मधु पंडित दास:प्रभुपाद कहा करते थे कि कोई यह नहीं कह सकता कि सभी मार्ग एक ही छोर तक जाएंगे |
राजीव मल्होत्रा: हमारे 99% गुरुओं के बीच यह एक आम भ्रम है |
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: मैंने बहुत सारे साक्षात्कार किए हैं, अब और अधिक नहीं करना चाहता हूँ |यदि सत्य एक है और कई रूपों का अस्तित्व है, तो क्या इसका अर्थ यह नहीं है कि हर किसी का दावा सही है ? मेरे पूछने पर वे भ्रमित हो जाते हैं |
मधु पंडित दास:यह उचित नहीं है |
राजीव मल्होत्रा: वे इससे बचने के लिए भोजन अवकाश मांगेंगे | आप मेरे यूट्यूब चैनल पर ऐसे साक्षात्कार देखेंगे |कई कैमरों के साथ एक निजी सत्र के स्थान पर, जहां बचने की कोई संभावना नहीं है,वे कहेंगे कि इसे 5000 दर्शकों के सामने करते हैं | फिर एक व्यक्ति बचने के लिए शीघ्रता से भोजनावकाश की घोषणा कर सकता है |ऐसा कई बार हुआ है | यह एक बहुत ही सरल तार्किक प्रश्न है |
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: परन्तु हमारे कई गुरु भ्रमित हैं |
मधु पंडित दास:नहीं, यह एक तथ्य है |यह पश्चिमी व्याख्या का प्रभाव है | और इसका मूल कारण है कि वे अपने आप कोपूर्ण सत्य के अवैयक्तिक पहलू तक सीमित रखते हैं | पूर्ण सत्य में उसकी ऊर्जा की भांति दोनों है व्यक्तिगत और अवैयक्तिक |
राजीव मल्होत्रा: ठीक | परन्तु अवैयक्तिक सर्वोच्च नहीं है |
मधु पंडित दास:हाँ | यदि मैं किसी को मुक्का मारूं तो आप मुझे दंड देंगे, न कि मेरी उर्जा को |
राजीव मल्होत्रा: एक व्यक्ति के अंश के रूप में एक अवैयक्तिक पहलू है |
मधु पंडित दास:निश्चित रूप से |
राजीव मल्होत्रा: परन्तु इसका विपरीत नहीं |
मधु पंडित दास:सही बात |
राजीव मल्होत्रा: मैं अवैयक्तिक तत्वों से व्यक्ति उत्पन्न नहीं कर सकता |
मधु पंडित दास:बिलकुल ठीक |व्यासदेव, ज्ञानी पारलौकिकवादी कहते हैं कि पूर्ण सत्य तीन भिन्न स्तरों में देखा जाता है |- ब्रह्म, परमात्मा और भगवान | वदन्ति तत्त्व वेदस्ततत्त्वं अद्ज्ञानम अद्वयम | अद्वय ज्ञानम् | तीनों अभिन्न हैं |भगवान आदिपुरुष हैं, जो मूल स्रोत हैं | इस भौतिक सृजन में परमात्मा स्थायी ईश्वर हैं |ब्रह्म वह ऊर्जा है जिससे यह भौतिक संसार रूपांतरित हुआ है | इसलिए, वे सभी एक सत्य हैं, अद्वय ज्ञानम् | परंतु, एक दूसरे की तुलना में अधिक पूर्ण है | ब्रह्म बोध यह है कि भौतिक ऊर्जा के अलावा एक आध्यात्मिक ऊर्जा भी है | तब परमात्मा का बोध होता है कि प्रभु एक व्यक्ति के रूप में सर्वव्यापी हैं |फिर अंत में, सब कुछ भगवान से आ रहा है | भगवान आध्यात्मिक विश्व में ईश्वर का पारलौकिक पहलू हैं |इस प्रकार ईश्वर की स्थायी और पारलौकिक अवस्था है | तो, बोध के तीन पहलू हैं |
राजीव मल्होत्रा: सुंदर |
मधु पंडित दास:यदि कोई कहता है कि पूर्ण सत्य ब्रह्म है, जिसका कोई रूप नहीं, कोई नाम नहीं, कोई व्यक्तित्व नहीं है,तो अंततः, वे कहेंगे कि कोई ईश्वर भी नहीं है |
राजीव मल्होत्रा: सही |
मधु पंडित दास:क्योंकि जिस क्षण आप कहते हैं – आप और भगवान, तब दोनों दो हैं |
राजीव मल्होत्रा: सही |
मधु पंडित दास:तो अंततः कोई ईश्वर नहीं है या आप नहीं हैं | आपको अपमानित अनुभव करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे यह नहीं कह रहे हैं कि कोई ईश्वर नहीं है या आप नहीं हैं |कोई भी पहचान नहीं है |
राजीव मल्होत्रा: सही | कोई व्यक्तित्व नहीं है |
मधु पंडित दास:हाँ | जबकि भागवतम् का दर्शन यह है कि हर जीव के लिए एक परम व्यक्तित्व है |
