहा एक बहुत ही विनाशकारी उद्यम | हमारी महागाथा के लिए बहुत विनाशकारी |

बहुत से लोग स्वयं को अंग्रेजों तक सीमित रखते हैं जब वे उपनिवेशवाद के बारे में बात करते हैं | एक इस्लामी उपनिवेशवाद था और यह एक विवादास्पद विषय है | जब मैं कहता हूँ कि इस्लामिक शासन एक औपनिवेशिक व्यवस्था थी तो कई भारतीय इसे पसंद नहीं करते हैं |

मैं इस्लाम विरोधी नहीं हूँ | मेरा विवादास्पद बिंदु, जिसपर मैं आऊंगा, वास्तव में आपको यह बताने के लिए है कि इस्लाम के प्रति मेरा विचार क्या है | यह इस्लामी विरोधी नहीं है | मुस्लिमों को इस्लामी आक्रमणकारियों को अस्वीकार कर देना चाहिए | केवल इसलिए कि वह मुस्लिम है, इसका यह अर्थ नहीं है कि वह अच्छा है | डॉ स्वामी ने यह नहीं कहा कि चूँकि कोई भ्रष्ट व्यक्ति हिंदू हैं और पूजा करता है, इसलिए उसे खुली छूट मिलनी चाहिए | यदि वह एक धूर्त है तो वह एक धूर्त है | तो हमें यह करना है |

दूसरा भाग विघटनकारी है | और तीसरा भाग सबसे महत्वपूर्ण है जो भविष्य है | अर्थात् एक व्यवधान है और एक निर्माण है | हम एक महागाथा कैसे बना सकते हैं ? वैसा जो वैज्ञानिक, प्रासंगिक और यथार्थवादी हो |

हमारे पास अल्पसंख्यक हैं और हमारे पास विभिन्न समस्याएं हैं | यही वास्तविकता है | हम जिन परिस्थितियों में हैं, उनका मूल्यांकन करने में हमें बहुत यथार्थवादी होना होगा | और फिर आप प्रस्ताव दे सकते हैं, निर्माण व चर्चा कर सकते हैं कि उसका समाधान क्या है |

जो शोध मैं कर रहा हूँ, वह केवल आक्रमणों और लड़ाइयों का ऐतिहासिक विवरण नहीं है | यह हमारी सभ्यता की गहरी संरचनाओं में जाता है | वेदों से आरम्भ होने वाले गहरे ढांचे हैं | संस्कृत की एक भूमिका है | और सिद्धांतों की | कई विषय हैं | वे अधिक से अधिक परिवर्तनों को आत्मसात करते हैं | स्मृति परिवर्तित होते रहते हैं | श्रुति वही हैं |

महागाथा किसी समय पर जड़ नहीं हो गया है | यह सर्वदा एक ही नहीं रहा है | यह परिवर्तित हुआ है | साथ ही, आप यह नहीं कह सकते कि यह एक नया देश या गाथा है | तो, आप कैसे सामंजस्य बिठाएँगे किसी बात में जो एक ही समय में एकसामान और भिन्न है ?

एक मार्ग मैं प्रस्तावित करता हूँ कि हम पुनर्जन्म ले चुके हैं | यह हमारा विचार है | भारत आधुनिक भारत में पुनर्जन्म ले लिया है और सनातन धर्म आधुनिक हिंदू धर्म में पुनर्जन्म लिया है | यह आधुनिक और निरंतर दोनों है | एक पुरानी आत्मा की निरंतरता |

दीनदयाल उपाध्याय ने इसे “चित्ती” कहा | प्रत्येक देश की एक चित्ती होती है | शरीर जा सकता है, और एक नया आता है | हमें उस चित्ती के चारों ओर एक संपूर्ण समाज बनाना चाहिए | मैंने कई बार व्याख्यान दिया है | दुर्भाग्यवश दीनदयाल उपाध्याय की मृत्यु बहुत शीघ्र हो गई और किसी ने भी उनकी परियोजना को जारी नहीं रखा |

यह हमारे अन्दर के आलस्य का अंग है | हमें लगता है कि किसी और ने ऐसा किया है, तो मुझे ऐसा क्यों करना चाहिए ? विवेकानंद या श्री अरबिंदो ने पहले ही इस पर लिखा है |

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