नूतन उपनिवेशिता की अक्षरेखा – 6

Read 5th Part Here. वर्तमान में भारत का शासन उपनिवेशी शैली के सामान: हिन्दु धर्म और ईसाई धर्म प्रत्येक, ८०% समावेश हैं भारत एवं यूएसए की जनसँख्या में क्रमश: अतः, दोनों के स्तरों को तुल्य करना उचित है उनके क्रमशः देशों में, अन्य अल्प धर्मों के सन्दर्भ में I निम्नांकित किंचित तुलयात्मक प्रस्तुत हैं जो […]

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नूतन उपनिवेशिता की अक्षरेखा – 5

Read 4th Part Here. “दक्षिण एशियाई” परिलक्षण: एस.ए.जे.ए (साऊथ एशियन जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन –दक्षिण एशियायी पत्रकार समिति) ने प्रभावित किया है “साऊथ एशियनाइज़” आंदोलन को, जो युवा भारतीय अमरीकियों घर छोड़ते हैं और अमरीकी विद्यालयों में प्रवेश करते हैं उनके लिए I एस.ए.जे.ए एक चतुर व्यावसायिक प्रणाली पर गतिमान है: प्रतिष्ठित अमरीकी संचार संघ से पत्रकारों […]

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नूतन उपनिवेशिता की अक्षरेखा – 4

Read Third Part Here. इतिहास लेखन और राष्ट्र (विभाजन): इतिहास लेखन दोनों कार्यों के लिए प्रयोग किया गया है, एक राष्ट्र निर्माण, दुतीय राष्ट्र विभाजन I चीन की सर्कार ने विजयी हुई और प्रमुख कार्यक्रमों को विश्वभर में पूँजी दिया अपने चीनी इतिहास को प्रचलित करने के लिए जिसका निर्माण स्वतःपूर्ण एवं द्वीपीय किया है, […]

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नूतन उपनिवेशिता की अक्षरेखा – 3

Read Second Part Here. हिस्ट्री के सिद्धांत रेखीय नहीं हैं: अनियन्त्रित सिद्धांत, कि, सर्वत्र मानव हिस्ट्री को, इस अनुक्रम में अंटना होगा:  पुरातन ए मायिक ए काल्पनिक ए तर्कयुक्त ए…., मुख्यधारा यूरोकेन्द्रिक स्तम्भों में से एक है [१५] I  यूरोप में घटित घटनाएं इन रेखीय “विकास” में अंटती हुई दिखती है I अतः, ये प्रतिरूप […]

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नूतन उपनिवेशिता की अक्षरेखा – 2

Read First Part Here. पश्चिमी शैक्षिक परिषद् में भारतीय परंपरायें: आनंद का विषय ये है कि, पश्चिमी शैक्षिक परिषद् नियुक्त करती है कई भारतीय विद्द्वानों को, कई अन्य मानविकी शास्त्रों में से, अंग्रेजी साहित्य, इतिहास, दर्शनशास्त्र, समाज शास्त्र एवं राजनैतिक विज्ञानं के विभाग में से I तथापि, जैसा कि पश्चिमी दर्शक उन्हें भारतीय परम्पराओं का […]

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नूतन उपनिवेशिता की अक्षरेखा – 1

“आधुनिक सार्वभौमिक स्थिति में, पूर्वी एवं पश्चिमी ‘साभ्यता‘ एक दुसरे से समान सहयोगी के रूप में नहीं भेंट कर सकते हैं. वे पश्चिमी संसार में, पश्चिमियों द्वारा निर्मित विचार की परिस्थितियों में ही भेंट कर सकते हैं I “— डब्लू. हॉलब्फास [१] ये निबंध चर्चा करता है कि, कैसे बुद्धिजीवी स्वराज मूल सिद्धान्त है, किसी […]

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संस्कृत के लिए युद्ध में हुई मुख्य वाक् युद्ध

Translation Credit: – Vandana. ये पुस्तक वाद-विवाद करती है इस विषय पर कि, संस्कृत एवं संस्कृति दोनों ही जीवित, पवन और मोक्ष के स्रोत हैं. यद्दपि, इसका भविष्य हमारे आतंरिक समाज के निर्णय पर निर्भर करता है कि, वे इस परंपरा का क्या करेंगे। एक बृहत महत्वपूर्ण अन्वेषण तभी हो सकता है जब कई गंभीर […]

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देवदत्त पट्टनायक को खुली चुनौती / नित्यानंद मिश्रा

राजीव मल्होत्रा: नमस्ते ! नित्यानंद मिश्रा: नमस्ते ! राजीव मल्होत्रा: नित्यानंद मिश्रा ने देवदत्त पट्टनायक की आलोचना के लिए जो एपिसोड किया, उसे बहुत बड़ी प्रतिक्रिया मिली और उसने बहुत उत्साह उत्पन्न किया | कुछ लोगों ने कुछ विषय उठाए, जिन्हें हमें संबोधित करना चाहिए | आज का उद्देश्य कुछ आलोचकों को उत्तर देना है […]

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भारत विखंडन / मूल्यांकन – प्रोफेसर वैद्यनाथन — 2

To Read First Part, Click Here. वैद्यनाथन: अक्सर कहा जाता है कि लोग मूर्ख होते हैं। पर लोग मूर्ख नहीं होते हैं, सरकार बेहरी होती है। वे स्थिति की गंभीरता को समझ नहीं रहे हैं। हम भारत-तोड़ो ताकतों के मामले में वाकई विस्फोटक स्थिति का सामना कर रहे हैं। विश्व स्तर पर काम करने वाला […]

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भारत विखंडन / मूल्यांकन – प्रोफेसर वैद्यनाथन — 1

राजीव: नमस्ते! मैं एक बार फिर प्रोफेसर वैद्यनाथन के साथ हूँ। मैं भारत-तोड़ो ताकतों के बारे में बात करना चाहूँगा। कुछ सात साल पहले मैंने एक पुस्तक लिखी थी। वैद्यनाथन: हाँ। राजीव: लेकिन मैंने उस पर काम करना 20 साल पहले ही कर दिया था। मैंने भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलूर में एक व्याख्यान दिया था, […]

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