राजीव मल्होत्रा: तो, कोई परम स्व है, तब कोई प्रकट स्थायी रूपवान स्व है | और फिर भौतिक अस्तित्व है |
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: जिसमें हमारे अनुभव की सीमा से परे स्तर भी हैं |
मधु पंडित दास:अद्भुत रूप से व्यक्त |
राजीव मल्होत्रा: तो, यहां तक कि उसके उच्च रूप भी हैं, परन्तु यह व्यक्तित्व नहीं है |
मधु पंडित दास:नहीं
राजीव मल्होत्रा: और यह वह क्षेत्र है जिस तक विज्ञान सीमित है |
मधु पंडित दास:परिभाषा के अनुसार वे स्वयं को सीमित कर रहे हैं |
राजीव मल्होत्रा: सही |
मधु पंडित दास:उदाहरण के लिए, यदि आप आधुनिक विज्ञान विशेष रूप से भौतिक विज्ञान का एक उदाहरण लेते हैंतो आइंस्टीन से पहले, समय एक सात्त्विक वास्तविकता नहीं था |समय केवल घटनाओं को दर्शाने का एक ढंग था | यह केवल ज्ञान की वस्तु थी, जिसका उपयोग गति के अध्ययन में किया जाता था |उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि समय सात्त्विक यथार्थ है | जैसे लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई | यह एक और आयाम है |यह हमारे शास्त्रों में काल के रूप में दिया गया है | यह प्रभु की ऊर्जा है | आपके मस्तिष्क में नहीं |आइंस्टीन का सापेक्षता का सिद्धांत इसी के साथ आया | पर कैसे ? उन्होंने काल की कल्पना कैसे की ?अनुशासन के कारण | यह गणित से आया था, प्रयोग से नहीं | अंतत: एक उपकरण के रूप में बुद्धि का उपयोग किया गया था |
राजीव मल्होत्रा: हाँ |
मधु पंडित दास:यह एक विशेष आवृत्ति में कंपन किया | उन्होंने अवश्य तपस्या की होगी |इसमें से गणितीय समीकरण सामने आया | न्यूटन ने सोचा कि पूरा विश्व एक स्थिर अवस्था है |परन्तु इसने पूरे विज्ञान को पलट दिया | ऐसी बहुत सी बातें हैं जो विज्ञान नहीं जानता है |यह एक उदाहरण है जिसमें बुद्धि का भी उपयोग किया गया है | आधुनिक भौतिकी के अधिकांश निष्कर्ष गणित से आ रहे हैं, न कि स्थूल प्रयोग से |कई गणितीय निष्कर्ष उपयुक्त प्रयोगों द्वारा सिद्ध नहीं होते हैं |क्योंकि वे इतने सूक्ष्म हैं | कण त्वरक (पार्टिकल एक्सीलरेटर) आदि बनाने के लिए अरबों खर्च किए गए |जबकि हमारे ऋषियों ने सत्य को उजागर करने के लिए सही कंपन पाया |
सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार, सबरीमाला का विषयलैंगिक समानता का सम्मान करने के बारे में है | एक ही दिशा वाली सोच | उन्होंने कहा किहर किसी को अनुमति दी जानी चाहिए | परन्तु वास्तविकता यह है कि अयप्पा एक देवता हैं,और एक व्यक्तित्व हैं | और इसलिए उन्होंने कामना की है |
राजीव मल्होत्रा: उनसे उन शर्तो के साथ आने का अनुरोध किया गया था |
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: कि हम उनकी इच्छा का सम्मान करेंगे |
मधु पंडित दास:हाँ | यदि सर्वोच्च न्यायालय जोर देता है कि यह विषय केवल लैंगिक समानता का है, तो इसका अर्थ है कि वे सोच रहे हैं कि वे केवल एक पत्थर हैं |
राजीव मल्होत्रा: सही |
मधु पंडित दास:यह बहुत दोषपूर्ण है | यह केवल आपकी कल्पना है, इसलिए आपकी समस्या क्या है, वे पूछते हैं |
राजीव मल्होत्रा: जब प्रभु को देवता के रूप में आमंत्रित करने के लिए सही प्रक्रिया का उपयोग किया जाता हैऔर विधि के अनुसार विशिष्ट भोजन दिया जाता है | तो देवता एक जीवित व्यक्ति है, हम सेवा करते हैं |अब, क्या कोई संशोधन संभव है ? क्या भावी पीढ़ी कह सकती है,हम समझौते को बदलने के लिए देवता से अनुरोध करना चाहेंगे?
