कृष्ण मंत्र का सिद्धांत — पंडित मधु दास

हिन्दू धर्म

राजीव मल्होत्रा: हरे कृष्ण मंत्र की विधि के बारे में बताएं |इसके पीछे का सिद्धांत क्या है ? यह मंत्र जो करता है वह वास्तव में यह कैसे करता है ?

मधु पंडित दास: आइए शास्त्रों पर चलते हैं | कली-संतरण उपनिषद है, जो कृष्ण यजुर्वेद का अंग है |वहां यह मंत्र इस विशेष रूप में दिया गया है | और ब्रह्मा नारद से कहते हैं,कि मैं तुम्हें कुछ दूंगा, जो सर्व श्रुति रहस्य गोपीयम या कुछ ऐसा जो सभी श्रुति का रहस्य है और बहुत गोपनीय है | वे कहते हैं भागवतआदि पुरुषस्य नारायणस्य नाम उच्चारणः | और फिर वे कहते हैं, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे | हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे |

नामोच्चारण द्वारा, इन नामों का उच्चारण करने पर, आत्मा के चारों ओर के अज्ञान की 16 परतें विलीन हो जाएंगी |जैसे कोई बादल अदृश्य हो जाता है और धूप निकलती है, वैसे ही इस नाम के साथ जुड़कर हमारी शुद्ध चेतना भी बाहर आ जाती है |जैसे कि भगवान का आध्यात्मिक जगत में एक रूप है, उसी प्रकार नाम भी है |जिस प्रकार रूप एक अवतार ले सकता है, वैसे ही उनका नाम अवतार ले सकता है |

हम अपनी जीभ से जो कंपन करते हैं, वह भौतिक है क्योंकि यह जीभ द्वारा निर्मित होता है |परन्तु कुछ अनदेखा हो रहा है | स्वामी ने इच्छा की, कली काले कृष्ण नाम रूप अवतार, वे समान ध्वनि के अंदर प्रवेश करते हैं,ताकि आप जो सुनते हैं वह उनकी पूर्ण पारलौकिक अप्राकृत ध्वनि है |मैं अपनी जीभ से प्राकृत ध्वनि को कंपन करता हूँ | एक अप्राकृत ध्वनि भी है जो शाश्वत है और इस मंत्र में उतरती है |इस प्राकृत ध्वनि के माध्यम से मैं अप्राकृत ध्वनि को स्पर्श कर रहा हूँ जो कि सच्चिदानंद का सागर है और स्वामी से भिन्न नहीं है |इसलिए, आप जैसे ही जुड़ते हैं, शुद्ध हो जाते हैं |

जब प्रभुपाद एक मालवाहक जहाज से अमेरिका जा रहे थे,तो उनको दो बार हृदयाघात (दिल के दौरे) हुआ|उन्होंने एक बहुत ही हृदय को छू देने वाली कविता लिखी जिसमें वे कहते हैं, मैं नहीं जानता भगवान् आप क्यों मुझे रजोगुण और तमोगुण से भरे इस संसार में ले जा रहे हैं, अवश्य आपके पास कोई योजना होगी |परन्तु मेरे पास एक महत्वपूर्ण विश्वास है, मुझे आपके पवित्र नाम पर विश्वास है | तो, प्रभुपाद अमेरिका गएऔर उन्हें इस पवित्र नाम पर भरोसा था | और यह विश्वास रूपांतरण कर सकता है, जैसा कि शास्त्रों में बताया गया है |

राजीव मल्होत्रा: तो, मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहता हूँ |मान लीजिए कि कोई व्यक्ति जप नहीं कर रहा है, परन्तु एक आइपॉड को सुन रहा है जो कि एक जीव नहीं है |क्या कोई निर्जीव जो यंत्रवत् ध्वनि उत्पन्न कर रहा है समान प्रभाव उत्पन्न कर सकता है ? यदि यह हो सकता है, तो सभी आईपॉड को मुक्ति मिल जायेगीऔर वे वैकुंठ में निवास करने लगेंगे | आईपॉड मुझसे अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं क्योंकि वे निरंतर जाप कर सकते हैं |

मधु पंडित दास: इसके अलावा, हमें इतना समय नहीं देना पड़ेगा |

राजीव मल्होत्रा: तो, प्राण के बारे में कुछ होना चाहिए या मनुष्य का किसी प्रकार का शरीर विज्ञान होना चाहिएजिसमें जीव निवास करता है, ताकि यह कोई यांत्रिक ध्वनि नहीं है जो महत्वपूर्ण है, अपितु कुछ ऐसा है जिसमें जीवन कुछ करता है |