मधु पंडित दास:उनकी अनुमति से यह किया जा सकता है | हाँ | परन्तु फिर उनकी अनुमति कौन ले सकता है ?
राजीव मल्होत्रा: सुप्रीम कोर्ट नहीं |
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: यह अच्छी बात है |क्योंकि वे आचार्य नहीं हैं | वे उस आवृत्ति में नहीं हैं |
मधु पंडित दास:बिलकुल ठीक | देवता के मन को जानने की एक प्रक्रिया वास्तव में अस्तित्व में है |
राजीव मल्होत्रा: कृपया समझाएं |
मधु पंडित दास:इसे देव प्रश्न कहा जाता है |
राजीव मल्होत्रा: ठीक है |
मधु पंडित दास:यह ज्योतिष की एक शाखा है |
राजीव मल्होत्रा: तो, आप एक प्रश्न पूछ रहे हैं |
मधु पंडित दास:जब पहला प्रश्न तंत्री अर्थात् मुख्य पुजारी द्वारा पूछा जाता है, तो उसे उस प्रश्न का जन्म काल के रूप में लिया जाता है | इसके अतिरिक्त सारी बातें बिल्कुल ज्योतिष के समान हैं | आवश्यक सूक्ष्म कंपन के अनुसार जो कुछ भी आवश्यक होता है, वे उसका आह्वान करते हैं | उसके साथ देव प्रश्न पूछते हैं |ऐसे विशेषज्ञ हैं जो देव प्रश्न करते हैं | हर ज्योतिषी देव प्रश्न नहीं कर सकता |केरल के लगभग सभी मंदिर वे देव प्रश्न करते हैं, जब भी मंदिर में कोई समस्या आती है | वे देवता के मन को समझने का प्रयास करते हैं |
राजीव मल्होत्रा: और देवता इसका उत्तर किस रूप में देंगे ?
मधु पंडित दास:देवता दर्शन के रूप में उत्तर देंगे,
राजीव मल्होत्रा: कुछ भौतिक बातें |
मधु पंडित दास:हाँ | जैसे जन्म कुंडली सेयह पता चलता है कि क्या अनुकूल है क्या नहीं | उसके पीछे एक विज्ञान है |
राजीव मल्होत्रा: सही |
मधु पंडित दास:ज्योतिष एक प्रतीक है जिसके माध्यम से प्रारब्ध बातचीत करता है |
राजीव मल्होत्रा: तो, मंदिर की रक्षा मेंक्या वहाँ के पुजारी ने कहा, हम यह देव प्रश्न करने जा रहे हैं ?
मधु पंडित दास:उन्होंने किया |
राजीव मल्होत्रा: और क्या वे न्यायालय को उत्तर की सूचना देंगे ?
मधु पंडित दास:उन्होंने किया और कहा कि ऐसा नहीं किया जाना चाहिए |
राजीव मल्होत्रा: ठीक | तो, अब न्यायालय को इस दुविधा का सामना करना पड़ रहा है कि अपने स्वयं के क्षेत्राधिकार का दावा करने परवे मूल रूप से कह रहे हैं कि हम देवप्रश्न परंपरा की वैधता को स्वीकार नहीं कर रहे हैं |और ऐसा करने पर वे हिंदू धर्म में हस्तक्षेप कर रहे हैं और हिंदुओं के धर्म की स्वतंत्रता का उल्लंघन कर रहे हैं |
मधु पंडित दास:बिलकुल ठीक |
राजीव मल्होत्रा: यह एक बहुत बड़ी बात है |
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: यह वैसा ही हुआ जैसे किसी ईसाई से यह कहना कि मैं आपके यीशु के उस कुंवारी जन्म को स्वीकार नहीं करता | वे कहने वाले कौन हैं ?
मधु पंडित दास:हाँ |
राजीव मल्होत्रा: वे परंपरा का उल्लंघन कर रहे हैं | तो, यदि परंपरा कहती है कि देवता क्या चाहते हैं इसकी खोज की पद्धति देव प्रश्न है,और ऐसा करने के बाद हमने पाया कि परमात्मा वह नहीं चाहते जो आप पसंद करते हैं, तो फिर उसका उल्लंघन करना धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है |
मधु पंडित दास:हाँ |मान लीजिए कि अपने घर के बाहर मैंने एक बोर्ड लगा दिया, कि इस उम्र और उस उम्र के बीच की कोई महिला अंदर नहीं आ सकती |कोई व्यक्ति सर्वोच्च न्यायालय में जाता है और कहता है कि वह लैंगिक समानता के विरुद्ध है |
राजीव मल्होत्रा: यह आपका निजी घर है |
मधु पंडित दास:यह मेरी इच्छा है कि कौन मेरे घर आये और कौन नहीं आये |
राजीव मल्होत्रा: किसी विवाह में एक अतिथि सूची होती है | आप तय करते हैं कि कौन अतिथि है और कौन अतिथि नहीं है |मैं बलपूर्वक प्रवेश नहीं कर सकता और कह नहीं सकता कि मुझे स्वतंत्रता है |
मधु पंडित दास:ये सारी समस्या यह सोचकर उपजी है कि देवता केवल एक पत्थर हैं |
राजीव मल्होत्रा: इस तर्क में भी भ्रांति है कि जब राज्य पैसे देता है, तो परम्पराओं के निर्वहन के लिए राज्य को अपने कानूनों का उपयोग करना चाहिए |वास्तव में राज्य कोई पैसा नहीं दे रहा है | यह जब्त की गई भूमि का किराया दे रहा है |
मधु पंडित दास:सही | –
राजीव मल्होत्रा: अंग्रेजों के राज में मंदिर की भूमि राज्य द्वारा ले ली गई थी और इस पर सहमति हुई थीवे क्षतिपूर्ति के रूप में एक वर्ष में इतने लाख देंगे | तो, यह वैसा ही है जैसे कि जब आप कोई राजमार्ग बनाना चाहते हैं, तो आप ग्रामीणों की भूमि लेते हैं और आप उन्हें भुगतान करते हैं |
मधु पंडित दास:क्षतिपूर्ति |
राजीव मल्होत्रा: आप उनपर कोई उपकार नहीं कर रहे हैं या कोई अनुदान नहीं दे रहे हैं | वास्तव में वे जितना पैसा दे रहे हैं, वह कुछ लाख है |जबकि उस संपत्ति का वर्तमान मूल्य हजारों करोड़ में है |
मधु पंडित दास:सही |
राजीव मल्होत्रा: तो, उन्होंने मंदिर से बहुत बड़ी संपत्ति ली है, परन्तु इसके लिए थोड़े से किराए का भुगतान कर रहे हैं |
मधु पंडित दास:सही |
राजीव मल्होत्रा: और यह कहने का दुस्साहस है कि वे वित्तपोषण कर रहे हैं |
मधु पंडित दास:यह परंपरा के लिए पूर्णतः अनुचित है |
राजीव मल्होत्रा: सही |
मधु पंडित दास:कोई सम्मान नहीं | जैसे कि परंपरा का कोई अस्तित्व नहीं है | यह सब लोगों के मस्तिष्क में है |
राजीव मल्होत्रा: तो धर्मनिरपेक्षता हमारी परंपरा में काम नहीं करती हैक्योंकि धर्मनिरपेक्षता यूरोपीय धार्मिक संघर्षों का एक उत्पादन है |
मधु पंडित दास:सही |
राजीव मल्होत्रा: इसे अन्य लोगों के बहुत अधिक हस्तक्षेप से ईसाई रिलिजन को बचाने के लिए विकसित किया गया था | अन्य देवताओं और रीति-रिवाजों के लिए असहिष्णुता थी | धर्मनिरपेक्षता यूरोप के लिए अच्छा समाधान थी | परन्तु इसे भारत में आयात करना वास्तव में एक आपदा है क्योंकि हमारी परंपरा में समान समस्याएं नहीं हैं |
मधु पंडित दास:हमारे अपने अंतर्निहित, आंतरिक गुण हैं जिनका सम्मान किया जाना है |
राजीव मल्होत्रा: सही |
मधु पंडित दास:एक देवता के साथ आप जो कर सकते हैं,वह किसी अन्य देवता के साथ आप नहीं कर सकते |
राजीव मल्होत्रा: धर्मनिरपेक्ष विचारक जो महत्वपूर्ण बात बोलते हैं, वह बताता है किउन्हें यह समझ में नहीं आया है कि एक ही परमात्मा अनंत प्रकार के व्यक्तित्वों और देवताओं के रूप में प्रकट होते हैं |प्रत्येक एक विशिष्ट व्यक्तित्व के रूप में |
मधु पंडित दास:इच्छा भी |
राजीव मल्होत्रा: तो हमारे रस, प्रक्रिया, शिष्टाचार, और आगम कोइसके लिए बहुत उपयुक्त होना चाहिए | तो चूँकि परमात्मा असंख्य रूपों में प्रकट होते हैं केवल इसलिए इसका अर्थ यह नहीं है कि कोई भी मनमाना रूप वैध है |
मधु पंडित दास:सही |