मधु पंडित दास: हाँ | मनोयोग की आवश्यकता है

राजीव मल्होत्रा: जो एक सचेत कार्य है | जो कि आईपॉड के पास नहीं है |

मधु पंडित दास: हाँ |

राजीव मल्होत्रा: क्योंकि वह कोई व्यक्ति नहीं है |

मधु पंडित दास: बिलकुल ठीक |

राजीव मल्होत्रा: इसी स्थान पर व्यक्ति आता है |

मधु पंडित दास: केवल व्यक्ति के पास मनोयोग है |

राजीव मल्होत्रा: सही |

मधु पंडित दास: तो, मनोयोग के साथ आपको पवित्र बातों को सुनना और जप करना चाहिए |

राजीव मल्होत्रा: इसलिए,किसी व्यक्ति या जीव का ईश्वर के साथ यह संबंध है | दोनों व्यक्ति हैं |

मधु पंडित दास: हाँ |

राजीव मल्होत्रा: इसलिए, गैर-व्यक्ति,निर्जीव आईपॉड ऐसा नहीं कर सकता है |

मधु पंडित दास: सही बात |

राजीव मल्होत्रा: इस प्रश्न ने कई गुरुओं को उलझन में डाल दिया है | जब मैं उनसे पूछता हूँ कि क्या होता हैआपके द्वारा दिए गए ध्यान के इन मंत्रों का जाप रोबोट द्वारा किया जाता है ?वे उत्तर नहीं दे सके | मैंने कहा, यदि वे कर सकते हैं तो एक दिन अमेज़न रोबोट पहुंचाएगा |आप अपनी पसंद का रोबोट पंडित ऑर्डर कर सकते हैंऔर उसकी पोशाक और उच्चारण का चयन कर सकते हैं | और वह आएगा और वह प्रदर्शन करेगा | परन्तु यह काम नहीं करेगा |

मधु पंडित दास: इसमें चित्त नहीं है |

राजीव मल्होत्रा: ठीक है |

मधु पंडित दास: सांख्य में चित्त 24वाँ तत्व है |

राजीव मल्होत्रा: तो, यह वर्चुअल (रोबोट) पंडित काम नहीं करेगा |

मधु पंडित दास: नहीं | इसमें चेतना नहीं है |

राजीव मल्होत्रा: तो, उस पर हमें समाप्त करना चाहिए क्योंकि मुझे अभी-अभी बताया गया है कि समय समाप्त हो चुका है और एक बहुत महत्वपूर्ण कार्यक्रम होने वाला है |

मधु पंडित दास: हाँ |

राजीव मल्होत्रा: परन्तु इसे एक मध्यांतर कहते हैं क्योंकि हम इस चर्चा को आगे जारी रखने जा रहे हैं |

मधु पंडित दास: मुझे अच्छा लगेगा |

राजीव मल्होत्रा: क्योंकि मैं ऐसा करने में सक्षम होने पर बहुत प्रसन्न, सम्मानित और धन्य अनुभव कर रहा हूँ | हरे कृष्ण |

मधु पंडित दास: बहुत बहुत धन्यवाद | मुझे बहुत प्रसन्नता है कि आप उतनी दूर से आएऔर इतना समय हमारे साथ बिताया | और हमें प्रभुपाद को प्रस्तुत करने का अवसर दिया |

राजीव मल्होत्रा: जब भी मैं किसी इस्कॉन मंदिर जाता हूँ,विश्व में कहीं भी, न केवल भोजन अपराजेय है, अपितु आपको जो प्रेम मिलता है, वह वातावरण, कंपन,बहुत भिन्न और विशेष है |

मधु पंडित दास: क्योंकि हम वैयक्तिक हैं |

राजीव मल्होत्रा: हाँ |

मधु पंडित दास: धन्यवाद |

संचालिका:राजीव मल्होत्रा-जी, मधु पंडित दास-जी, मुझे लगता है कि आप पहले से ही देख सकते हैं कि हमारे दर्शक अभी भी सचेत भाव से बैठे हैं |यह चर्चा सुनने में बहुत तृप्त करने वाली है | आज, यह तथ्य कि हमने इस प्रकार के अद्भुत प्रश्नों और उनके उत्तर को देखाऔर स्पष्टता जिसके साथ प्रश्नों को कुशाग्रबुद्धि के साथ पूछा गया और साथ ही जिस प्रकार से तुरंत उत्तर और उसका सार बताया गयानिश्चित रूप से केवल दुर्लभ और मूल्यवान स्पष्टता को दर्शाता है जिसकी पहुँच श्रील प्रभुपाद ने हमें प्रदान की है |

आज आपके समय और आपके विचारों और शब्दों के आदान-प्रदान के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद | अब मैं श्रीमान मधु पंडित दास से निवेदन करता हूँ किहमारी प्रशंसा की तुच्छ भेंट के रूप में राजीव मल्होत्राजी को मंदिर का सम्मान प्रस्तुत करें |

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